Current Date: 22 Dec, 2024

Anant Chaturdashi 2023: अनंत चतुर्दशी कब है? जानिए पूजा-व्रत की तारीख, मुहूर्त और विधि |

- Bhajan Sangrah


अनंत चौदस के दिन श्रीहरि विष्णु के अनंत रूप की पूजा की जाती है. साल 2023 में कब पड़ेगी अनंत चतुर्दशी और क्या है पूजा का शुभ मुहूर्त और किस विधि से करें पूजा जानें यहां.

भादों में शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी तिथि को अनंत चतुर्दशी का त्योहार मनाया जाता है. इस दिन जगत के पालनहार और लक्ष्मी पति भगवान विष्णु की पूजा की जाती है और अनंत सूत्र हाथों में बांधे जाते है.इस त्योहार का हिंदू धर्म में खास महत्व है. इसे की जगहों पर अनंत चौदस भी कहा जाता है. भगवान गणपति को 10 दिन घर में विराजमान करने के बाद उनका विसर्जन अनंत चतुर्दशी के दिन ही किया जाता है.इस खास दिन पर श्रीहरि विष्णु के अनंत रूप की पूजा की जाती है. साल 2023 में कब पड़ेगी अनंत चतुर्दशी और क्या है पूजा का शुभ मुहूर्त और किस विधि से करें पूजा जानें यहां.

 

कब है अनंत चतुर्दशी और शुभ मुहूर्त?

 

इस साल अनंत चतुर्दशी 28 सितंबर, गुरुवार के दिन पड़ेगी. इस दिन भुजाओं पर पहने जाने वाले अनंत में 14 गांठें लगाई जाती हैं. पूजा के बाद ये अनंत घर के हर एक सदस्य की भुजाओं में बांधे जाते हैं.


त्यौहार के नाम

दिन

त्यौहार के तारीख

 

अनंत चतुर्दशी

गुरूवार

28 सितंबर 2023

अनंत चतुर्दशी पूजा समय :
चतुर्दशी तिथि शुरू : 22:20 - 27 सितंबर 2023
चतुर्दशी तिथि ख़त्म : 18:50 - 28 सितंबर 2023



कैसे करें अनंत चतुर्दशी की पूजा

 

अनंत चतुर्दशी पर श्रीहरि के अनंत रूप की पूजा दोपहर के समय की जाती है. लेकिन सुबह उठकर स्नान आदि करने के बाद व्रत करने का संकल्प लेना चाहिए. इसके बाद पूजा वाली जगह पर कलश स्थापित करना चाहिए. कलश के ऊपर किसी बर्तन में कुश से बने अनंत रखें . अगर कुश का अनंत नहीं है तो भगवान श्रीहरि की प्रतिमा भी रखी जा सकती है. इसके बाद एक पीले रंग के धागे में 14 गाठें लगाकर अनंत सूत्र बनाए और इसको विष्णु भगवान को अर्पण करें.धूप और दीप दिखार इनकी पूजा करें और अनंत सूत्र को पुरुषों की दायीं बाजू और महिलाओं की बायीं बाजू में बांधें.इसके बाद ब्राह्मणों को खाना खिलााना चाहिए.

 

अनंत का क्या है धार्मिक महत्व

 

अनंत चतुर्दशी के दिन पहने जाने वाले अनंत में 14 गांठें बाधने के पीछे का अपना अलग महत्व है. इसमें लगाई गई 14 गांठें हर डर से मुक्ति दिलाती है और रक्षा करती हैं.धार्मित मान्यता के मुताबिक अनंत में 14 गांठें लगाने वाले व्यक्ति पर भगवान विष्णु का आशीर्वाद बना रहता है. इन 14 गांठों का संबंध 14 लोकों से माना जाता है.यही वजह है कि इस दिन अनंत पहनाना बहुत गही शुभ माना जाता है.इस दिन व्रत रखने से श्रीहरि अनंत फल देते हैं और सभी मनोकामनाओं को पू्र्ण कर सुख-सौभाग्य और संतान सुख अपने भक्तों को देते हैं.

अनंत चतुर्दशी का जैन धर्म में महत्व

जैन धर्म में अनंत चतुर्दशी अत्यंत महत्वपूर्ण मानी जाती है। यह दिन जैन धर्म के अनुयायियों के लिए बहुत ही पवित्र और महत्वपूर्ण होता है। इस दिन जैन धर्म के अनुयायी अपनी भक्ति और ध्यान को संचालित करते हैं और भगवान की उपासना करते हैं।

 

अनंत चतुर्दशी जैन धर्म का एक महत्वपूर्ण त्यौहार है, जो हिंदू कैलेंडर के भाद्रपद महीने के शुक्ल पक्ष के 14वें दिन पड़ता है। यह त्यौहार जैनियों के लिए आत्मनिरीक्षण और आध्यात्मिक नवीनीकरण का समय माना जाता हैं। अनंत चतुर्दशी का महत्व इसके नाम में निहित है, “अनंत” का अर्थ जिसका अंत न हो और “चतुर्दशी” चंद्र चक्र के 14 वें दिन को संदर्भित करता है। इस दिन जैन समुदाय के लोग भगवान विष्णु की पूजा करते है। 

 

इस दिन, जैन अनंत चतुर्दशी व्रत करते हैं, जिसमें भगवान विष्णु का आशीर्वाद लेने के लिए उपवास और अनुष्ठान किया जाता है। यह व्रत भक्तों को समृद्धि, अच्छा स्वास्थ्य और खुशी प्रदान करता है।

 

अनंत चतुर्दशी पर किए जाने वाले महत्वपूर्ण अनुष्ठानों में से एक अनंत सूत्र, जो एक पवित्र धागा है उसे कलाई के चारों ओर बांधा जाता है। यह धागा 14 गांठों का होता है, जो जैन ब्रह्मांड विज्ञान में अस्तित्व के 14 क्षेत्रों का प्रतिनिधित्व करता है। इसे बांधना जैन धर्म के सिद्धांतों के प्रति भक्त की प्रतिबद्धता और आध्यात्मिक प्रगति के लिए उनकी आकांक्षा का प्रतीक माना जाता है।


अनंत चतुर्दशी पर भगवान विष्णु की पूजा क्यों होती हैं?

हिंदू पौराणिक कथाओं के अनुसार, बाली नाम का एक राक्षस राजा था, जिसने तीनों लोकों पर विजय प्राप्त कर ली थी। उसकी बढ़ती शक्ति से देवता चिंतित हो गए और उन्होंने भगवान विष्णु से मदद मांगी। तब भगवान विष्णु ने वामन नाम के एक बौने ब्राह्मण का रूप धारण किया और भिक्षा मांगने के लिए बाली के राज्य में गए।

 

बहुत से लोग बाली को उसकी उदारता के लिए जानते हैं और उसने भगवान वामन की तीन पग भूमि की इच्छा पूरी की। लेकिन जैसे ही भगवान वामन ने अपना दूसरा कदम शुरू किया, तो उनके पैर ने पूरी पृथ्वी को ढक लिया। आगे, अपने तीसरे कदम के साथ, उन्होंने स्वर्ग को नाप लिया। बाली के पास खड़े होने की जगह नहीं थी। इस प्रकार, भगवान विष्णु के वामन अवतार ने बाली के शासन से तीनों लोकों को मुक्त करके बाली को पाताल लोक पहुंचा दिया था।

 

बाली भगवान विष्णु का बहुत बड़ा भक्त था और उसे भगवान के द्वारा वरदान दिया गया था कि वह हर साल एक बार पृथ्वी का भ्रमण कर सकता है और जब बाली पृथ्वी का भ्रमण करता है, तो उसकी इस यात्रा के दिन को बाली प्रतिपदा या कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष का पहला दिन माना जाता है। अनंत चतुर्दशी का त्यौहार इस अवधि के दौरान पड़ता है और भगवान विष्णु अपने अनंत रूप में, अपने भक्तों को आशीर्वाद देने के लिए इस दिन पृथ्वी पर आते हैं।

 

अनंत चतुर्दशी पर, भक्त अपनी कलाई पर एक पवित्र धागा या “अनंत सूत्र” बांधते हैं, जो भगवान विष्णु की अनंत और शाश्वत प्रकृति का प्रतीक है। वे भगवान अनंत की विशेष पूजा भी करते हैं और भक्त दीर्घायु और खुशी का आशीर्वाद मांगते हैं।


अनंत चतुर्दशी स्पेशल भोग 

 

भगवान विष्णु को पीले रंग की मिठाई चढ़ा सकते हैं. आप घर में शुद्ध घी और बेसन से लड्डू तैयार कर सकते है और इसका भोग लगा लगा सकते हैं. श्रीगणेश को भी लड्डू प्रिय हैं, उन्हें भी इसका भोग लगा सकते हैं. इसके लिए कड़ाही में घी गर्म करें. उसमें बेसन छान कर डालें और भून लें. गोल्डन ब्राउन हो जाने पर इसमें चीनी डालें. इलायची कूट कर डालें. चीनी को पिघलने दें, फिर इस मिश्रण को ठंडा होने दें. अब हाथ में पानी लगाकर छोटे-छोटे लड्डू बना लें.



चतुर्दशी तिथि पर इन चीजों से रहें सावधान

हिंदू धर्म में अनंत चतुर्दशी महत्वपूर्ण त्यौहारों में से एक है, जो भाद्रपद के महीने में चतुर्दशी के दिन मनाया जाता है। यह त्यौहार भारत के सभी हिस्सों में हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है। इस दिन लोग व्रत रखते हैं और भगवान विष्णु से सुख, लाभ और सफलता के लिए आशीर्वाद की कामना करते हैं। अनंत चतुर्दशी के दिन कुछ चीजों का विशेष रखना चाहिएः

 

  • चतुर्दशी के दिन सुपारी का उपयोग नहीं करना चाहिए।

  • इस दिन खेतों या घरों में नए पौधे लगाने से बचना चाहिए।

  • अनंत चतुर्दशी के दिन नये कपड़ों का उपयोग न करें। इसके साथ ही इस दिन नये सामान को भी नहीं खरीदना चाहिए।

  • इस दिन दान-दक्षिणा जरूर करनी चाहिए।

  • आपको इस दिन घर के बाहर खाना नहीं खाना चाहिए।

  • इस दिन किसी प्रकार के अनैतिक कार्य में शामिल न हो।

  • यदि आपने अनंत सूत्र अपनी कलाई पर बांधा है, तो आपको नशीले पदार्थों का सेवन नहीं करना चाहिए।

  • अगर आपने अनंत सूत्र अपनी कलाई पर बांधा है, तो इसे खुद न तोड़े या खोलें।

  • इस दिन आपको पशु-पक्षियों को नुकसान नहीं पहुंचाना चाहिए।

  • यदि आपने अंनत सूत्र अपनी कलाई पर बांधा है, तो उसे किसी पवित्र नदी में प्रवाहित करने के बाद ही दूसरा सूत्र अपनी कलाई पर धारण करें।

  • इस दिन आपको भगवान विष्णु के साथ शेषनाग और माता यमुना की पूजा करना नहीं भूलना चाहिए।

  • आपको इस दिन किसी की भी निंदा और झूठ नहीं बोलना चाहिए। 

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