अनुसूची (Contents) |
1. विवरण (Description) |
2. जीवन परिचय (Biography) |
3. परिवार (Family) |
4. शिक्षा दीक्षा (Education) |
5. कहाँ है बागेश्वर धाम (Where is Bageshwar Dham) |
6. पुरस्कार(Awards) |
पूरा नाम (Full Name) |
धीरेन्द्र कृष्ण शास्त्री (Dhirendra Krishna Shastri) |
जन्मतिथि (Date of Birth) | 4 जुलाई 1996 (12 July 1996) |
जन्मस्थान (Birthplace) | गड़ा, छतरपुर, भारत (Gada, Chhattisgarh, India) |
राष्ट्रीयता (Nationality) | भारतीय (Indian) |
धर्म (Religion) | हिन्दू (Hindu) |
वैवाहिक स्थिति (marital status) | अविवाहित (Unmarried) |
जीवन परिचय
पंडित धीरेन्द्र कृष्ण शास्त्री जी का जन्म 4 जुलाई 1996 में छतरपुर जिले के छोटे से गांव ग्राम गड़ा में हुआ था। वे एक बहुत ही गरीब परिवार से संबंध रखते हैं। खुद धीरेंद्र शस्त्री अपने के एक दरबार में कहते हैं कि बचपन में उनके पास कभी-कभार एक वक्त का भोजन भी नहीं मिलता था। हमारे पिताजी गरीब थे। वे दान दक्षिणा लेकर ही हमारा भरण पोषण करते थे। एक दिन हमने उनसे कहा की हम भी पढ़ना लिखना चाहते हैं। वृंदावन में जाकर कर्मकांड पढ़ना चाहते हैं। उनके पिताजी के पास उस वक्त 1000 रुपए नहीं थे। उन्होंने गांव में कई लोगों से उधार रुपए मांगे कि मेरे बेटा पढ़ना चाहता है लेकिन किसी ने उधार नहीं दिया। क्योंकि सभी जानते थे कि यह चुका नहीं पाएगा। हम तब वृंदावन नहीं जा पाए।
परिवार
धीरेंद्रजी के पिता का नाम राम करपाल गर्ग और मां का नाम सरोज गर्ग बताया जाता है। उनका एक छोटा भाई और एक बहन है। उनके दादाजी एक सिद्ध संत थे जिनका नाम भगवानदास गर्ग था। वह निर्मोही अखाड़े से जुड़े हुए थे। वे भी दरबार लगाते ते। पंडित धीरेन्द्र कृष्ण शास्त्री अपने दादाजी को ही अपना गुरु मानते थे। उन्होंने ही उन्हें रामायण, और भागवत गीता का अध्ययन करना सिखाया था।
शिक्षा दीक्षा
पंडित धीरेन्द्र कृष्ण शास्त्री ने बड़ी मुश्किल हालातों में 8वीं तक पढ़ाई अपने गांव में की। इसके बाद की पढ़ाई के लिए वे 5 किलोमीटर पैदल चलकर गंज में जाते थे। वहां से उन्होंने 12वीं तक की पढ़ाई की और फिर बाद में बीए प्राइवेट किया। लेकिन बाद में हनुमानजी और उनके स्वर्गीय दादाजी की ऐसी कृपा हुई की उन्हें दिव्य अनुभूति का अहसास होने लगा और वे भी लोगों के दु:खों को दूर करने के लिए दादाजी की तरह दिव्य दरबार लगाने लगे।
हालांकि 9 वर्ष की उम्र में ही वे हनुमानजी बालाजी सरकार की भक्ति, सेवा, साधना और पूजा करने लगे थे। कहते हैं कि इसी साधना का उन पर ऐसा असर हुआ की, बालाजी की कृपा से उन्हें सिद्धियां प्राप्त हुई।
कहाँ है बागेश्वर धाम
छतरपुर के पास गढ़ा में बागेश्वर धाम है जहां पर बालाजी हनुमानजी का मंदिर है। हनुमानी के मंदिर के सामने ही महादेवजी का मंदिर है। मंदिर के पास ही उनके दादाजी का समाधी स्थल और उनके गुरुजी का समाधी स्थल है। यहां पर मंगलवार को अर्जी लगती है। अर्जी लगाने के लिए लोग लाल कपड़े में नारियल बांधकर अपनी मनोकामना बोलकर उस नारियल को यहां एक स्थान पर बांध देते हैं और मंदिर की राम नाम जाप करते हुए 21 परिक्रमा लगाते हैं। यहां पर लाखों की संख्या में नारियल बंधे हुए मिल जाएंगे। मंदिर के पास ही गुरुजी का दरबार लगता है जहां पर लाखों की संख्या में लोग आते हैं
पुरस्कार
2022
-
संत शिरोमणि
-
वर्ल्ड बुक ऑफ लंदन
-
वर्ल्ड बुक ऑफ यूरोप
Biography
Pandit Dhirendra Krishna Shastri ji was born on 4 July 1996 in village Gada, a small village in Chhatarpur district. He belongs to a very poor family. Dhirendra Shastri himself says in one of his courts that in his childhood, he sometimes did not get even a single meal at a time. My father was poor. They used to feed us only by taking donations and dakshina. One day I told him that I also want to read and write. I want to go to Vrindavan and study rituals. His father did not have 1000 rupees at that time. He asked for loan money from many people in the village that my son wanted to study but no one gave loan. Because everyone knew it would not pay off. I could not go to Vrindavan then.
Family
Dhirendraji's father's name is said to be Ram Karpal Garg and mother's name is Saroj Garg. He has a younger brother and a sister. His grandfather was a Siddha saint whose name was Bhagwandas Garg. He was associated with Nirmohi Akhara. Pandit Dhirendra Krishna Shastri considered his grandfather as his guru. It was he who taught them to study the Ramayana, and the Bhagavad Gita.
Education
Pandit Dhirendra Krishna Shastri studied till 8th standard in his village under very difficult conditions. After this, he used to walk 5 kilometers to Ganj for his studies. From there he studied till 12th and then later did BA Private. But later Hanuman ji and his late grandfather got such a blessing that he started feeling divine experience and he also started holding a divine court like Grandfather to remove the sorrows of the people.
However, at the age of 9, he started worshiping, serving, worshiping and worshiping Hanuman ji Balaji Sarkar. It is said that this sadhana had such an effect on him that by the grace of Balaji, he got siddhis.
Where is Bageshwar Dham
There is Bageshwar Dham in Gadha near Chhatarpur where there is a temple of Balaji Hanuman ji. There is a temple of Mahadev ji in front of the temple of Hanumani. Near the temple is the Samadhi Sthal of his Grand-father and the Samadhi Sthal of his Guruji. The application takes place here on Tuesday. To apply, people tie a coconut in a red cloth and speak their wish, tie that coconut at a place here and do 21 circumambulation of the temple while chanting the name of Ram. Millions of coconuts will be found tied here. Guruji's court is held near the temple, where lakhs of people come.
Awards
2022
• Saint Shiromani
• World Book of London
• World Book of Europe
और मनमोहक भजन :-
- बोल मन मन जय जय सिया राम
- कोई नहीं हनुमान जैसा
- बालाजी पूरै मन की कामना
- जय जय रामभक्त हनुमान
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- हनुमान जी को बजरंग बली क्यों कहते है
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