Current Date: 18 Nov, 2024

धन धन सती चालीसा

- Nisha Soni


F:-        नमो नमो गुरुदेव  को धरो गणेश का ध्यान 
वाणी देयो सरस्वती करू वात गुणगान 
मात श्री धानन वाली की जय मात श्री टिड़गिला की जय 

F:-        मंगल भवन अमंगल हारी टीडा गेला नाम सुखारी 
कोरस :-     जय दादी माँ बोलो जय हो दादी माँ धाधन  वाली जय हो दादी माँ 
F:-        जय जय माँ धाधन वाली दिव्य तेज माँ ज्योति निराली 
टीडा गीला नाम तिहारो सकल मनोरथ पुराण वारो 
भाल चंद्र थे जनक तिहारे धर्म परायण के थे तिहारे 
पुरनी देवी तुम्हारी माता जन्मे दो बहाने दो भ्राता 
बड़े भाई थे जोखि राम जी उनसे छोटे भोलेनाथ जी 
भोलेनाथ जी वन में जाते निसदिन वो गायो को चराते 
स्वर्ग सिधार गए वो अचानक बहनो का दिल करे धकाधक 
दोनों बहाने गांव में जा कर सबको कहने लगी बुलाकर 
शक्ति होगी दोनों बहना मानो तुम सब हमरा कहना 
चिता बनायी सबने मिलकर दोनों बहने बैठी खिलकर 
गोद में लीन्हा भाई को जब देखा अनुपम दृश्य वहां तब 
तब प्रताप से प्रकटी ज्वाला तब वहां हो गया उजाला 
हो गए पुरे आपके सपने लागे राम नाम को जपने 
वेद पुराण उपनिषद गावे कोटि कंठ जयकार सुनावे 
तुम्हारा ध्यान धरे जो कोई मनवांछित फल पावे सोई 
लाल चुनरिया तन पे सोहे निर्मल कांटी जगत मन मोहे 
अटल छत्र की अद्भुत माया जय जयकार जगत में छाया 
कर कृपाण त्रिशूल विराजे विक्रम रूप आपको साजे 
गाल मोतियन की माल विराजे देख शृंगार रति अति लागे 
झालर शंख नागदा बाजे जिसको सुन पताक सब भागे 
रत्न सिंघासन झलके निको पल पल क्षण क्षण ध्यान सती को 
तू जगदम्बे तू रुद्राणी तू ही शारदा और ब्रह्माणी 
नैया डगमग डोले मेरी आस घनेरी मुझे है तेरी 
खेवन हार तुम ही हो मैया पार लगाओ मेरी नैया 
मै भी बालक भोला भला था निर्पुं तेरा रखवाला 
जिसके मन में वास  तुम्हारा भरा रहे उसका भंडारा 
भादव में थारो मेलो लागे आवे सब परिवार के सागे 
अंधे जन जो ध्यान लगावे खुलते नैन वो दिशमावे 
नाचत गावत मंदिर आवे दर्शन पाए महासुख पावे 
खीर पूरा को भोग लगावे श्रीफल मेवा भेट चढ़ावे 
महिषासुर से दानव मारे तुमने सुम्भ निसुम्भ पछाड़े 
जो नर आवे शरण तुम्हारी उसकी सदा करो रखवारी 
भीड़ पड़े दर्शन को भारी जय जयकार करे नर नारी 
जिसने मात स्वरुप निहारा उसका भय से हुआ किनारा 
जग में प्रबल तुम्हारी माया तुमने ही यह विश्व रचाया 
मैया हम है तेरे बालक तुम हो माँ सबके प्रति पालक 
मात मात सुमिरो दिन रात शाम प्रभारी और दिन राति 
मै अबोध मुर्ख अज्ञानी आया तेरे शरण भवानी 
शक्ति चालीसा जो नर गावे मन के कष्ट दूर हो जावे 
संवर बजरंग की यह विनती दूर करो माँ सबकी विपत्ति

शक्ति दादी की चालीसा नित करे जो पाठ 
अन्धान को गाथा नहीं सदा रहेगा ठाट 
बोलो धाधन धाम की जय बोलो रे बोलो टीडा गीला की जय 

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