मन बसिया रे मन बसिया फागण के रसिया सांवरिया
जबसे प्यारी सूरत देखि तन मन हो गयो बावरिया
छुपा कहा ओ रे सांवरिया तेरे दीवाने आये करके तैयारी
पर्दा हटा ओ मन बसिया रंगेंगे आज सुरतिया सारी
ओ बाबा फागण के रंग की घटा छा गयी
तुमसे मिलने की रुत ये सुहानी आ गयी
ओ खाटू के मुरारी खोलो जरा किवाड़ी
तेरे दर पे तो तेरे दीवाने आ गए
लायी में पिचकारी रंगो से भरी थाली
मस्ती में डूबे मस्ताने आ गए
फागण का मेला है भक्तो का रेला है
महफ़िल जमी रंगी तू क्यों अकेला है
भक्तो की महफ़िल में आजा सांवरे
खोला हमने भी दिल का दरवाजा सावरे
ओ खाटू के मुरारी खोलो जरा किवाड़ी
तेरे दर पे तो तेरे दीवाने आ गए
लायी में पिचकारी रंगो से भरी थाली
मस्ती में डूबे मस्ताने आ गए
मन बसिया रे मन बसिया फागण के रसिया सांवरिया
जबसे प्यारी सूरत देखि तन मन हो गयो बावरिया
ओ खाटू के मुरारी खोलो जरा किवाड़ी
तेरे दर पे तो तेरे दीवाने आ गए
लायी में पिचकारी रंगो से भरी थाली
मस्ती में डूबे मस्ताने आ गए
भक्तो की टोली है करती बरजोरी है
रंगो के रसिया सुन होली है होली है
छोड़ मंदिर को आजा रंगीले सांवरे
तेरे रंग में ही रंगले रंगीले सांवरे
ओ खाटू के मुरारी खोलो जरा किवाड़ी
तेरे दर पे तो तेरे दीवाने आ गए
लायी में पिचकारी रंगो से भरी थाली
मस्ती में डूबे मस्ताने आ गए
केसर मंगाना है रंग में घुलवाना है
करे कन्हैया को लाल बनाना है
फूलो की वर्षा तुम्हारे द्वारे पर
गोल घुमु झुमु तुम्हारे ताले में
ओ खाटू के मुरारी खोलो जरा किवाड़ी
तेरे दर पे तो तेरे दीवाने आ गए
लायी में पिचकारी रंगो से भरी थाली
मस्ती में डूबे मस्ताने आ गए
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