M:- हम आज सभी को दीपावली की कथा सुनाते हैं
इसकी महिमा बताते हैं
क्यों इस शुभ दिन में भक्तो सब
घर अपने सजाते हैं
हम ये बतलाते हैं
श्री राम सिया के आने से सब,
ख़ुशी जताते हैं ,
दर पर दीये जलाते हैं
श्री गणपति जी माँ लक्ष्मी को,
सब मिलके ध्याते हैं
उन्हें घर में बुलाते हैं
कोरस - जय लक्ष्मी जय हो गणेश ,
हर घर में करें प्रवेश
धन सुख वैभव देकर,
दूर कर दें सारे कलेश
M:- १)कई कथाये शास्त्रों में ,
वर्णित दिवाली की
पहली वज़ह श्री राम कहाए,
इस खुशहाली की
लंका में जव की थी चढ़ाई ,
सीता हरण के बाद
रावण की सेना को प्रभु ने ,
पल में किया परास्त
चौदह बरस के बाद जो उनका
खत्म हुआ वनवास
लौटे पुरुषोत्तम श्री रामा ,
सिया लखन के साथ
झूमी अयोध्या नगरी हर घर
गूंजे घंट घडियाल
तब से घर घर दीपक जलते
इस दिन हरेक साल
M:- इसीलिए दीपावली का हम
पर्व मनाते हैं दर पर दीये जलाते हैं
श्री गणपति जी माँ लक्ष्मी को, सब मिलके ध्याते हैं
उन्हें घर में बुलाते हैं
कोरस - जय लक्ष्मी जय हो गणेश ,हर घर में करें प्रवेश
M:- २) कई धारणा ऐसी इस दिन
अमावस की थी रात
केसर सागर में से जन्मी,
श्री महा लक्ष्मी मात
कहीं पे सागर मंथन के संग
जुड़ गयी इसकी बात
प्रकटे जो धन्वन्तरी जी तब
कुबेर जी आए साथ
पूजा होती कुबेर जी की
धनतेरस के दिन
दीपावली में भक्त हो जाते
लक्ष्मी पूजन में लीन
जो भी भगत करते हैं भक्ति
पावन तन मन से
लक्ष्मी गणेश की भक्ति से
घर भरते सुख धन से
मन के अँधेरे इनकी कृपा से
दूर हो जाते हैं दर पर दीये जलाते हैं
श्री गणपति जी माँ लक्ष्मी को,
सब मिलके ध्याते हैं
उन्हें घर में बुलाते हैं
कोरस - जय लक्ष्मी जय हो गणेश ,हर घर में करें प्रवेश
M:- 3) कार्तिक अमावस मास में आता
दीपोत्सव त्यौहार
इस दिन का बच्चे क्या बूढ़े
सब करें इंतज़ार
साफ़ सफाई करके घर
रंग रोगन करते हैं
चम चम करती लड़ियों से
घर द्वार ये सजते हैं
कहीं पटाखे कही पे चरखी
फुलझड़ी जलती हैं
माटी के दीपक की लम्बी
माला सजती हैं
सारी चिंताओं के बादल
आज ही छंटते हैं
लड्डू मिठाई देखो सब के
घर घर बंटते हैं
भूलके सारे शिकवे गिले हम
गले मिल आते हैं
दर पर दीये जलाते हैं
श्री गणपति जी माँ लक्ष्मी को,
सब मिलके ध्याते हैं
उन्हें घर में बुलाते हैं
कोरस - जय लक्ष्मी जय हो गणेश ,
हर घर में करें प्रवेश
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