Current Date: 18 Dec, 2024

आमलकी एकादशी व्रत कथा

- शालिनी सिंह


आमलकी एकादशी व्रत कथा 

प्राचीन समय की बात हैl हमारे देश में राजा चित्रसेन नामक राजा राज्य करते थेl उनके राज्य में समस्त लोग एकादशी का व्रत किया करते  थेl एक बार राजा शिकार खेलने के लिए गए । दैवयोग से वन में वह रास्ता भटक गए और दिशा का ज्ञान न होने के कारण उसी वन में एक वृक्ष के नीचे सो गए । कुछ समय पश्चात वहां  कई मलेच्छ  आए और राजा को अकेला देखकर उस पर अस्त्र-शस्त्र से  प्रहार करने लगे। लेकिन उन के अस्त्र-शस्त्र राजा के शरीर पर लगते ही नष्ट हो जाते और राजा को पुष्पों के समान प्रतीत होते। धीरे धीरे उन जंगलियों की संख्या बढती गयी और अंत में राजा मूर्छित होकर गिर पड़े l  तभी उनके शरीर से एक दिव्य शक्ति प्रकट हुई और उसने सभी दुष्टों को मार गिराया lराजा की आँखें जैसी ही खुली  उन्होंने सभी मलेच्छों  को मृत देखा। वह सोचने लगा किसने इन्हें मारा? इस वन में कौन मेरा हितैषी रहता है?


राजा ऐसा विचार कर ही रहे थे  कि तभी आकाशवाणी हुई- 'हे राजन! इस संसार मे भगवान विष्णु के अतिरिक्त तेरी रक्षा कौन कर सकता है! आपने जो आमलकी व्रत किया था उसी पुण्य फल से आपके प्राणों की रक्षा हुई l”

इस आकाशवाणी को सुनकर राजा ने भगवान विष्णु को स्मरण कर उन्हें प्रणाम किया, फिर अपने नगर को वापस आ गए  और सुखपूर्वक राज्य करने लगा।
महर्षि वशिष्ठ ने कहा- 'हे राजन! यह सब आमलकी एकादशी के व्रत का प्रभाव था, जो मनुष्य एक भी आमलकी एकादशी का व्रत करता है, वह प्रत्येक कार्य में सफल होता है और अंत में वैकुंठ धाम को पाता है'।"


व्रत महिमा – आमलकी व्रत फाल्गुन मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी को किया जाता है आंवले के वृक्ष में भगवान् का वास माना जाता है इसलिए आज के दिन आंवले के वृक्ष की पूजा करने से उत्तम फल प्राप्त होते हैं 

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