जटा में गंगा माथे पे चंदा तन में भस्म रमाया है
गोरा संग केलाश विराजे अद्भुद तेरी माया है
जटा में गंगा माथे पे चंदा तन में भस्म रमाया है
मुझको भी हे नाथ बुलालो दर्शन दो के जिया जुडा,
जपु मैं ॐ नमः शिवाय शम्बू रहना सदा सहाए
बेल पत्र सा तीन नेत्र है तीनो लोक निहार रहे
भोले नाथ जी देदो साथ जी भक्त तुम्हारे पुकार रहे
सावन के जैसा ही मुझपर भगती का रस दो बरसा
जपु मैं ॐ नमः शिव्ये
महादेव हो महाकाल हो उमा पति अविनाशी
तुम्ही अधि हो तुम्ही अंत हो तुम्ही नाथ घट घट वासी
कुंदन पुनीत कुमार अमित का जीवन दो सफल बना
जपु मैं ॐ नमः शिव्ये
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