Current Date: 17 Nov, 2024

चलो ना साँवरे के

- संजय मित्तल जी।


चलो ना साँवरे के दर,
वही दिन बीत जायेगे,
सुना है भजनो से रीझे,
नये हम गीत गायेगे,
चलो ना साँवरे के दर,
वही दिन बीत जायेगे।।

तर्ज – खिलौना जानकर तुम तो।

सुना है हार कर जो भी,
शरण में इनकी आता है,
के देखे ना कभी फिर हार,
सहारा जब वो पाता है,
अभी तक हारते आये,
के हम भी जित जायेगे,
चलों ना साँवरे के दर,
वही दिन बीत जायेगे,
सुना है भजनो से रीझे,
नये हम गीत गायेगे।।

गुनाह जो करते है पापी,
सुना वो भी यहाँ करते,
है मिलती माफ़ी उनको भी,
गले से वो भी है लगते,
गुनाह होंगे हमारे माफ़,
हमें भी मीत बनायेगे,
चलों ना साँवरे के दर,
वही दिन बीत जायेगे,
सुना है भजनो से रीझे,
नये हम गीत गायेगे।।

सुना है प्रेमी का प्रेमी,
इसे बस प्रेम भाता है,
तभी तो दानी है ये श्याम,
ये करूँणा ही बहाता है,
कहें ‘निर्मल’ के श्याम के दर,
 हम भी प्रीत पाएंगे,
चलों ना साँवरे के दर,
वही दिन बीत जायेगे,
सुना है भजनो से रीझे,
नये हम गीत गायेगे।।

चलो ना साँवरे के दर,
वही दिन बीत जायेगे,
सुना है भजनो से रीझे,
नये हम गीत गायेगे,
चलो ना साँवरे के दर,
वही दिन बीत जायेगे।।

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