M:- ॐ नमः शिवाय जय जय बाबा बर्फानी भूखे को अन्न प्यासे को पानी भक्तो पावन पवित्र अमरनाथ गुफा हिन्दुओ का एक प्रमुख तीर्थस्थल हे यह भारत के जम्मू कश्मीर की राजधानी श्रीनगर शहर के उत्तर पूर्व में स्थित हे यह गुफा भगवान शिव के प्रमुख धार्मिक स्थलों में से एक हे वेद पुराणों में अमरनाथ को तीर्थो का तीर्थ कहा गया हे क्योकि यही पर भगवान शिव ने माता पारवती को अमरत्व का रहस्य बताया था भक्तो यहाँ की प्रमुख विशेषता हे यहाँ बर्फ से बनने वाला प्रकृतिक शिवलिंग आषाढ़ पूर्णिमा से शुरू होकर रक्षाबंधन तक पुरे सावन के महीने में इस स्वयं भू पवित्र शिवलिंग के दर्शन हेतु यहाँ हर साल लाखो श्रद्धालु आते हे भक्तो यहाँ साक्षात् चमत्कार तो यह हे की यह पावन पवित्र शिवलिंग चन्द्रमा के घटते बढ़ते प्रकार के साथ साथ अपना स्वरूप भी बदलता जाता हे अर्थात जैसे जैसे चन्द्रमा बढ़ता हे साथ साथ यह भी बढ़ता हे और पूर्णिमा के दिन यह अपने पूर्ण स्वरूप में होता हे और जैसे जैसे चन्द्रमा घटता हे यह भी अपना आकार घटाता हे और अमावस्या में लगभग लुप्त हो जाता हे तो आइये भक्तो आज में आपको इस पवित्र अमरनाथ यात्रा पर संगीतमय रूप से ले जाता हूँ और पवित्र शिवलिंग के दर्शन कराता हूँ बोलिये शंकर भगवान की जय
आया आया महीना सावन यात्रा अमरनाथ की पावन
जो कर जायेगा शिवजी की किरपा पायेगा
बम बम बोलते भक्तो जाना शिव की जय जयकार लगाना
रस्ता कट जायेगा शिवजी की किरपा पायेगा
M:- एक बात की बात हे भक्तो माँ पारवती ने भगवान शिव को श्मशान की राख से अपना श्रृंगार करते देखा भस्मी बहुत रमाने के पश्चात भगवान शिव ने मुण्डो की माला अपने गले में धारण की माँ पारवती ने जिज्ञासावश पूछा की प्रभु ये किसके मुण्ड हे जिनकी माला आप अपने कंठ में धारण करते हे तब भोलेनाथ ने बताया की हिअ उमा ये सब तुम्हारे पूर्वजन्मों के शरीरो के मुण्ड हे इस पर माँ कोतुहलवश शिवजी से क्या पूछती हे आइये सुनते हे
आप अजर हो आप अमर हो
मैं हर बार क्यों जनम हु लेती
मेरे नर मुण्डो की माला आपके कंठ में क्यों हे रहती
क्या हे अमरकथा मेरे स्वामी
मेरे मन का भेद है स्वामी कौन मिटाएगा
शंका को कौन हटाएगा
M:- भोलेनाथ ने पहले तो माँ पारवती को टालने का भरसक प्रयास किया परन्तु माँ की हठ के आगे उनकी एक न चली शिव जी बोले हे प्रिये ये अमरत्व के गूढ़ रहस्य हे जिन्हे में तुम्हे बताऊंगा परन्तु यदि तुम्हारे सिवा ये भेद किसी और को ज्ञात हुआ तो वो भी अमर हो जायेगा और सृष्टि का सारा संतुलन अर्थात जन्म और मृत्यु का भेद समाप्त हो जायेगा इसीलिए चलो में तुम्हे किसी निर्जन स्थान पर ले चलता हूँ जहाँ तुम्हारे और मेरे सिवा कोई ना हो दोनों ने पृथ्वी लोक पर एक निर्जन स्थान की यात्रा प्रारम्भ की भगवान शिव ने एक एक कर अपने सभी सहचरो का भी परित्याग किया जो इस प्रकार हे
नंदी सबसे पहले छोड़ा पहलगाम वो तीर्थ कहाया
और चन्द्रमा जहाँ पर छोड़ा चंदनवाड़ी वो कहलाया
गंगा पंचतरणी में छोड़ी सर्प शेषनाग को मोड़े
सब छूट जायेगा कोई साथ नहीं जायेगा
M:- आगे चलकर जहाँ भगवान गणेश को छोड़ा वो स्थान महागुणस पर्वत कहाया और अंत में मृगछाल के पिस्सुओं का त्याग पिस्सूघाटी में कर वो इस पावन पवित्र गुफा में आ पहुंचे अंदर पहुंच कर भगवान शिव ने गुफा के द्वार पर अग्नि प्रज्वलित कर दी ताकि कोई भीतर आकर अमरत्व के रहस्य को ना जान ले परन्तु शिव जी की ही माया थी की गुफा के भीतर दो कबूतर रह गए अब भोले नाथ ने कथा आरम्भ की भगवान ने माँ पारवती से कहा की वो नेत्र बंद कर गूढ़ रहस्य बताएंगे अतः कथा के बिच बिच में हूँ हूँ के हुंकारे भरते रहना जिससे मुझे आभास हो की तुम कथा का श्रवण कर रही हो भोलेनाथ ने कथा प्रारम्भ की परन्तु थोड़ी देर के पश्चात ही माँ पारवती को निद्रा ने आ घेरा परन्तु वो दो कबूतर बिच बिच में हूँ हूँ के हुंकारे भरते रहे और उन्होंने सारी अमरकथा सुन ली
हूँ हूँ के हुंकारे भरते अमरकथा वो सुनते जाते
शिवजी कथा सुनाते जाते अमर वो दोनों होते जाते
गोरा मैया सोती पायी गाथा अमर की किसको सुनाई
अनर्थ हो जायेगा अमर वो प्राणी हो जायेगा
M:- तभी शिवजी की दृष्टि उन दोनों कबूतरों पर पड़ी तो शिवजी ने जाना की हुंकारे भर भर के इन्ही दोनों ने अमर कथा सुन ली हे शिव जी ने क्रोध में आकर जो ही दोनों पर त्रिशूल चलाना चाहा माँ पारवती और वे दोनों कपोत प्रभु चरणों में गिर पड़े माँ बोली प्रभु आप ही के श्रीमुख से दोनों ने अमर कथा सुनी और आप ही इन्हे मार देंगे तो संसार में आपके नाम को कौन मानेगा शिवजी का क्रोध शांत हुआ भक्तो वो दोनों कबूतर अमर हो गए और आज भी भक्त गुफा के भीतर उनका दर्शन कर सकते हे कबूतरों की प्रार्थना पर भगवान शिव ने उन्हें हर श्रावण मास में हिमलिंग के रूप में दर्शन देने का आशीर्वाद भी दिया तभी से भक्तो हर श्रावण मास में यहाँ प्राकृतिक शिवलिंग बनता हे जिसका दर्शन कर लाखो शिव भक्त भगवान शिव की कृपा प्राप्त करते हे बोलिये बाबा अमरनाथ बर्फानी की जय
को शिवलिंग का दर्शन करते
भोले शिव की किरपा पाते
भव सागर से वो तर जाते
चंदन सा वो तिलक लगाते
चरणन अपना शीश नवाते नमः शिवाय मंत्र को गाते
फिर पार हो जायेगा शिवजी की किरपा पायेगा
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