Current Date: 17 Nov, 2024

धन दौलत पे गुमान क्यो यहीं

- Satyendra Pathak


M:-    धन दौलत पे गुमान क्यों यही रह जायेगा 
    धन दौलत पे गुमान क्यों यही रह जायेगा 
    रह जायेगा यही रह जायेगा रह जायेगा यही रह जायेगा 
    सुन्दर तन पे गुमान क्यों राख बन जायेगा 
    धन दौलत पे गुमान क्यों यही रह जायेगा 

M:-    मनुष्य जो की आज के जमाने में धन दौलत मोह माया में भुला हुआ है अपने 
    अहंकार में जीता है ये मेरा है वो मेरा है ये मेरा है यही करता रहता है लेकिन 
    उसे पता नहीं है की एक दिन सब माटी में मिल जाना है सब राख ही बन 
    जाना है जो इसको जान लेता है उसका जीवन सरल बन जाता है 

M:-    रिश्ते नाते झूठे है वक्त पड़े पर टूटे है 
    रिश्ते नाते झूठे है वक्त पड़े पर टूटे है 
    मतलब के सब यार है रोता रह जायेगा 
    सुन्दर तन पे गुमाना क्यों राख बन जायेगा
    
M:-    ये जग भूल भुलैया है मोह माया सब गालिया है 
    ये जग भूल भुलैया है मोह माया सब गालिया है 
    इसको त्यागे जो होशियार है प्राणी बच जायेगा 
    सुन्दर तन पे गुमाना क्यों राख बन जायेगा

M:-    ये तन माटी खिलौना है एक दिन टूट ही जाना है 
    ये तन माटी खिलौना है एक दिन टूट ही जाना है
    करना ना इसका गुमान रे राख बन जायेगा 
    धन दौलत पे गुमान क्यों यही रह जायेगा 

M:-    मनुष्य खाली हाथ आता है और खाली हाथ जाता है लेकिन इस पृथ्वी पर जब 
    मनुष्य का जन्म होता है तो वो अपने अहंकार में चूर हो जाता है उसे सिर्फ 
    यही लगता है की ये सब कुछ मेरा है लेकिन अंत में साथ में कुछ नहीं जाता है 
    ना पत्नी बच्चे धन दौलत कुछ भी नहीं 

M:-    जहाँ में खाली आया है जहाँ से खाली जायेगा 
    जहाँ में खाली आया है जहाँ से खाली जायेगा 
    कर ना ना धन का गुमान रे राख बन जायेगा 
    क्यों करता अभिमान रे राख बन जायेगा 

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