Current Date: 17 Nov, 2024

छठ पूजा की विधि

- तन्नु कुकरेजा


छठ पूजा का महापर्व उतर भारत और खासतौर पर बिहार, यूपी और झारखंड़ मे बहुत उत्साह के साथ मनाया जाता है। छठ पूजा की शुरूआत नहाय खाय से होती है, इसके अगले दिन खरना होता है तीसरे दिन छठ पर्व का प्रसाद तैयार किया जाता है । और स्नान कर डूबते सूर्य को अर्घ दिया जाता है छठ पर्व के चौथे दिन और आखिरी दिन उगते सूर्य की आराधना की जाती है! इस तरह चार दिवसीय छठ पर्व पूर्ण होता है

छठ पूजा में क्यों की जाती है सूर्य की आराधना

छठ पूजा में सूर्य की आराधना का विशेष महत्व होता है ! धार्मिक मान्यताओं के अनुसार छठी माता को सूर्य देव की बहन माना जाता है ! छठ पर्व मे सूर्य की उपासना करने से छठ माता प्रसन्न होती है और घर मे सुख शांति प्रदान करती है छठ पर्व कार्तिक शुक्ल षष्ठी के मनाया जाता है । 

छठ पूजा व्रत विधि

भगवान सूर्य देव को पूर्ण रूप से समर्पित ये त्यौहार पूरी स्वच्छता के साथ मनाया जाता है इस व्रत को पुरुष और स्त्री दोनों ही सामान रूप से धारण करते है ! ये पावन पर्व पूरे चार दिनो तक चलता है व्रत के पहले दिन यानि कार्तिक शुक्ल चतुर्थी को नहाये खाये होता है जिसमे सारे व्रती आत्म शुद्धि के हेतु केवल शुद्ध आहार का ही सेवन करते है ! कार्तिक शुक्ल पंचमी के दिन खरना रखा जाता है जिसमे शरीर के शुद्धिकरण के बाद पूजा करके संध्या काल में ही गुड़ की खीर और पूड़ी बना कर छठी माता को भोग लगया जाता है इस खीर को प्रसाद के तौर पर सबसे पहले व्रतियों को खिलाया जाता है और फिर ब्राह्मणो और परिवार में बाँटा जाता है ! कार्तिक शुक्ल षष्ठी के दिन घर में पवित्रता के साथ कई तरह के पकवान बनाये जाते हैं जैसे  की ठेकुआ पूरी चावल के लड्डू फल रखे जाते है और सूर्य अस्त होते ही सारे पकवान को बाँस के बड़े बड़े डालो में भर कर निकट घाट पर ले जाया जाता है नदियों में गन्ने का घर बना कर उन पर दीप भी जलाये जाते है व्रत करने वाले सारे स्त्री और पुरुष जल में स्नान कर इन डालो को अपने हाथो में उठाकर छठी माता और सूर्य देव को अर्घ देते हैं ! सुर्या अस्त के पश्चात सब अपने अपने घर वापस आकर सह परिवार रात भर सूर्य देवता का जागरण करते है इस जागरण के छठ के गीतों का अपना एक अलग ही महत्व है कार्तिक शुक्लसप्तमी को सूर्य उदय से पहले ब्रह्म  मूरत में सायं काल डालो में पकवान नारियल फलदान रख नदी के तट पर सारे व्रती जमा होते है इस दिन व्रत करने वाले स्त्रियों और पुरुषों को उगते हुए सूर्य को अर्घ देना होता है इसके बाद छठ व्रत की कथा सूनी जाती है और कथा के बाद प्रसाद वितरण किया जाता है इस तरह हमारे देश में छठ पर्व मनाया जाता है

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