भगवान विष्णु का कूर्म अवतार
धर्म ग्रंथों के अनुसार भगवान विष्णु ने कूर्म (कछुए) का अवतार लेकर समुद्र मंथन में सहायता की थी। भगवान विष्णु के कूर्म अवतार को कच्छप अवतार भी कहते हैं। इसकी कथा इस प्रकार है- एक बार महर्षि दुर्वासा ने देवताओं के राजा इन्द्र को श्राप देकर श्रीहीन कर दिया। इन्द्र जब भगवान विष्णु के पास गए तो उन्होंने समुद्र मंथन करने के लिए कहा। तब इन्द्र भगवान विष्णु के कहे अनुसार दैत्यों व देवताओं के साथ मिलकर समुद्र मंथन करने के लिए तैयार हो गए।
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समुद्र मंथन करने के लिए मंदराचल पर्वत को मथानी एवं नागराज वासुकि को नेती बनाया गया। देवताओं और दैत्यों ने अपना मतभेद भुलाकर मंदराचल को उखाड़ा और उसे समुद्र की ओर ले चले, लेकिन वे उसे अधिक दूर तक नहीं ले जा सके। तब भगवान विष्णु ने मंदराचल को समुद्र तट पर रख दिया। देवता और दैत्यों ने मंदराचल को समुद्र में डालकर नागराज वासुकि को नेती बनाया। किंतु मंदराचल के नीचे कोई आधार नहीं होने के कारण वह समुद्र में डूबने लगा। यह देखकर भगवान विष्णु विशाल कूर्म (कछुए) का रूप धारण कर समुद्र में मंदराचल के आधार बन गए। भगवान कूर्म की विशाल पीठ पर मंदराचल तेजी से घुमने लगा और इस प्रकार समुद्र मंथन संपन्न हुआ।
Kurma Avatar of Lord Vishnu
According to religious scriptures, Lord Vishnu took the form of Kurma (tortoise) and helped in the churning of the ocean. The Kurma avatar of Lord Vishnu is also known as the Kachhap avatar. Its story is as follows- Once Maharishi Durvasa cursed Indra, the king of the deities, and made him headless. When Indra went to Lord Vishnu, he asked him to churn the ocean. Then Indra got ready to churn the ocean along with the demons and deities as told by Lord Vishnu.
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Mandarachal mountain was made churner and Nagraj Vasuki was made neti to churn the ocean. The gods and demons, forgetting their differences, uprooted Mandarachal and took him towards the sea, but they could not take him far. Then Lord Vishnu put Mandarachal on the beach. Gods and demons put Mandarachal in the sea and made Nagraj Vasuki the leader. But because there was no base under Mandarachal, it started sinking in the sea. Seeing this, Lord Vishnu assumed the form of a huge Kurma (tortoise) and became the support of Mandarachal in the ocean. Mandarachal started moving fast on the huge back of Lord Kurma and thus the churning of the ocean was completed.
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