छोटे से टूटे से इस घर में आई अम्बे माँ,
देखलो आकर जग वालो मेरी जगदम्बे माँ,
अपने हाथो भोग लगाउ गा मैया,
रुखा सूखा जो है खिलाऊ गा मैया,
मेरे मन के मंदिर में तू ही माँ वसी,
सोच मुझे पागल ये दुनिया है हसी,
छोटे से टूटे से इस घर में आई अम्बे माँ
पूजा जानू न साधना जानू ना कैसे मैं तेरा सतिकार करू,
जी ये चाहता है तुझको बिठा के माँ अपने हाथो सिंगार मैं करू,
देख तुझे सामने होश खो जाये काया करू क्या नहीं मन समज न पाए,
तू जो कहे मुझसे करू आज मैं वही,
सोच मुझे पागल ये दुनिया है हसी,
पाई कभी ना माँ की ममता जनम देकर मुख मोड़ चली,
मैंने तुजे ही अपना मन है टूट जाऊ जो छोड़ तू चली,
माँ तेरा प्यार हर एक रूप में मिले जीवन की छाव और धुप में मिले,
तेरे सिवा मेरा कोई और नही ,
सोच मुझे पागल ये दुनिया है हसी,
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