कोरस :- ॐ गण गणपतये नमः ॐ गण गणपतये नमः
ॐ गण गणपतये नमः ॐ गण गणपतये नमः
M:- भाद्र पद शुक्ल चतुर्थी की एक घटना अमर हुई
माँ गौरा ने मेल से अपने एक पुतले की रचना करी
एक पुतले की रचना करी
M:- ऐसा कौन होगा ऐसा कौन होगा
बोलो कौन होगा ऐसा कौन होगा
ओ बोलो गणपति नमः
कोरस:- गण गणपतये नमः
एक दन्ताये नमः
कोरस :- एक दन्ताये नमः
M:- जब शंकर ना होते थे कैलाश में
शिव शंकर ना होते थे कैलाश में
ओ मन बहलाती थी सखियों संग पारवती
ओ मन बहलाती थी सखियों संग पारवती
जया विजय सहेली सदा बोलती
जया विजय सहेली सदा बोलती
शिव के गण तो हमारी बाते सुनते नहीं
शिव के गण तो हमारी बाते सुनते नहीं
अरे नंदी भी तो सभी शिव शंकर के ही गण है
शिव की आज्ञा माने उसकी ही तप एक कण है
आज्ञा हमारी मानने में ये करे है आना कानि
इनके ऊपर चलती है बस शिव की है मनमानी
हो ऐसे ही गण आज्ञाकारी हमारे पास हो
सिर्फ हमारी बात सुने जिन पर विशवास हो
लेकिन कौन होगा ऐसा कौन होगा
सोचे सखी सहेलिया ऐसा कौन होगा
ओ बोलो गणपतय नमः
कोरस :- गण गणपतये नमः
M:- एक दन्ताये नमः वक्रतुण्डाय नमः
जब शिव जी ना होते थे कैलाश में
कोरस :- ॐ गण गणपतये नमः ॐ गण गणपतये नमः
ॐ गण गणपतये नमः ॐ गण गणपतये नमः
M:- फिर माता उमापति बोले सखियों एक दिन की बात बताऊ
शंकर जी सभा में गए थे तुमसे कुछ ना छुपाऊ
मैं बोली थी नंदी को तू द्वार पे पहरा देना
जब तक में ना कहु तू किसी को भीतर ना आने देना
इतना कहकर स्नानागार में स्नान करने को में आयी
निर्मल शीतल लहर वो जल की मन को मेरे भायी
लोट के वापिस शिव जैसे ही घर के भीतर आये
थर थर कांपता उनको देखके नंदी रोक ना पाए
M:- स्नान कर ही रही थी मैं शिव आ गए
कोरस :- गणपतय नमः गणपतय नमः
M:- स्नान कर ही रही थी मैं शिव आ गए
शिव ने देखा तो में बतलाजा गयी
शिव ने देखा तो में बतलाजा गयी
नंदी ने मेरा विशवास तोड़ दिया
करके भरोसा शिवगणों में मैं पछता गयी
करके भरोसा शिवगणों में मैं पछता गयी
देख निराश पारवती को जाया विजया सुन पाती
तुमसे ही सारी सृष्टि है तुम काहे घबराती
M:- जैसे शिव गणो को पसंद है शिव आज्ञा में ही रहना
तुम भी अपने गैन रखो जो माने तुम्हरा कहना
विनती सुनो सखी पार्वती करो कोई तो जतन
घास फुस माटी से बनाओ कोई अपना तन
लेकिन कौन होगा
कोरस :- ऐसा कौन होगा
M:- सोचे पार्वती मैया
कोरस :- ऐसा कौन होगा
M:- ओ बोलो गणपतय नमः
कोरस :- गण गणपतये नमः
M:- गौरीतनया नमः बाल गंधाये नमः
जब शिव जी ना होते थे कैलाश में
बात सुनो गौरा महारानी शक्ति आदि भवानी
तुम अपने कण की लिख दो एक अदुभुत अमर कहानी
माता उमा को लग गई सखियों की बाते अति प्यारी
ममता पास पाने को थी माँ लालित भारी हो योगी
नटखट आती पावन एक अंश हो मेरे तन का टुकड़ा हो उसे ही शिव वंश हो
जिसके बल के आगे कोई भी टिक नाही पाए
हर दम मेरी आज्ञा माने चाहे जो हो जाए
होगा गण मेरा लाला वो पुत्र पिया -२
जो बड़े प्यार से मुझको बोलेगा माँ -२
फूल जैसा खिले कोई हर रंग सा
सोच के ही ये झूमे मेरी आत्मा -२
करे जिसकी मोहनी सूरत मेरे शंकर के जैसी हो
जिसकी महिमा लोक परमलोक के घर घर तक फली हो
अति आज्ञाकारी हो मेरे ह्रदय का वो हो टुकड़ा
झट संकट से निवारे उसको जिसने सुनाया दुखड़ा
हो कुछ क्षण तक तो माता उमा ने सोच विचार किया
रिद्धि सिद्धि बल बुद्धि का दाता होगा पुत्र मेरा
लेकिन कौन होगा
कोरस :- ऐसा कौन होगा
M:- सोचे शक्ति मैया
कोरस :- ऐसा कौन होगा
M:- ओ बोलो गणपतय नमः
कोरस :- गण गणपतये नमः
M:- गौरीतनया नमः भालचन्द्राय नमः
जब शिव जी ना होते थे कैलाश में
कोरस :- ॐ गण गणपतये नमः ॐ गण गणपतये नमः
ॐ गण गणपतये नमः ॐ गण गणपतये नमः
M:- कुछ दिन पहले शिव जा रखे थे करने तपस्या वन में
देवी उमा ये सोच रही थी बैठी अकेले मन में
क्या करू मै कैसे रचु अपने उस अद्भुत गण को
जो दूर करे हर पल मेरी ममता के सूनेपन को
फिर सर्व शक्ति माता रानी कुछ ऐसा निर्णय लेती है
हर माँ अपने कक्ष से अपने पुत्र को जन्म है देती
फिर माँ ने अपने अंगो से उबटन मेल निकाला
करके इक्कठा उस उबटन को एक पुतला रच डाला
माँ उमा ने अपनी काया के मेल से
कोरस :- गणपतय नमः गणपतय नमः
M:- माँ उमा ने अपनी काया के मेल से
एक पुतले की रचना कर डाली -२
मन मोहक बना के साँस उस पुतले में जान भर डाली
वो अति पावन अति मन भावन बेहद ही था अनोखा
जिसको देखने को प्रकृति ढूंढ रही थी मौका
उसके तेज के आगे सूरज की किरणे थी फीकी
पूर्ण ब्रह्माण की रचना माँ ने उसमे ही तो की थी
हो नजर हटा नहीं सकता उसको जो भी देखता
हो जिसकीझलक पाने को तरसे देवी देवता
लेकिन कौन होगा
कोरस :- ऐसा कौन होगा
M:- ये सोचे शक्ति मैया
कोरस :- ऐसा कौन होगा
M:- ओ बोलो गणपतय नमः
कोरस :- गण गणपतये नमः
M:- लबोदराये नमः गौरीसुताय नमः
जब शंकर ना होते थे शिव लोक में
मानो माँ की वर्षो की तपस्या फलित हुयी है
जन्मो जन्मो का प्यार उसमे अपना लुटा रही है
बोली बेटा तु मेरा रक्षक पहरे दारी करना
मुझको स्नान है करना तु द्वार पे पहरा देना
फिर माँ ने नन्हे बालक को घर के द्वार बिठाया
बोली हे तेजस्वी बेटा तुझमे है मेरी काया
मेरा गण तु द्वारपाल तुझसे मेरी भावनाये
मेरी आज्ञा बिन कोई अंत पुर में न आने पाए
बालक ने माँ गौरा को नमन किया
कोरस :- गणपतय नमः गणपतय नमः
M:- उस तेजस्वी बालक ने माँ गौरा चरणों में नतमस्तक प्रणाम किया
माँ तुम्हारी हर आज्ञा श्रीओधारय है आज्ञा मानूँगा मै वचन है दिया
चाहे मौत ही आ जाए चाहे सर ही काट जाए
चाहे तांडव हो या फिर ज्वाला मुखी फट जाए
आपकी आज्ञा बिन कोई माँ भीतर ना आ पायेगा
लाख मना के जो ना माने जान से वो जायेगा
हो माता रानी ने उसके मस्तक को चूम लिया
खाने को मोदक का उसको भोग प्रसद दिया
ऐसा कौन होगा
कोरस :- ऐसा कौन होगा
M:- सोचे पर्वत नदिया
कोरस :- ऐसा कौन होगा
M:- ओ बोलो गणपतय नमः
कोरस :- गण गणपतये नमः
M:- एक दन्ताये नमः वक्रतुण्डाय नमः
जब शिव जी ना होते थे कैलाश में
कोरस :- ॐ गण गणपतये नमः ॐ गण गणपतये नमः
ॐ गण गणपतये नमः ॐ गण गणपतये नमः
माता चली गई स्नान करण को द्वार पे बालक बैठा
मस्त मगन हो मोदक का लड्डुन भोग लेता
जीव जंतु भी हो गए उसकी काया के दीवाने
करे मित्रता सब से लेकिन कौन है कोई ना जाने
जो भी शिव पार्वती से मिलने कैल्श में है आता
बालक बेहद मीठी बोली में उनको बतलाता
स्नानगृह में मेरी माता स्नान कर रही है थोड़े समय
तक प्रतीक्षा करो जब तक वो सुमार रही है
उसको एक टक निहारे खड़े सब वहां
कोरस :- गणपतय नमः गणपतय नमः
M:- उसको एक टक निहारे खड़े सब वहां
थोड़े हैरान से है थोड़ेहै परेशान -२
शिव गौरा का ये पुत्र कब है हुआ इस बात से है हम सब अंजा
शिव ने तो इस विषय में हमे नहीं है बताया ना ही माँ उमा ने कहा
के घर में है लाला आया जान गए वो शिव शक्ति की है ये कोई माया
जैसा भी है सबके मन को वो बालक अति भया सोच के सब हैरान परेशान
तब ये बात हुए कोई रहस्य है फिर कोई घटना अचानक हुयी
ऐसा कौन होगा
कोरस :- ऐसा कौन होगा
M:- सोचे देवलोक वासी
कोरस :- ऐसा कौन होगा
M:- बोलो गणपतय नमः
कोरस :- गण गणपतये नमः
M:- एक दन्ताये नमः वक्रतुण्डाय नमः
जब शंकर जी ना होते थे कैलाश में
M:- लौट तपस्या से आये भोले शंकर भंडारी
अश्त्र त्रिशूल वो भस्मरामिया जो बाबा बाघम्बरधारी
जैसे ही घर के भीतर प्रवेश करने लगे वो
द्वारपाल वो बालक झट से द्वार पे रोके उनको
शिव बोले तु कौन है बालक रास्ता मेरा क्यों रोके
मुझको मेरे ही घर में जाने से क्यों तु टोके
मै राजकुमार हूँ वो बोला अंदर मेरी माता नहाये
उनकी आज्ञा मुझको तब तक कोई ना भीतर आये
शिव बोले हे नटखट बालक सुनो
कोरस :- गणपतय नमः गणपतय नमः
M:- शिव बोले हे नटखट बालक सुनो
ना मेरे साथ ऐसा उपहास करो -२
व्यर्थ जो तु समय को गवाए यहाँ
ढ़ूंढ़त होंगे तुझको तेरे बाप माँ -२
द्वार से हैट जा भूख और प्यास लगी है मेरे तन को
कई दीनो से नयन भी प्यासे पार्वती दर्शन को
शंकर मै महाकाल तीनो लोक है मुझमे समाये
पैदा हुआ नहीं कोई लाल जो मुहको रोक के दिखाए
इतना कह के शिव ने उसको क्रोध में धका दिया
उसके स्पर्श मात्र से शिव को कुछ ऐसा लगा
ये कोई शक्तिशाली मायावी दानव होगा
सोचे शम्भु भोला
कोरस :- ऐसा कौन होगा
M:- ये कोई शक्तियशाली
कोरस :- ऐसा कौन होगा
M:- ओ बोलो गणपतय नमः
कोरस :- गण गणपतये नमः
M:- कैलाशपति आये कैलाश में
कोरस :- ॐ गण गणपतये नमः ॐ गण गणपतये नमः
M:- ॐ गण गणपतये नमः ॐ गण गणपतये नमः
भेद अभद्र भाषा में बालक शिव से है कहता
तुम जैसे पागल के डराए कभी नहीं मै डरता
शंकर हो या कंकड़ हो मुझे कोई भी भी ना सताये
जब तक माँ का साथ तब तक मौत छू ना पाए
शिव कहते है क्यों तु अपने काल को है ललकारे
क्यों तु मुहजको रौद्र रूप में आने को है पुकारे
अंतिम बार कहूंगा तुझको मेरे द्वार से तु हट जा रे
बहुत बार हुआ मेरे क्रोध की ज्वाला और ना तु भड़का रे
उमा गण को लानी कृष्ट वाणी सुनो
कोरस :- गणपतय नमः गणपतय नमः
M:- उमा गण बोला सुनो हे निरृष्ट प्राणी
दीखता प्रेत जे जैसा बोले घटिया वाणी -२
तु चला जा यहाँ से अभी के अभी
वरना भस्म कर दूंगा ये काया तेरी -२
तब क्रोध में हो कर संभुलाला ने आप खो दिया था
त्रिशूल से अपने प्रचंड वेग से उस पर वार किया था
बालक का सर कट के धर से निचे गिर जाता है
ऊँचे स्वर में मुख से वो हे माते चिल्लाता है
हो उसके प्राण पखेरू उड़ गए है परलोक में
लेकिन हे माते की ध्वनि गूंजे हर लोक में
कौन ये चीखा होगा
कोरस :- ऐसा कौन होगा
M:- तीनो लोक के वासी सोचे
कोरस :- ऐसा कौन होगा
M:- बोलो गणपतय नमः
कोरस :- गण गणपतये नमः
M:- एक दन्ताये नमः वक्रतुण्डाय नमः
तीनो लोको के नाथ बड़े विकराल है
M:- सुनकर रुदन करूँ पुकार माता है घबराई
शयद कोई अनरथ हुआ घनघोर घटा है छायी
हाफ्ते हाफ्ते दौड़ी दौड़ी घर के बहार आयी
विकत नजारा बहार का देख के माँ चकराई
एक तरफ लाला का सर धड़ से अलग पड़ा है
दूजी और रौद्र रूप में शंकर नाथ खड़ा है
नैन से अश्रु धार है भाटी मुख से पूछे भवानी
इस बालक की ऐसी दुर्दशा किसने की है स्वामी
किसने छीना है मुझसे मेरे लाल को
कोरस :- गणपतय नमः गणपतय नमः
M:- किसने छीना है मुझसे मेरे पुत्र को
लाओ सन्मुख मेरे उस दुष्ट को -२
मौन जो हो हे शंकर महादेव तुम
कौन है जो किया जिसने ऐसा अधर्म -२
ज्वालामुखी फटने लगा माँ बना गयी है चामुंडा
काली विकारल रूप धरा है हाथ में दानव मुंडा
धरती अम्बर डोलते है तीनों लोक थर्राये
लोक परलोक है थार थार कापे लोग सभी घबराये
हो नव दुर्गा अब प्रकट हो चुकी है अब शिवलोक में
हो विध्वंश हॉवे प्रलय आ गई तीनो लोक में
हो भयभीत हो गए सारे देवी देवता
अब सब यही है सोचे उपाए क्या होगा
बोलो गणपतय नमः
कोरस :- गण गणपतये नमः
M:- एक दन्ताये नमः गौरीतनया नमः
शिव के हाथो ये कैसा अनर्थ हुआ
कोरस :- ॐ गण गणपतये नमः ॐ गण गणपतये नमः
M:- ॐ गण गणपतये नमः ॐ गण गणपतये नमः
सम्पूर्ण ब्रह्माण्ड में माँ शक्तिया तांडव मचा रही है
डरे हुए है देवी देवता माँ को मना रहे हैं
कई याचना कर के भी जब उमा भगवती ना मानी
ब्रह्मा विष्णु सभी देवता शिव को रिझा रहे है
क्रोध जो शांत हुआ शिव का तो सोचे है त्रिपुरारी
गौरा गण का वध है किया है भूल हुयी अति भारी
कुछ नहीं किया तो हाहाकार चारो और मचेगा
देवी उमा को मेरे अलावा कोई ना रोक सकेगा
जग के पालक श्री हारी विष्णु सुनो
कोरस :- गणपतय नमः गणपतय नमः
M:- जग के पालक श्री हारी विष्णु सुनो
तुम यहाँ से उतर दिशा को चलो -२
मार्ग में जो पहला प्राणी दिखे जो अभी
काट के उसका मस्तक ले आओ प्रभु -२
हो उतर दिशा के और चले है तीनोलोक के स्वामी
किसी निर्दोष का वध ना हो हरि है अन्तर्यामी
ऐरावत हाथी जिसको इंद्र ने श्राप दिया था
काट का धड़ उसका सर से हरि ने मोक्ष किया था
बालक के धड़ लग है चूका हाथी का मस्तक
हो देवी उमा संग देव सभी हो गए अति प्रसन्न
बोलो गणपतय नमः
कोरस :- गण गणपतये नमः
M:- बोलो गणपतय नमः
कोरस :- गण गणपतये नमः
M:- एक दन्ताये नमः वक्रतुण्डाय नमः
बोलो गणपतय नमः गौरी तान्या नमः
देवी गौरा ने शिव से है दो वर लिए
गणो का राजा होगा मेरा गंधिपति
प्यार से इसको बोले सभी गणपति -२
देवो में सर्व प्रथम पूजा जायेगा
हर जगह सर्व प्रथम स्थान पायेगा -२
अरे शिव संग सभी देवताओं में ख़ुशी से स्वीकारा था
चहु दिशा में माता संग गणपति जयकारा था
महाप्रलय की जगह अब पुनः खुशियां लौट आयी है
गणपत लीला की स्तुति सभी ने तो गयी है
हो तीनोलोक में आनंदित वातावरण हो गया
हो देवी देवता झूमते मन करण हो गया
बोलो गणपतय नमः एक दन्ताये नमः वक्रतुण्डाय नमः
भाल चन्द्रायै नमः गौरीतनयाय नमः
बोलो गणपतय नमःगण गण पतय नमः
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