कैसी यह देर लगाई दुर्गे ।
हे मात मेरी हे मात मेरी ।।
भव सागर में घिरा पड़ा हूँ,
काम आदि गृह में घिरा पड़ा हूँ ।
मोह आदि जाल में जकड़ा पड़ा हूँ,
हे मात मेरी हे मात मेरी ।।
ना मुझ में बल है, ना मुझ में विद्या,
ना मुझ ने भक्ति ना मुझ में शक्ति ।
शरण तुम्हारी गिरा पड़ा हूँ,
हे मात मेरी हे मात मेरी ।।
ना कोई मेरा कुटुम्भ साथी,
ना ही मेरा शरीर साथी।
आप ही उभारो पकड़ के बाहें,
हे मात मेरी हे मात मेरी ।।
चरण कमल की नौका बना कर,
मैं पार हूँगा ख़ुशी मना कर।
यम दूतों को मार भगा कर,
हे मात मेरी हे मात मेरी ।।
सदा ही तेरे गुणों को गाऊं,
सदा ही तेरे सरूप को धयाऊं।
नित प्रति तेरे गुणों को गाऊं,
हे मात मेरी हे मात मेरी ।।
ना मैं किसी का ना कोई मेरा,
छाया है चारो तरफ अँधेरा।
पकड़ के ज्योति दिखा दो रास्ता,
हे मात मेरी हे मात मेरी ।।
शरण पड़े हैं हम तुम्हारी,
करो यह नैया पार हमारी।
कैसी यह देरी लगाई है दुर्गे,
हे मात मेरी हे मात मेरी ।।
Credit Details :
Song: Hey Maat Meri Aarti
Singer: Narendra Chanchal
Music Director: Surinder Kohli
Lyricist: Balbir Nirdosh
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