दीक्षा दिवस हम सब गुरुवर का,
मिलके आज मनाये,
धारके संयम गुरु हमारे,
मुनिवर मुद्रा है पाए,
मुनिवर मुद्रा है पाए।।
जय विशल्य सागरजी,
जय विशल्य सागरजी,
धरती अम्बर गूंज रहा,
गुरुवर का जयकारा है,
सच्चे मन से जिसने भी,
दिल से इन्हे पुकारा है,
गुरुवर उसे बचाते है,
मार्ग उसे दिखलाते है,
भक्तो के ये सहारे है,
सबके तारणहारे है,
दिक्षा दिवस हम सब गुरुवर का,
मिलके आज मनाये,
धारके संयम गुरु हमारे,
मुनिवर मुद्रा है पाए,
मुनिवर मुद्रा है पाए।।
जय विशल्य सागरजी,
जय विशल्य सागरजी,
सर्प दंश या ह्रदय रोग हो,
सबको आप हराये है,
प्रतिकूलता जितनी हो,
आप से जीत ना पाए है
शत-शत गुरुवर को वंदन,
आपकी चरण धूली चन्दन,
हम सबका उद्धार करो,
गुरुवर बेड़ा पार करो,
दिक्षा दिवस हम सब गुरुवर का,
मिलके आज मनाये,
धारके संयम गुरु हमारे,
मुनिवर मुद्रा है पाए,
मुनिवर मुद्रा है पाए।।
जय विशल्य सागरजी,
जय विशल्य सागरजी,
सूर्य से तेज के धारी है,
आप परम उपकारी है,
चंदा सी छवि तुम्हारी है,
सुन्दर और मनोहारी है,
कृपा करो हम पर गुरुवर,
रखना हाथ सदा सिर पर,
गुरुवर की जयकार करे,
सदा धर्म संस्कार धरे,
दिक्षा दिवस हम सब गुरुवर का,
मिलके आज मनाये,
धारके संयम गुरु हमारे,
मुनिवर मुद्रा है पाए,
मुनिवर मुद्रा है पाए......
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