Current Date: 18 Nov, 2024

दर्द

- कमल नायक


जब दर्द हो भक्तो को,
मेरे साईं को भी होता,
जब नींद ना आये हमें,
मेरा साईं भी ना सोता,
जब दर्द हो भक्तों को,
मेरे साईं को भी होता।।

तर्ज – एक प्यार का नगमा है।

एक साईं ही है जग में,
हर रिश्ते निभाता है,
हर मुश्किल में बाबा,
बस दौड़ा आता है,
कोई और नहीं दीखता,
साईं सामने जब होता,
जब नींद ना आये हमें,
मेरा साईं भी ना सोता,
जब दर्द हो भक्तों को,
मेरे साईं को भी होता।।

जो डोर बंधी उसको,
हम कैसे छुड़ाएंगे,
जो है उपकार किये,
हम कैसे भुलाएँगे,
मेरी मिट जाती हस्ती,
गर साईं नहीं होता,
जब नींद ना आये हमें,
मेरा साईं भी ना सोता,
जब दर्द हो भक्तों को,
मेरे साईं को भी होता।।

बाबा ने कृपा अपनी,
जब से बसराई है,
मेरी मुरझाई बगियाँ,
फिर से महकाई है,
हमें इतना दिया उसने,
कभी कम ही नहीं होता,
जब नींद ना आये हमें,
मेरा साईं भी ना सोता,
जब दर्द हो भक्तों को,
मेरे साईं को भी होता।।

जब दर्द हो भक्तो को,
मेरे साईं को भी होता,
जब नींद ना आये हमें,
मेरा साईं भी ना सोता,
जब दर्द हो भक्तों को,
मेरे साईं को भी होता।।

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