बाबा मैं हार गया हूँ,
मुझको जिताने आजा,
डूबती नैया को कन्हैया,
बचाने आजा,
डूबती नैया को कन्हैया,
बचाने आजा।।
तर्ज – लेके संजीवनी संकट को।
तेरे बिन बाबा,
मेरा और ना सहारा है,
हारे ने हारे के,
सहारे को पुकारा है,
तू अगर रूठा,
तो बोल कहाँ जाऊंगा,
तेरे बिन बाबा,
एक पल भी जी ना पाउँगा,
धीर टूटा मेरा,
तू धीर बढ़ाने आजा,
डूबती नैया को कन्हैया,
बचाने आजा।।
तेरा साया तो,
हर गम को भुला देता है,
गम के मारों को,
खुशियों से मिला देता है,
श्याम तू प्यारा,
हर प्रेमी का दुलारा है,
दिल ये हारा है,
ये दिल भी तुम्हारा है,
दिल ये रो रो रहा,
इस दिल को मनाने आजा,
डूबती नैया को कन्हैया,
बचाने आजा।।
तेरे ‘आमिर’ के,
आँखों में आंसुओं की झड़ी,
गम का सागर है,
मझधार में नैया है पड़ी,
तू तो सब जाने,
जाने है भला क्या मैं कहूं,
तेरे होते हुए,
दुखडो को भला क्यों मैं सहूँ,
भीगी पलकों में,
खुशियों को सजाने आजा,
डूबती नैया को कन्हैया,
बचाने आजा।।
बाबा मैं हार गया हूँ,
मुझको जिताने आजा,
डूबती नैया को कन्हैया,
बचाने आजा,
डूबती नैया को कन्हैया,
बचाने आजा।।
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