Current Date: 22 Nov, 2024

भगवान विष्णु का परशुराम अवतार (Bhagwan Vishnu Ka Parshuram Avatar)

- The Lekh


भगवान विष्णु का परशुराम अवतार 

हिन्दू धर्म ग्रंथों के अनुसार परशुराम भगवान विष्णु के प्रमुख अवतारों में से एक थे। भगवान परशुराम के जन्म के संबंध में दो कथाएं प्रचलित हैं। हरिवंशपुराण के अनुसार उन्हीं में से एक कथा इस प्रकार है- 

गंगा जी की इस कथा से होगा समस्त पापों का नाश: गंगा सप्तमी व्रत कथा
 
प्राचीन समय में महिष्मती नगरी पर शक्तिशाली हैययवंशी क्षत्रिय कार्तवीर्य अर्जुन(सहस्त्रबाहु) का शासन था। वह बहुत अभिमानी था और अत्याचारी भी। एक बार अग्निदेव ने उससे भोजन कराने का आग्रह किया। तब सहस्त्रबाहु ने घमंड में आकर कहा कि आप जहां से चाहें, भोजन प्राप्त कर सकते हैं, सभी ओर मेरा ही राज है। तब अग्निदेव ने वनों को जलाना शुरु किया। एक वन में ऋषि आपव तपस्या कर रहे थे। अग्नि ने उनके आश्रम को भी जला डाला। इससे क्रोधित होकर ऋषि ने सहस्त्रबाहु को श्राप दिया कि भगवान विष्णु, परशुराम के रूप में जन्म लेंगे और न सिर्फ सहस्त्रबाहु का नहीं बल्कि समस्त क्षत्रियों का सर्वनाश करेंगे। इस प्रकार भगवान विष्णु ने भार्गव कुल में महर्षि जमदग्रि के पांचवें पुत्र के रूप में जन्म लिया।

Parshuram Avatar of Lord Vishnu

According to Hindu scriptures, Parshuram was one of the main incarnations of Lord Vishnu. Two stories are prevalent regarding the birth of Lord Parshuram. According to Harivanshpuran, one of those stories is as follows- 

All sins will be destroyed by this story of Ganga ji: Ganga Saptami Vrat Katha
 
In ancient times, Mahishmati city was ruled by the powerful Haiyyavanshi Kshatriya Kartavirya Arjuna (Sahastrabahu). He was very proud and also tyrannical. Once Agnidev requested him to have food. Then Sahastrabahu boasted and said that wherever you want, you can get food, everywhere I rule. Then Agnidev started burning the forests. Rishi Aapav was doing penance in a forest. The fire also burnt his ashram. Enraged by this, the sage cursed Sahastrabahu that Lord Vishnu would take birth as Parashurama and destroy not only Sahastrabahu but all the Kshatriyas. Thus Lord Vishnu was born as the fifth son of Maharishi Jamadagri in the Bhargava clan.

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