बोलो जी दयालु दिलदार के करूँ,
बोलो बोलो थारी मनुहार के करूँ।।
मन को नगीनों थाने सौंप दियो,
जाणके दरद प्रभु मोल लियो,
जीत और हार को विचार के करूँ,
बोलो बोलो थारी मनुहार के करूँ,
बोलो जी दयालु दिलदार के करूं,
बोलो बोलो थारी मनुहार के करूँ।।
मेरे कने थे काई छोड्यो है,
छलिये सु रिश्तों जोड़यो है,
नेहड़ो लगाके तक़रार के करूँ,
बोलो बोलो थारी मनुहार के करूँ,
बोलो जी दयालु दिलदार के करूं,
बोलो बोलो थारी मनुहार के करूँ।।
फांस लियो मीठी मीठी बातां में,
बिक गयो जीव थारे हाथां में,
थारे से अकड़ करतार के करूँ,
बोलो बोलो थारी मनुहार के करूँ,
बोलो जी दयालु दिलदार के करूं,
बोलो बोलो थारी मनुहार के करूँ।।
जाण के ग़रीब क्यूँ ई रहम करो,
विनती पे मेरी प्रभु ध्यान धरो,
जीवन की पतवार के रखवार के करूँ,
बोलो बोलो थारी मनुहार के करूँ,
बोलो जी दयालु दिलदार के करूं,
बोलो बोलो थारी मनुहार के करूँ।।
‘श्याम बहादुर शिव’ रसियो,
हस बतलाओ मेरे मन बसियो,
लागी मेरे नेह की कटार के करुँ,
बोलो बोलो थारी मनुहार के करूँ,
बोलो जी दयालु दिलदार के करूं,
बोलो बोलो थारी मनुहार के करूँ।।
बोलो जी दयालु दिलदार के करूँ,
बोलो बोलो थारी मनुहार के करूँ।।
अगर आपको यह भजन अच्छा लगा हो तो कृपया इसे अन्य लोगो तक साझा करें।