इन दिनों चैत्र नवरात्रि के व्रत रखे जा रहे हैं. नवरात्रि के दिनों में हर दिन देवी के अलग-अलग रूपों की पूजा करने का विधान है. आज 15 October को नवरात्रि का तीसरा दिन है. इस दिन माता चंद्रघंटा की पूजा की जाती है. माता चन्द्रघंटा का स्वरूप सौम्य और तेजवान है. इनके सिर पर घंटे के आकार का चंद्रमा है, इसलिए इन्हें चन्द्रघंटा कहा जाता है. यहां जानिए माता चंद्रघंटा के स्वरूप का वर्णन, उनकी पूजा का शुभ मुहूर्त, पूजा विधि, भोग और शुभ रंग.
ऐसा है माता चंद्रघंटा का रूप
माता चन्द्रघंटा का स्वरूप साहस, वीरता और निर्भयता का प्रतीक है. उनका शरीर स्वर्ण की तरह चमकीला है और मस्तक पर घंटे के आकार का अर्धचंद्र बना है. उनके दस हाथ हैं. हाथों में वे त्रिशूल, तलवार, खड्ग और गदा आदि शस्त्र धारण करती हैं और बाघ की सवारी करती हैं. पौराणिक कथा के अनुसार दैत्यों और असुरों के साथ युद्ध में देवी ने घंटों की टंकार से ही असुरों का नाश कर दिया था.
प्रिय रंग और भोग
माता चंद्रघंटा की पूजा के समय उन्हें लाल या नारंगी रंग की चीजों का इस्तेमाल करें. उन्हें लाल चंदन, लाल पुष्प, लाल चुनरी आदि लाल चीजें अर्पित करें और दूध से बनी चीजों का भोग लगाएं. मां चंद्रघंटा की पूजा से शत्रुओं का नाश होता है. व्यक्ति भयमुक्त बनता है. माता को विघ्नहर्ता माना जाता है, ऐसे में मातारानी के इस रूप की पूजा करने से व्यक्ति के जीवन के सारे विघ्न दूर होते हैं. भूत, प्रेत आदि बाधाएं निकट नहीं आतीं और व्यक्ति पर तंत्र-मंत्र का असर नहीं होता. इसके अलावा मंगल ग्रह को माता चन्द्रघंटा द्वारा शासित माना गया है. ऐसे में मां के भक्तों के जीवन से मंगल के अशुभ प्रभाव दूर होते हैं.
ऐसे करें पूजन
सबसे पहले प्रथम पूज्य गणपति को याद करें और कलश पूजन करें. इसके बाद माता चन्द्रघंटा की पूजा करें. माता को पंचामृत से स्नान कराने के बाद लाल चीजें अर्पित करें. धूप-दीप, पान, लौंग का जोड़ा, सुपारी, दक्षिणा, भोग आदि अर्पित करें. इसके बाद माता के मंत्रों का जाप करें और दुर्गा चालीसा, सप्तशती आदि का पाठ करें. इसके बाद आरती करें.
मां चंद्रघंटा के मंत्र-
पिण्डज प्रवरारूढा चण्डकोपास्त्रकैर्युता, प्रसादं तनुते मह्यम् चन्द्रघण्टेति विश्रुता
ॐ देवी चन्द्रघण्टायै नमः
ॐ ऐं श्रीं शक्तयै नम:
या देवी सर्वभूतेषु मां चन्द्रघण्टा रूपेण संस्थिता, नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः
आह्लादकरिनी चन्द्रभूषणा हस्ते पद्मधारिणी, घण्टा शूल हलानी देवी दुष्ट भाव विनाशिनी
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