देवउठनी को ही क्यों मनाया जाता है खाटू श्याम का जन्मदिन - devuthani ko hi kyu manaya jata hai khatu shyam ka janmadin
बर्बरीक (खाटू श्याम) के महान बलिदान से काफी प्रसन्न होकर श्री कृष्ण ने बर्बरीक को वरदान दिया कि कलयुग में तुम श्याम नाम से जाने जाओगे। वरदान देने के बाद उनका शीश खाटू नगर (वर्तमान राजस्थान राज्य के सीकर जिला) में दफ़नाया गया इसलिये उन्हें खाटू श्याम बाबा कहा जाता है। ऐसा माना जाता है कि एक गाय उस स्थान पर आकर प्रतिदिन अपने स्तनों से दूध की धारा स्वतः ही बहा रही थी। बाद में जब उस स्थान की खुदाई हुई तो वहां पर शीश प्रकट हुआ, जिसे कुछ दिनों के लिये एक ब्राह्मण को सौंप दिया गया है। एक बार खाटू नगर के राजा को स्वप्न में मन्दिर निर्माण के लिये और वह शीश मन्दिर में सुशोभित करने के लिये प्रेरित किया गया। तो उस स्थान पर मन्दिर का निर्माण किया गया और कार्तिक माह की एकादशी को शीश मन्दिर में सुशोभित किया गया। इसीलिये हमेशा देवउठनी एकादशी को ही श्री खाटूश्याम जी का जन्मदिन मनाया जाता है।
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