Current Date: 21 Nov, 2024

बिखरे हुए रिश्तों की यादें लिरिक्स (Bikhre Hue Riston Ki Yaadein Lyrics)

- Sanjay Pareek


M:- जय श्री श्याम प्रेमियों आज मै बाबा श्याम की कृपा से आपको एक बहुत ही 
मार्मिक कथा सुनाने जा रहा हूँ ये कथा एक माँ की है एक पिता की है 
प्रेमियों एक दम्पति जो श्याम बाबा के परम भक्त थे हर गायरस पे खाटू 
आया जाया करते थे बड़े ही नेक ह्रदय और दयावान थे वो 
विवहा के कई बरसो बाद भी उनके घर संतान नहीं हुयी 
इस बात की उन्हें बहुत चिंता रहती थी एक दिन उन दोनों ने फैसला किया 
क्यों ना हम अनाथ आश्रम से एक बच्चा गोद ले आये एक अंत को माँ बाप 
मिल जायेंगे और एक बेऔलाद को औलाद मिल जाएगी यही सोचकर 
वो अनाथ आश्रम से एक बच्चा गोद ले आते हैं तो आइये कथा की तरफ बढ़ते है! प्रेम से कहिये जय श्री श्याम हारे सहारे की जय शीश की दानी की जय 
सांवरे सरकार की जय
 
M:- बिखरे हुए रिस्तो की यादें -२
जब जब याद दिलायेंगी कितना संभोलो कितना समलो कितना रोकलो 
आँखे मगर भर जायेगी 
बिखरे हुए रिस्तो की यादें
 
कोरस :-  बिखरे हुए रिस्तो की यादें
 
M:- कैसे बड़ी भगवान् से है माँ 
 
कोरस :-  कैसे बड़ी भगवान् से है माँ 
 
M:- कैसे बड़ी भगवान् से है माँ आज यही बतलाऊंगा 
माँ की एक अनोखी ममता तुम सबको दिखालूंगा 
बात हकीकत है एक घर की जिसकी कथा सुनाऊंगा 
माँ की कदर नहीं है जिनको उनको यही समझूंगा
सुन के नजरो की उन बेटो की अपने आप झुक जाएंगी
बिखरे हुए रिस्तो की यादें
 
कोरस :-  बिखरे हुए रिस्तो की यादें
 
1
M:- एक सुखी परिवार था ऐसा
 
कोरस :-  एक सुखी परिवार था ऐसा 
एक सुखी परिवार था ऐसा 
 
M:-  घर में हर खुशहाली थी लेकिन एक औलाद के बिना खुशियां खाली खाली थी 
पूजा पाठ दान भंडारे सब कुछ कर के हार गए 
सुख ना मिला औलाद का उनको पति पत्नी लाचार हुए 
डॉक्टर ने भी ये कहा माँ आप नहीं बन पाएंगी
बिखरे हुए रिस्तो की यादें
 
कोरस :-  बिखरे हुए रिस्तो की यादें
 
2
M:- वारिस बिन लावारिस हो गए 
 
कोरस :- वारिस बिन लावारिस हो गए
 
M:- वारिस बिन लावारिस हो गए 
चिंता यही सताते थी कैसे चेलगा वंश हमारा 
बात समझ ना आती थी रोते दोनों पति पत्नी थे 
कुछ भी समझ में ना आये एक दिन जा के अनाथ आश्रम 
बच्च वहां से ले आये खुश थे अब अपने अगन 
खुशियां झूमे गायेंगी 
बिखरे हुए रिस्तो की यादें
 
कोरस :-  बिखरे हुए रिस्तो की यादें
 
3
M:- जब बच्चा कुछ बड़ा हुआ तो स्कुल ले जाते थे दोनों 
उस नन्हे से फूल के ऊपर जान लुटाते थे दोनों 
सब कुछ था न्योछावर उस पे जान जिगर घर वार सभी 
कुछ भी मांगता उनका लाडला करते ना इंकार कभी 
उनको था विश्वास लाल से घर में खुशियां आएंगी
बिखरे हुए रिस्तो की यादें
 
कोरस :-  बिखरे हुए रिस्तो की यादें
 
4
M:- पढ़ते लिखते बड़ा हो गया 
 
कोरस :-  पढ़ते लिखते बड़ा हो गया 
 
M:- पढ़ते लिखते बड़ा हो गया
शादी योग्य हो गया वो कारोबार संभाल लिया सब 
इतना योग्य हो गया वो माता पिता की सेवा करता 
देता हर सम्मान उन्हें मन ही मन पूजा करता था 
मानता था भगवान् उन्हें माता पिता ये कहते तुझसे 
पुस्त मेरी तर जाएगी
बिखरे हुए रिस्तो की यादें
 
कोरस :-  बिखरे हुए रिस्तो की यादें
 
5
M:- नहीं पता था मात पिता को 
 
कोरस :-  नहीं पता था मात पिता को 
 
M:- नहीं पता था मात पिता को
जिसको हमने पाला है उसी हाथो अब इस घर में क्या क्या होने वाला 
ओफिस में ही एक लड़की से उसकी आंखे चार हो गई 
चार हुयी एक बार तो राते दोनों की बीमार हो गई 
दोनों को एहसास नहीं था यादे यूँ तडपायेंगी
बिखरे हुए रिस्तो की यादें
 
कोरस :-  बिखरे हुए रिस्तो की यादें
 
6
M:- नशा चढ़ा जब प्यार का उन पे 
 
कोरस :-  नशा चढ़ा जब प्यार का उन पे 
 
M:- नशा चढ़ा जब प्यार का उन पे
नाश के आदि हो गए वो सिगरेट और शराब 
और बियर सबके आदि हो गए वो बहार जाना 
देर से आना बाते अब ये आम हुयी इन दोनों के प्यार की 
बाते ऑफिस में सरेआम हो गई चली हवाएं प्यार की ऐसी
दूर तलक अब जायेंगी 
बिखरे हुए रिस्तो की यादें
 
कोरस :-  बिखरे हुए रिस्तो की यादें
 
7
M:- इधर पिता माता की ममता 
 
कोरस :-  इधर पिता माता की ममता 
 
M:- इधर पिता माता की ममता
ने कुछ आइए काम कर दिया ऑफिस घर कारोबार सभी 
कुछ उस बेटे के नाम कर दिया उधर उसी बेटे ने कोट में 
छुपकर शादी कर डाली लड़की थी जो ऑफिस वली 
बन गई उसकी घरवाली ना जाने किस्मत की घड़ियाँ 
अब क्या रंग दिखायेंगी
बिखरे हुए रिस्तो की यादें
 
कोरस :-  बिखरे हुए रिस्तो की यादें
 
8
M:- इधर चल रही बात व्याह की 
 
कोरस :-  इधर चल रही बात व्याह की 
 
M:- इधर चल रही बात व्याह की
अपने बेटे की घर में लड़की देखने कल जाना है 'उन्हें बड़े ऊँचे घर में 
मात पिता दोनों पुलकित लायेंगी घर दुल्हनिया मधुर मधुर झंकार 
करेंगी घर में बहु की पैजनिया किलकारी गूंजेगी घर में 
परियां गीत सुनाएंगी
बिखरे हुए रिस्तो की यादें
 
कोरस :-  बिखरे हुए रिस्तो की यादें
 
9
M:- कोट से व्याह रचा के बेटा 
 
कोरस :-  कोट से व्याह रचा के बेटा
 
M:- कोट से व्याह रचा के बेटा
दुल्हन ले आया घर में माता पिता हैरान हो गए 
मातम सा छाया घर में कहा बाप ने तब बेटे से 
हमे अगर तुम बतलाते धूम धाम से तुम दोनों का व्याह ख़ुशी से करवाते 
माँ को पता नहीं था इसका खुशियां यूँ जल जायेंगी
बिखरे हुए रिस्तो की यादें
 
कोरस :-  बिखरे हुए रिस्तो की यादें
 
10
M:- शादी को छह माह ना बीते
 
कोरस :-  शादी को छह माह ना बीते
 
M:- शादी को छह माह ना बीते
रंग दिखाने लगी बहु सास ससुर से झगड़ा कर के काम करने लगी बहु 
बात बात पे तू तू मै मै रोज सताने लगी बहु सास ससुर के आगे बैठ के 
मदिरा पिने लगी बहु आगे दोनों की तकदीर कैसे दिन दिख लायेंगी
बिखरे हुए रिस्तो की यादें
 
कोरस :-  बिखरे हुए रिस्तो की यादें
 
11
M:- ससुर लगता झाड़ू घर में
 
कोरस :-  ससुर लगता झाड़ू घर में
 
M:- ससुर लगता झाड़ू घर में 
सास मांजती है बर्तन भूखे रहे शाम तक दोनों 
होने लगा कमजोर बदन बेटे की औकात नहीं थी 
बहु के आगे कुछ बोले गुंगा बहरा बन के रहता 
कभी ना अपना मुँह खोले रखना हाथ अनाथ के ऊपर 
खुद को ही रुलवायेंगी
बिखरे हुए रिस्तो की यादें
 
कोरस :-  बिखरे हुए रिस्तो की यादें
 
12
M:- एक दिन पत्नी रात में बोली 
 
कोरस :-  एक दिन पत्नी रात में बोली
 
M:- एक दिन पत्नी रात में बोली
घर में तभी रहेंगे हम जब तुम इस बूढ़े बुढ़िया को छोड़ के आओगे आश्रम 
बोला पति नशे में हंस के मै भी यही सोचता हूँ तुम बिन कैसे रहूँगा मै तो 
इन्हे आश्रम भेजता हूँ होता नहीं विश्वास औलादे इतना भी गिर जायेंगी
बिखरे हुए रिस्तो की यादें
 
कोरस :-  बिखरे हुए रिस्तो की यादें
 
13
M:- बहार खड़ी सुन रही माता 
 
कोरस :-  बहार खड़ी सुन रही माता 
 
M:- बहार खड़ी सुन रही माता
बेटे बहु की सब बाते होने लगी दोनों आँखों से झर झर झर बरसाते 
बिजली टूट पडी सीने पर बिखर गए अरमान सभी 
हाथ जोड़ के तड़प के बोली उठा लो हे भगवान् अभी 
इस तन में अब मेरी साँसे और नहीं चल पायेंगी
बिखरे हुए रिस्तो की यादें
 
कोरस :-  बिखरे हुए रिस्तो की यादें
 
14
M:- पति पत्नी लाचार हैं बैठे
 
कोरस :-  पति पत्नी लाचार हैं बैठे 
 
M:- पति पत्नी लाचार हैं बैठे
भरे है आंसू आँखों में बिजली गरजे उठे अँधिया 
दोनों के जज्बातो में जहां से लाये इसे उठा के वही 
हमे भिजवाएगा सोचा नहीं था हम दोनों ने ऐसा भी दिन आएगा 
ना जाने अपनी तकदीरे आगे क्या करवाएंगी
बिखरे हुए रिस्तो की यादें
 
कोरस :-  बिखरे हुए रिस्तो की यादें
 
15
M:- उसी रात में उन दोनों ने
 
कोरस :-  उसी रात में उन दोनों ने 
 
M:- उसी रात में उन दोनों ने
अपने घर को छोड़ दिया जहां जहां कोई मोड़ मिला उस 
मोड़ पे खुद को मोड़ दिया कारोबार घरवार सभी कुछ 
कल तक था जिन हाथो में पैदल भटक रहे हैं दोनों 
आज अँधेरी रातो में जाने कहाँ अनजानी राहे इनको ले कर जायेंगी
बिखरे हुए रिस्तो की यादें
 
कोरस :-  बिखरे हुए रिस्तो की यादें
 
16
M:- सुबह उठे जब बेटा बहु तो 
 
कोरस :-  सुबह उठे जब बेटा बहु तो
 
M:- सुबह उठे जब बेटा बहु तो
माता पिता गायब पाए बेटा हुआ परेशां मगर वो 
बहु ख़ुशी से मुस्काये कागज पड़ा दिखा सोफे पे 
जिस पे लिखाई पिता की थी हमने तुम्हे था इसलिए पाला 
चिंता अपने चिता की थी हम तो क्या यादे भी हमारी 
नहीं लौटकर आयेंगी
बिखरे हुए रिस्तो की यादें
 
कोरस :-  बिखरे हुए रिस्तो की यादें
 
17
M:- इन दोनों की किस्मत देखो 
 
कोरस :-  इन दोनों की किस्मत देखो 
 
M:- इन दोनों की किस्मत देखो
अब क्या रंग दिखाती है राजा से बन गए रंक ये 
कहाँ इन्हे ले जाती है हुआ हाल बेहाल दोनों का 
पैदल चला नहीं जाता जाना है किस और हमे कोई 
रास्ता नजर नहीं आता हमको ये गुमामि राहे जाने कहाँ ले जायेंगी
बिखरे हुए रिस्तो की यादें
 
कोरस :-  बिखरे हुए रिस्तो की यादें
 
18
M:- दोनों बैठे सड़क किनारे 
 
कोरस :-  दोनों बैठे सड़क किनारे 
 
M:- दोनों बैठे सड़क किनारे
कोई आस नहीं दिल में कैसे कटेगा जीवन अपना 
पल पल है अब मुश्किल में आँखे बरस रही दोनों की 
आगे जाने क्या होगा बोला पति सम्भालो खुद को 
होगा वही जो लिखा होगा आज है जीवन में वीराना 
कलियाँ कल मुस्काएंगी  
बिखरे हुए रिस्तो की यादें
 
कोरस :-  बिखरे हुए रिस्तो की यादें
 
19
M:- कार एक आकर रूकती है
 
कोरस :-  कार एक आकर रूकती है 
 
M:- कार एक आकर रूकती है
तब ही वहां उनके आगे अंदर से एक लड़की बोली 
जाना कहाँ तुम्हे आगे बूढ़ा बोला पता नहीं है 
हमे कहाँ को जाना है मंजिल का कोई पता नहीं है 
जाने कहाँ ठिकाना है जान यही अब हमे वही ये राहे जहां ले जायेंगी
बिखरे हुए रिस्तो की यादें
 
कोरस :-  बिखरे हुए रिस्तो की यादें
 
20
M:- लड़की  उतर गई गाडी से 
 
कोरस :- लड़की  उतर गई गाडी से
 
M:- लड़की  उतर गई गाडी से
पास में आ कर यूँ बोली मुझको अपनी गुड़िया समझो 
बेटी बना लो मुँह बोली आओ मेरे साथ चलो माँ 
पास में हे मेरा घर हैं निचे है खाने का ढाबा घर ढाबे के ऊपर है 
रो दूंगी मै मम्मी अगर जो विनती मेरी ठुकराएंगी
बिखरे हुए रिस्तो की यादें
 
कोरस :-  बिखरे हुए रिस्तो की यादें
 
21
M:- उस बेटी का प्यार देख के 
 
कोरस :-  उस बेटी का प्यार देख के 
 
M:- उस बेटी का प्यार देख के 
ममता तड़प उठी उनकी उसके मुँह से मम्मी सुन के 
उमड़ पड़ी ममता उनकी उस गुड़िया को गले लगा के 
दोनों रोये जी भर के चले गए पति पत्नी दोनों उसके साथ बैठ कर के 
लिखा भविष्य के अंदर है जो आँखे क्या पढ़ पायेंगी
बिखरे हुए रिस्तो की यादें
 
कोरस :-  बिखरे हुए रिस्तो की यादें
 
M:- अब हालात बहु बेटे का 
 
कोरस :-  अब हालात बहु बेटे का 
 
M:- अब हालात बहु बेटे का
आओ तुम्हे दिखाते है महफ़िल लगाती है अब घर में 
पीते और पिलाते हैं किसी की पत्नी पति किसी का 
यूँ हे एगले लग जाते हैं बेशर्मी की चादर ओढ़ी
जरा नहीं शर्माते हैं आने वाली इनकी नश्लें जाने कहाँ तक जायेंगी
बिखरे हुए रिस्तो की यादें
 
कोरस :-  बिखरे हुए रिस्तो की यादें
 
23
M:- पति के ऑफिस जाते ही वो 
 
कोरस :-  पति के ऑफिस जाते ही वो 
 
M:- पति के ऑफिस जाते ही वो
गैरो को बुलवाने लगी तोड़ के मर्यादा गैरो की बाहों में ढल जाने लगी 
पति ने एक दिन देख लिया रंग रलिया मानते पत्नी को अपने घर की 
इज्जत सारी दाव लगाते पत्नी को चीख के बोला तेरी आदते 
घर मेरा लुटवाएंगी
बिखरे हुए रिस्तो की यादें
 
कोरस :-  बिखरे हुए रिस्तो की यादें
 
24
M:- होने लगा कलेश रोज ही
 
कोरस :-  होने लगा कलेश रोज ही 
 
M:- होने लगा कलेश रोज ही
बढ़ने लगी है तक़रारे नफरत बढ़ गई उन दोनों में 
दिलो में बन गई दीवारे एक दिन बात बिगड़ गए काफी 
पत्नी चली गई घर से आयी याद पिता माता के 
अंखिया लहर लहर बरसे आंसू पोछने की खातिर अब 
मम्मी जी नहीं आयेंगी
बिखरे हुए रिस्तो की यादें
 
कोरस :-  बिखरे हुए रिस्तो की यादें
 
25
M:- रहने लगा उदास रात दिन
 
कोरस :-  रहने लगा उदास रात दिन 
 
M:- रहने लगा उदास रात दिन
ना खता ना पिता था अपनी करनी पर पछताता 
न मरता ना जीता था कुछ ही दिनों में हालत उसकी हो गयी 
एक दम पागल सी उतरा चेहरा बढ़ गई ढाढी सूरत हो गई काजल सी 
लगने लगा उसकी हालात से साँसे थम सी जायेंगी
बिखरे हुए रिस्तो की यादें
 
कोरस :-  बिखरे हुए रिस्तो की यादें
 
26
M:- लगा ढूंढ़ने मात पिता को
 
कोरस :-  लगा ढूंढ़ने मात पिता को 
 
M:- लगा ढूंढ़ने मात पिता को
शहर शहर हर गली गली पूछ पूछ के हार गया वो 
खबर मगर कुछ नहीं मिली क्षमा मांगने की खातिर वो 
खाटू के दरबार गया बोला रो के श्याम प्रभु से जीवन ये बेकार हुआ 
जब तक ना मिल पाएंगे वो अंखिया नीर बाहयेंगी
बिखरे हुए रिस्तो की यादें
 
कोरस :-  बिखरे हुए रिस्तो की यादें
 
27
M:- कुछ दिन रहा श्याम चरणों में 
 
कोरस:-  कुछ दिन रहा श्याम चरणों में 
 
M:- कुछ दिन रहा श्याम चरणों में
सुबह शाम दर्शन करता बैठा रहता श्याम द्वार पे 
उसका जब तक मन करता गायरस के दिन दर्शन कर के 
बैठ कार में निकल पड़ा बाबा से कह कर के बेटा उन्हें ढूंढ़ने निकल पड़ा 
पता नहीं था राहे उसकी जाने कहाँ ले जायेंगी
बिखरे हुए रिस्तो की यादें
 
कोरस :-  बिखरे हुए रिस्तो की यादें
 
28
M:- उधर सुनो गुड़िया का ढाबा 
 
कोरस :-  उधर सुनो गुड़िया का ढाबा 
 
M:- उधर सुनो गुड़िया का ढाबा
कुछ दिन में मशहूर हुआ जिसने खाया एक बार फिर 
खाने पर मजबूर हुआ खाना बनाते तीनो मिलकर 
माता पिता गुड़िया रानी लगने लागे है भीड़ वहां अब 
रुकने लगे हैं सैलानी हक़ से कहती बेटी माँ से 
हाथ से मुझे खिलाएगी
बिखरे हुए रिस्तो की यादें
 
कोरस :-  बिखरे हुए रिस्तो की यादें
 
29
M:- आ के कार रुकी ढाबे पर 
 
कोरस :-  आ के कार रुकी ढाबे पर 
 
M:- आ के कार रुकी ढाबे पर
बेटा उतरा गाडी से सकल देख के यूँ लगता था 
अभी उठा है बीमारी से बैठ गया खाने की मेज पर 
देख लिया माँ ने उसको तड़प उठी भर गया कलेजा 
हो गया क्या ऐसा इसको दिखे जहां औलाद वही पे 
माँ दुआयें जायेंगी
बिखरे हुए रिस्तो की यादें
 
कोरस :-  बिखरे हुए रिस्तो की यादें
 
30
M:- माँ ने अपने पति से बोला 
 
कोरस :-   माँ ने अपने पति से बोला 
 
M:-  माँ ने अपने पति से बोला
बेटा आया है खाने रूखेपन से बोला पति सुन 
तेरी मर्जी तू जाने खाना उसकी पसंद का मा 
हाथो से अपने बनाने लगी फिर अपने बेटे की थाली 
में पकवान सजाने लगी ममता का अंचल है माये 
माये दुआ बरसाएगी
बिखरे हुए रिस्तो की यादें
 
कोरस :-  बिखरे हुए रिस्तो की यादें
 
31
M:- गुड़िया को थाली दे कर के 
 
कोरस :-  गुड़िया को थाली दे कर के 
 
M:- गुड़िया को थाली दे कर के
बोली जा दे आ उसको जो भी मांगे खाने को वो बेटी आज खिला उसको 
देख रही थी हैतरनी से गुड़िया माँ की आँखों को रोक ना पायी थी जो 
अपनी आँखों की बरसातों को बदली यही बरसात की बेटी 
बरस के ये थम जाएगी
बिखरे हुए रिस्तो की यादें
 
कोरस :-  बिखरे हुए रिस्तो की यादें
 
32
M:- खाने लगा लाल जब खाना 
 
कोरस :-  खाने लगा लाल जब खाना 
 
M:- खाने लगा लाल जब खाना
ममता भाव विभोर हुयी छलक गई अँखियों की बदली 
बारिश इतनी जोर हुयी मुँह में डाला पहला निवाला हुयी बड़ी 
हैरानी है स्वाद है ये मेरी माँ के हाथ का डिश जानी पहचानी है 
बहन जी खाना किसने बनाया क्या हमको बतलायेंगी
बिखरे हुए रिस्तो की यादें
 
कोरस :-  बिखरे हुए रिस्तो की यादें
 
33
M:- पूछा  गुड़िया ने तब उससे 
 
कोरस :-  पूछा  गुड़िया ने तब उससे 
 
M:- पूछा  गुड़िया ने तब उससे
क्या कोई कमी है खाने में हाथ बंटाती हु मै माँ का 
खाना रोज बनाने में बोला बेटा माँ से अपनी मुझे बुला दो बहन मेरी 
अपनी माँ से सुनो हमारी बात करा दो बहन मेरी अपनी माँ का आज आप क्या 
दर्शन हमे करवाएंगी
बिखरे हुए रिस्तो की यादें
 
कोरस :-  बिखरे हुए रिस्तो की यादें
 
34
M:- खाना आप खाइये भैया 
 
कोरस :-  खाना आप खाइये भैया 
 
M:- खाना आप खाइये भैया
माँ को अभी बुलाती हूँ मम्मी के संग पापा से भी 
अभी तुम्हे मिलवाती हूँ कह के चली गई वो अंदर 
बैठे हुई थी जहां पे माँ पीछे पीछे गुड़िया के फिर बेटा भी आ गया वहां 
फिर जो दिलो में उठी अँधियाँ लगता नहीं रुक पायेंगी
बिखरे हुए रिस्तो की यादें
 
कोरस :-  बिखरे हुए रिस्तो की यादें
 
M:- जज्बातो की धारा फूटी 
 
कोरस :-  जज्बातो की धारा फूटी
 
M:- जज्बातो की धारा फूटी 
ममता का सैलाब उठा पछतावा बेटे की आँखों में हो कर के 
बेताब उठा चरणों में गिर गया वो उनके फुट फुट के रोने लगा 
माता पिता के चरणों को अपने अश्को से वो धोने लगा 
दृश्य वहां का कलम हमारी ब्यान नहीं कर पाएगी
बिखरे हुए रिस्तो की यादें
 
कोरस :-  बिखरे हुए रिस्तो की यादें
 
36
M:- गले लगाया मात पिता ने 
 
कोरस :- गले लगाया मात पिता ने 
 
M:- गले लगाया मात पिता ने
दिल से उसको माफ़ किया बेटा बोला अपनी तरफ से 
आप ने तो इन्साफ किया नहीं हूँ मै माफ़ी के लायक 
मारो मुझे सजाये दो नहीं हूँ मै बदुआ के लायक मत माँ 
मुझे दुआएं दो झुकी इस तरह मेरी नजरे कभी नहीं उठ पायेंगी
बिखरे हुए रिस्तो की यादें
 
कोरस :-  बिखरे हुए रिस्तो की यादें
 
37
M:- राजा भैया है तू मेरा 
 
कोरस :-  राजा भैया है तू मेरा 
 
M:- राजा भैया है तू मेरा
मै तेरी बहना प्यारी हूँ मात पिता भाई के बीच में 
सबकी राज दुलारी हूँ बोलो बहना सुन मेरे भाई 
ऐसी बात नहीं करते सुबह का भुला लोटे शाम को 
उसको भुला नहीं कहते बोले पिता हम रहेंगे संग में 
खुशियां फिर से आयेंगी
बिखरे हुए रिस्तो की यादें
 
कोरस :-  बिखरे हुए रिस्तो की यादें
 
38
M:- बिखरा हुआ परिवार दुबारा 
 
कोरस :- बिखरा हुआ परिवार दुबारा 
 
M:- बिखरा हुआ परिवार दुबारा
प्रभु कृपा से एक हुआ हारी नफरत जीती ममता 
खुशियों से अभिषेक हुआ कथा लिखी सुखदेव ने भक्तों 
संजय पारीक ने गायी चली गई थे छोड़ के घर जो 
बहु लौट वापस आयी हो गई कृपा श्याम प्रभु की 
घर खुशियां लहराएंगी
बिखरे हुए रिस्तो की यादें
 
कोरस :-  बिखरे हुए रिस्तो की यादें

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