Current Date: 08 Sep, 2024

बन गया मुकद्दर

- Sanjo Baghel


F:-        सरस्वती माँ का रूप ज्ञान का तुम भंडार
        महियर में माँ शारदा सजा तेरा दरबार
        बन गया मुकद्दर जिस पे नजर तुमने डाली-2
        अब दया की दृष्टि हम पे करो महियर वाली
कोरस :-     अब दया की दृष्टि हम पे करो महियर वाली
F:-        बन गया मुकद्दर जिस पे नजर तुमने डाली-2
        अब दया की दृष्टि हम पे करो महियर वाली
कोरस :-     अब दया की दृष्टि हम पे करो महियर वाली
F:-        ज्ञान की देवी वीणा वादनी तुमसे मिलती राग रागिनी
        अलादुद्दीन का नाम अमर है रहमत वाला तेरा दर है
        वो सितार साधक तुमसे जो सीधी पा ली -2
अब दया की दृष्टि हम पे करो महियर वाली
कोरस :-     अब दया की दृष्टि हम पे करो महियर वाली
F:-        तुम कल्याणी तुम वरदानी वेदो ने तेरी महिमा बखानी
        तेरी साधना करते करते दादा नीलकंठ हुए है ध्यानी
        जीवन की चुनरिया भक्ति रंग में रंगवा ली -2
अब दया की दृष्टि हम पे करो महियर वाली
कोरस :-     अब दया की दृष्टि हम पे करो महियर वाली
F:-        जिसने भी की तेरी सेवा भक्ति उसको मिली जीने की शक्ति
        निर्धन को तू दौलत बाँटे दुखियों के भव बंधन काटे
        तेरे द्वार पर मिले सब लोगो को खुशहाली -2
अब दया की दृष्टि हम पे करो महियर वाली
कोरस :-     अब दया की दृष्टि हम पे करो महियर वाली
F:-        आल्हा भक्त को अमर बनाया तुमसे वो वरदान है पाया
        संजो तुम्हारी गाथा गाये तुमसे निरंजन प्यार मँगाए
        माँ तुमने किसी की कोई बात नहीं टाली-2
अब दया की दृष्टि हम पे करो महियर वाली
कोरस :-     अब दया की दृष्टि हम पे करो महियर वाली
F:-        बन गया मुकद्दर जिस पे नजर तुमने डाली-2
        अब दया की दृष्टि हम पे करो महियर वाली
कोरस :-     अब दया की दृष्टि हम पे करो महियर वाली -3

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