Current Date: 22 Nov, 2024

दादी नाचण दे

- अतुल कृष्ण वृन्दावन


दादी नाचण दे तेरे भक्ता ने,
तेरो खूब सज्यो श्रृंगार,
दादी नाचण दें,
कीर्तन माहि आज छा गई,
कीर्तन माहि आज छा गई,
बागा की बहार,
दादी नाचण दें,
दादी नाचण दें तेरे भक्ता ने,
तेरो खूब सज्यो श्रृंगार,
दादी नाचण दें।।

तर्ज – धमाल।

रंग बिरंगा गजरा सु,
श्रृंगार सज्यो है प्यारो जी,
सुरगा से भी न्यारो लागे,
सुरगा से भी न्यारो लागे,
यो तेरो दरबार,
दादी नाचण दें,
दादी नाचण दें तेरे भक्ता ने,
तेरो खूब सज्यो श्रृंगार,
दादी नाचण दें।।

देख देख श्रृंगार भवानी,
भक्ता रो मन हरषे जी,
टाबरिया थारा आज खड़्या है,
टाबरिया थारा आज खड़्या है,
नाचण ने तैयार,
दादी नाचण दें,
दादी नाचण दें तेरे भक्ता ने,
तेरो खूब सज्यो श्रृंगार,
दादी नाचण दें।।

ठुमक ठुमक कर नाचा दादी,
थाने आज रिझास्या जी,
ताल सु ताल मिलासी म्हारे,
ताल सु ताल मिलासी म्हारे,
घुंगरू की झंकार,
दादी नाचण दें,
दादी नाचण दें तेरे भक्ता ने,
तेरो खूब सज्यो श्रृंगार,
दादी नाचण दें।।

‘हर्ष’ कहे माँ टाबरिया ने,
मत ना रोको टोको जी,
आज भवानी झूम के नाचा,
आज भवानी झूम के नाचा,
भूल में म्हे घरबार,
दादी नाचण दें,
दादी नाचण दें तेरे भक्ता ने,
तेरो खूब सज्यो श्रृंगार,
दादी नाचण दें।।

दादी नाचण दे तेरे भक्ता ने,
तेरो खूब सज्यो श्रृंगार,
दादी नाचण दें,
कीर्तन माहि आज छा गई,
कीर्तन माहि आज छा गई,
बागा की बहार,
दादी नाचण दें,
दादी नाचण दें तेरे भक्ता ने,
तेरो खूब सज्यो श्रृंगार,
दादी नाचण दें।।

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