Current Date: 22 Nov, 2024

चुनड लहर लहराय रही

- Usha Salampuria


थारी चुनर दादी जी लेहेर लहराए रही 
थारी चुनर दादी जी लेहेर लहराए रही 
लेहेर लेहेर  लहराए रही लेहेर लेहेर  लहराए रही 
थारी चुनर दादी जी लेहेर लहराए रही 
थारी चुनर दादी जी लेहेर लहराए रही 

भादि मावस जद भी आवे मन म्हारा हरसावे 
थारी चुनर की छाया में सभी सुहागण चावे 
भादि मावस जद भी आवे मन म्हारा हरसावे 
थारी चुनर की छाया में सभी सुहागण चावे 
सब मिलकर सब मिलकर दादी जी तने चुनरी ओढ़ाई रही 
सब मिलकर दादी जी तने चुनरी ओढ़ाई रही 
थारी चुनर दादी जी लेहेर लहराए रही 

सभी सुहागण भगण मैया ठाणे खूब  सजावै
कर सोलह श्रृंगार  ठाणे हाथ मेहँदी रचावे 
सभी सुहागण भगण मैया ठाणे खूब  सजावै
कर सोलह श्रृंगार हाथ मेहँदी रचावे 
सब मिलके सब मिलकर ज्योति लेवे दादी जी मंगल गाय रही 
सब मिलकर ज्योति लेवे दादी जी मंगल गाय रही 
थारी चुनर दादी जी लेहेर लहराए रही 

थारे आंचल की छाया माँ म्हारे सिर पर वारो
कहें गोपाल के टाबरिया पे प्यार लुटादो थारो 
थारे आंचल की छाया माँ म्हारे सिर पर वारो
कहें गोपाल के टाबरिया पे प्यार लुटादो थारो 
थारी किरपा थारी किरपा दादी जी  या म्हणे तो नचाये रही 
थारी किरपा दादी जी  या म्हणे तो नचाये रही 
लेहेर लेहेर  लहराए रही लेहेर लेहेर  लहराए रही 
लेहेर लेहेर  लहराए रही लेहेर लेहेर  लहराए रही 
थारी चुनर दादी जी लेहेर लहराए रही 
थारी चुनर दादी जी लेहेर लहराए रही 
थारी चुनर दादी जी लेहेर लहराए रही 
 

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