मैं पलकन डगर बुहारू आज मेरे राम आवेगे
मैं नित नित राह निहारु आज मेरे राम आवेगे
राम आवेगे मेरे प्रभु राम आवेगे
मैं पलकन डगर बुहारू आज मेरे राम आवेगे
जन्म बिताया राह तकती फिर भी नैना नहीं हिया थकते
राम नाम का सुमिरन मेरे रोम रोम है हर पल करते
मैं नित नित डगर पुहारु आज मेरे राम आयेगे
बचपन बीता योवन बीता बीता जाए बुढापा
रामकी धुन में मन तो खो बेठी हु मैं तो अपना आपा
मैं नित नित राह निहारु आज मेरे राम आयेगे
सुल हटा कर फूल बिछाए ना जाने कब
रघुवर आये मीठे वेर रखे चख चख कर
जो बगियाँ से चुन चुन लाये
मैं पल पल राम पुकारू आज मेरे राम आवेगे
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