Current Date: 18 Nov, 2024

देखे ताज और कुतुब मीनार

- अंजलि द्विवेदी


देखे ताज और कुतुब मीनार,
इनसे बढ़कर तोरण द्वार,
खाटू जैसा ना देखा,
हमने कोई स्थान,
देखें ताज और कुतुब मीनार।।

तर्ज – लेके पहला पहला प्यार।


आए यहाँ पर जितने,
जीवन से हार कर,
जीवन सुधार दिया,
श्याम ने निहार कर,
ऐसा मिला ना लखदातार,
जो है लीले पर असवार,
ऐसा मंदिर ना दूजा,
जहाँ चढ़ते रोज निशान,
देखें ताज और कुतुब मीनार।।


यहाँ की तो माटी में भी,
इतना असर है,
माथे पे सजाता इसे,
यहाँ हर बसर है,
रहती भक्तो की भरमार,
सबको मिलता प्यार दुलार,
ऐसा दानी ना देखा,
घूमे हम हिन्दुस्तान,
देखें ताज और कुतुब मीनार।।


दूजा ना देखा कोई,
हारे का सहारा,
दिल को है धीरज देता,
कर के इशारा,
इसका दीवाना संसार,
इस पर जाऊं मैं बलिहार,
सारे जग में निराली,
है इसकी पहचान,
देखें ताज और कुतुब मीनार।।


जिसको भी देखो तेरे,
नाम का दीवाना,
मिलता है हर किसी को,
वहां पर ठिकाना,
कितने सुन्दर है सरकार,
‘अंजलि’ जाती है बलिहार,
इसके जैसी निराली,
ना जग में दूजी शान,
देखें ताज और कुतुब मीनार।।


देखे ताज और कुतुब मीनार,
इनसे बढ़कर तोरण द्वार,
खाटू जैसा ना देखा,
हमने कोई स्थान,
देखें ताज और कुतुब मीनार।।

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