Current Date: 18 Nov, 2024

बूहे भावें मन्दिराँ दे खोल या ना खोल,

- नीतू शर्मा


बूहे भावें मन्दिराँ दे खोल या ना खोल,
अस्सी कुण्डा खड़कायी जाना ए ।
मर्जी ए तेरी चाहे बोल या न बोल,
ऐसी माँ माँ कह के बुलाई जाना ए ॥

बच्चेयाँ दी भूलां उत्ते मावां पौन पर्दा,
भूल हो ही जांदी ए, कोई जान के नहीं करदा ।
लख्ख फटकार भावें गुस्से विच्च बोल,
ऐसी हसके तैनू वी मनाई जाना ए ॥

चाहे दुत्कार चाहे ठोकरा वी मार माँ,
ऐसी वी हां टीठ पक्के छडांगे ना द्वार माँ ।
सुख विच रख भावें दुख विच्च रोल,
अस्सी सर अपना ही झुकाई जाना ए ॥


बच्चियां दे बाजो तैनू माँ किसे कहना नहीं,
बच्चियां नाल रूस के माँ चैन तैनू पैना नहीं ।
कदी खुश होके जे बुलावेंगी माँ कोल,
हस हस के तैनू वी हसाई जाना ए ॥

तेर ते ही हक्क साडा तेरे ते ही ज़ोर माँ,
तेरे बिना गल्ल साडी सुने कौन होर माँ ।
सुन या न सुन लेना सुख दुःख फ़ोल,
हाल ए दिल ‘दास’ ने सुनाई जाना ए ॥

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