खेल रहे पनघट पे होली संग भूतो की लेके टोली
मस्त मलंग हो नाचे रे भोला अपनी जटाये खोले
बम बम भोले बम बम भोले .............
रात घनेरी अँधियारा है चंद्र छटा का उजियारा है
अजब नजारा गंगा तट पे मचल के बहती जलधारा है
रमा रहे तन भस्म को भोले खाके भांग के गोले
बम बम भोले बम बम भोले.............
साँप गले के उछल रहे है काल के बिच्छू मचल रहे है
नंदी जी भी आगे पीछे झूम झूम के टहल रहे है
देख के मस्ती शिव शम्भु की इनका मन भी डोले
बम बम भोले बम बम भोले .....................
चली चुड़ैले होली गाडी मुर्दो की वो भस्म उड़ाती
भूत प्रेत की टोली देखो गांजा पीती उधम मचाती
लगा चिलम को लेने शम्भु भेद जगत के खोले
बम बम भोले बम बम भोले ..................
चले अघोरी शिव को मनाने मुर्दो को वो लगे जगाने
अलख निरंजन अलख निरंजन जयकारा को लगे लगाने
रोमी के संग संजय कुंदन बार बार यही बोले
बम बम भोले बम बम भोले ..................
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