🎵जय अम्बे गौरी🎵
🙏 गायक: अनुराधा पौडवाल
🎼 गीत: महंत शिरोमणि ओमनाथ शर्मा
विवरण:
जय अम्बे गौरी भजन में देवी दुर्गा के विभिन्न दिव्य रूपों का वर्णन किया गया है। इस भजन में माँ दुर्गा को "श्यामा गौरी", "महिषासुर मर्दिनी", "सुर-नर-मुनिजन की रक्षिका" और "भक्तों के कष्ट हरने वाली" के रूप में पूजा जाता है। भजन में माँ के रूप, उनके आभूषण, वाहन, और शक्तियों का विस्तार से वर्णन किया गया है, जैसे कि वह शेर की सवारी करती हैं, उनके हाथों में खड्ग और खप्पर होते हैं, और उनके माथे पर चंद्रमा के समान आभा होती है। देवी दुर्गा के इन रूपों की महिमा को गाकर भक्तों को मानसिक शांति, समृद्धि और सुरक्षा का आशीर्वाद मिलता है। यह भजन माँ दुर्गा की उपासना का एक सुंदर तरीका है, जो भक्तों को उनके जीवन में सुख, संपत्ति और सुख-शांति की प्राप्ति कराता है।
गीत के बोल:
जय अम्बे गौरी,
मैया जय श्यामा गौरी ।
तुमको निशदिन ध्यावत,
हरि ब्रह्मा शिवरी ॥
ॐ जय अम्बे गौरी..॥
मांग सिंदूर विराजत,
टीको मृगमद को ।
उज्ज्वल से दोउ नैना,
चंद्रवदन नीको ॥
ॐ जय अम्बे गौरी..॥
कनक समान कलेवर,
रक्ताम्बर राजै ।
रक्तपुष्प गल माला,
कंठन पर साजै ॥
ॐ जय अम्बे गौरी..॥
केहरि वाहन राजत,
खड्ग खप्पर धारी ।
सुर-नर-मुनिजन सेवत,
तिनके दुखहारी ॥
ॐ जय अम्बे गौरी..॥
कानन कुण्डल शोभित,
नासाग्रे मोती ।
कोटिक चंद्र दिवाकर,
सम राजत ज्योती ॥
ॐ जय अम्बे गौरी..॥
शुंभ-निशुंभ बिदारे,
महिषासुर घाती ।
धूम्र विलोचन नैना,
निशदिन मदमाती ॥
ॐ जय अम्बे गौरी..॥
चण्ड-मुण्ड संहारे,
शोणित बीज हरे ।
मधु-कैटभ दोउ मारे,
सुर भयहीन करे ॥
ॐ जय अम्बे गौरी..॥
ब्रह्माणी, रूद्राणी,
तुम कमला रानी ।
आगम निगम बखानी,
तुम शिव पटरानी ॥
ॐ जय अम्बे गौरी..॥
चौंसठ योगिनी मंगल गावत,
नृत्य करत भैरों ।
बाजत ताल मृदंगा,
अरू बाजत डमरू ॥
ॐ जय अम्बे गौरी..॥
तुम ही जग की माता,
तुम ही हो भरता,
भक्तन की दुख हरता ।
सुख संपति करता ॥
ॐ जय अम्बे गौरी..॥
भुजा चार अति शोभित,
वर मुद्रा धारी । [खड्ग खप्पर धारी]
मनवांछित फल पावत,
सेवत नर नारी ॥
ॐ जय अम्बे गौरी..॥
कंचन थाल विराजत,
अगर कपूर बाती ।
श्रीमालकेतु में राजत,
कोटि रतन ज्योती ॥
ॐ जय अम्बे गौरी..॥
श्री अंबेजी की आरति,
जो कोइ नर गावे ।
कहत शिवानंद स्वामी,
सुख-संपति पावे ॥
ॐ जय अम्बे गौरी..॥
जय अम्बे गौरी,
मैया जय श्यामा गौरी ।
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