Current Date: 24 Nov, 2024

भगवान विष्णु का मत्स्य अवतार (Bhagwan Vishnu Ka Matsya Avatar)

- The Lekh


भगवान विष्णु का मत्स्य अवतार

पुराणों के अनुसार भगवान विष्णु ने सृष्टि को प्रलय से बचाने के लिए मत्स्यावतार लिया था। इसकी कथा इस प्रकार है- कृतयुग के आदि में राजा सत्यव्रत हुए। राजा सत्यव्रत एक दिन नदी में स्नान कर जलांजलि दे रहे थे। अचानक उनकी अंजलि में एक छोटी सी मछली आई। उन्होंने देखा तो सोचा वापस सागर में डाल दूं, लेकिन उस मछली ने बोला- आप मुझे सागर में मत डालिए अन्यथा बड़ी मछलियां मुझे खा जाएंगी। तब राजा सत्यव्रत ने मछली को अपने कमंडल में रख लिया। मछली और बड़ी हो गई तो राजा ने उसे अपने सरोवर में रखा, तब देखते ही देखते मछली और बड़ी हो गई। 

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राजा को समझ आ गया कि यह कोई साधारण जीव नहीं है। राजा ने मछली से वास्तविक स्वरूप में आने की प्रार्थना की। राजा की प्रार्थना सुन साक्षात चारभुजाधारी भगवान विष्णु प्रकट हो गए और उन्होंने कहा कि ये मेरा मत्स्यावतार है। भगवान ने सत्यव्रत से कहा- सुनो राजा सत्यव्रत! आज से सात दिन बाद प्रलय होगी। तब मेरी प्रेरणा से एक विशाल नाव तुम्हारे पास आएगी। तुम सप्त ऋषियों, औषधियों, बीजों व प्राणियों के सूक्ष्म शरीर को लेकर उसमें बैठ जाना, जब तुम्हारी नाव डगमगाने लगेगी, तब मैं मत्स्य के रूप में तुम्हारे पास आऊंगा। उस समय तुम वासुकि नाग के द्वारा उस नाव को मेरे सींग से बांध देना। उस समय प्रश्न पूछने पर मैं तुम्हें उत्तर दूंगा, जिससे मेरी महिमा जो परब्रह्म नाम से विख्यात है, तुम्हारे ह्रदय में प्रकट हो जाएगी। तब समय आने पर मत्स्यरूपधारी भगवान विष्णु ने राजा सत्यव्रत को तत्वज्ञान का उपदेश दिया, जो मत्स्यपुराण नाम से प्रसिद्ध है।

Matsya Avatar of Lord Vishnu

According to the Puranas, Lord Vishnu took the Matsya avatar to save the universe from the holocaust. Its story is as follows - King Satyavrat became in the beginning of Kritayuga. One day King Satyavrat was taking a bath in the river and offering water. Suddenly a small fish came in his Anjali. When he saw it, he thought of putting it back in the ocean, but that fish said - don't put me in the ocean, otherwise big fishes will eat me. Then King Satyavrat kept the fish in his Kamandal. When the fish became bigger, the king kept it in his lake, then in no time the fish became bigger. 

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The king understood that this is not an ordinary creature. The king prayed to the fish to come back in its original form. Hearing the prayer of the king, the four-armed Lord Vishnu appeared and said that this is my Matsyavatar. God said to Satyavrat - Listen King Satyavrat! Seven days from today there will be annihilation. Then a huge boat will come to you by my inspiration. You take the subtle body of seven sages, medicines, seeds and animals and sit in it, when your boat starts to waver, then I will come to you in the form of a fish. At that time you tie that boat to my horn by Vasuki Nag. At that time, when you ask questions, I will answer you, so that my glory, which is known as Parabrahma, will appear in your heart. Then when the time came, Lord Vishnu in the form of a fish, preached philosophy to King Satyavrat, which is famous as Matsyapuran.

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