🎵आदियोगी🎵
🙏 गायक: कैलाश खेर
विवरण:
आदियोगी एक अत्यंत गहराई से भरा आध्यात्मिक भजन है जिसे कैलाश खेर की दिव्य आवाज़ ने जीवंत कर दिया है। इस भजन में शिव को आदि योगी रूप में प्रस्तुत किया गया है जो मौन में भी बहुत कुछ कह जाते हैं। योग की शाश्वत धारा, प्राणों की गुंजन और आत्मा की पूर्णता का यह गीत आत्मिक ऊर्जा से भरपूर है। यदि आप ध्यान, योग या शिव आराधना से जुड़े हैं, तो यह भजन आपके मन और आत्मा को शुद्ध कर देगा।
गीत के बोल:
दूर उस, आकाश की, गहराइयों में...
इक नदी से, बह रहे हैं, आदि योगी l
शून्य सन्नाटे, टपकते जा रहे हैं...
मौन से, सब कह रहे हैं, आदि योगी l
योग के इस, स्पर्श से अब,
योगमय, करना है तन मन...
सांस शाश्वत, सनन सननन,
प्राण गुंजन, धनन धननन l
उतरें मुझ में, आदि योगी l
योग धारा, छलक छन्न छन्न l
सांस शाश्वत, सनन सननन l
प्राण गुंजन, धनन धननन l
उतरें मुझ में, आदि योगी ll
पीस दो, अस्तित्व मेरा,
और कर दो, चूरा चूरा l
पूर्ण होने, दो मुझे और,
होने दो अब, पूरा पूरा l
भस्म वाली, रस्म कर दो, आदि योगी l
योग उत्सव, रंग भर दो, आदि योगी l
बज उठे ये, मन सितारी,
झनन, झननन, झनन, झननन l
"सांस शाश्वत, सनन सननन,
प्राण गुंजन, धनन धननन" ll
उतरें मुझ में, आदि योगी l
योग धारा, छलक छन्न छन्न,
सांस शाश्वत, सनन सननन,
प्राण गुंजन, धनन धननन l
उतरें मुझ में, आदि योगी ll
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