भगवान शिव गले में नाग धारण क्यों करते हैं?
हिन्दू पंचांग के अनुसार फाल्गुन मास के कृष्ण की त्रयोदशी तिथि के दिन भगवान शिव को समर्पित महाशिवरात्रि पर्व हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है। वैदिक धर्मग्रन्थों के अनुसार इसी दिन भगवान शिव और माता पार्वती का विवाह हुआ था। लेकिन क्या आप जानते हैं कि भगवान शिव के विख्यात रूप और बारात को देखकर माता पार्वती दंग रह गई थीं। भगवान शिव ने बाघ की छाल से तन को ढका हुआ था, शरीर पर भस्म रमी हुई थी, गले में रुद्राक्ष के साथ-साथ नागराज बैठे हुए थे। भगवान शिव के इस स्वरूप से हम सब भी परिचित हैं, लेकिन क्या आप जानते हैं कि भोलेनाथ के गले में लिपटे हुए सांप के पीछे अत्यंत रोचक कथा है। आइए जानते हैं कि क्यों भगवान शिव गले में धारण करते हैं नागराज?
भोले बाबा से प्रार्थना: आया हूँ भोले मैं तेरे द्वार
भगवान शिव और नागराज वासुकि का अटूट संबंध
वैदिक धर्मग्रन्थों में बताया गया है कि भगवान शिव के गले में लिपटे हुए सांप का नाम वासुकि है, जिन्हें सभी नागों का राजा कहा जाता है। कथा के अनुसार हिमालय में नाग वंश के लोग वास करते थे, जिन्हें भगवान शिव से बहुत लगाव था। इन्हीं में से एक नागराज वासुकि भगवान शिव के परम भक्त थे। नागराज वासुकि की भक्ति से प्रसन्न होकर भोलेनाथ ने उन्हें अपने गले में धारण करने का वरदान दिया था और तब से वह अमर हो गए। भगवान श्री कृष्ण और समुद्र मंथन से जुड़ता है नागराज का संबंध किवदंतियों के अनुसार जब भगवान श्री कृष्ण को उनके पिता वासुदेव गोकुल ले जा रहे थे, तब नागराज वासुकि ने ही यमुना के तूफान में उनकी रक्षा की थी। इसके साथ जब देवताओं और दैत्यों के बीच अमृत प्राप्त करने के लिए समुद्र मंथन किया गया था, उस दौरान मेरू पर्वत को मथने के लिए वासुकि नाग का ही रस्सी के रूप में प्रयोग लिया गया था। इसी दौरान समुद्र मंथन के दौरान निकले विष को भगवान शिव ने गले में धारण कर लिया था और घर्षण के कारण वासुकि लहूलुहान हो गए थे। पुराणों में यह भी बताया गया है कि नागराज वासुकि के सिर पर नागमणि स्थपित है।
Why does Lord Shiva wear a snake around his neck?
According to the Hindu calendar, on the Trayodashi date of Krishna in the month of Phalgun, the festival of Mahashivratri dedicated to Lord Shiva is celebrated with great enthusiasm. According to Vedic scriptures, the marriage of Lord Shiva and Mother Parvati took place on this day. But do you know that Mother Parvati was stunned to see the famous form of Lord Shiva and the procession.Lord Shiva covered his body with tiger's bark, ashes were smeared on his body, Nagraj was sitting along with Rudraksh around his neck. We all are also familiar with this form of Lord Shiva, but do you know that there is a very interesting story behind the snake wrapped around Bholenath's neck. Let us know why Lord Shiva wears Nagraj around his neck?
Prayer to Bhole Baba: Aaya Hoon Bhole Main Tere Dwar
Unbreakable relationship between Lord Shiva and Nagraj Vasuki
Vedic scriptures state that the name of the snake wrapped around Lord Shiva's neck is Vasuki, who is called the king of all serpents. According to the legend, the people of Nag dynasty used to live in the Himalayas, who were very attached to Lord Shiva. One of these Nagraj Vasuki was an ardent devotee of Lord Shiva. Pleased with the devotion of Nagraj Vasuki, Bholenath had given him a boon to wear around his neck and since then he became immortal. Nagraj's relation connects with Lord Shri Krishna and sea churning According to legends, when Lord Shri Krishna was being taken to Gokul by his father Vasudev, then Nagraj Vasuki protected him in the storm of Yamuna. Along with this, when the ocean was churned between the gods and the demons to obtain nectar, during that time the serpent Vasuki was used as a rope to churn Mount Meru.Meanwhile, the poison that came out during the churning of the ocean was embraced by Lord Shiva and Vasuki bled due to friction. It has also been told in the Puranas that Nagmani is installed on the head of Nagraj Vasuki.
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