Current Date: 22 Dec, 2024

ऐसा डमरू बजाया भोलेनाथ ने

- Mishra Bandhu


M:-        मैं हिमाचल की बेटी, मेरा भोला बसे काशी,
सारी उमर तेरी सेवा करुँगी,बनकर तेरी दासी,
शम्भो, शिव शिव शिव शम्भो,
शिव शिव शिव शम्भो,
ऐसा डमरू बजाया भोलेनाथ ने,
सारा कैलाश पर्वत मगन हो गया,
सारा कैलाश पर्वत मगन हो गया,
ऐसा डमरू बजाया भोलेनाथ ने,
सारा कैलाश पर्वत मगन हो गया,
शम्भो,

M:-        डमरू को धुन सुन कर जी कान्हा जी आये,
कान्हा जी आये संग राधा जी आई 
वहाँ सखियों का मन भी मगन हो गया,
ऐसा डमरू बजाया भोलेनाथ ने -2
ऐसा डमरू बजाया भोलेनाथ ने
सारा कैलाश पर्वत मगन हो गया,
शम्भो,

M:-        डमरू की धुन सुन गणपत चले है 
डमरू की धुन सुन गणपत चले है 
गणपत चले संग कार्तिक चले,
डमरू की धुन सुन गणपत चले है गणपत चले संग कार्तिक चले,
वहाँ अम्बे का मन भी मगन हो गया,
ऐसा डमरू बजाया भोलेनाथ ने -2
ऐसा डमरू बजाया भोलेनाथ ने
सारा कैलाश पर्वत मगन हो गया,
शम्भो,

M:-        डमरू की धुन सुन रामा जी आये
 डमरू की धुन सुन रामा जी आये
रामा जी आये संग लक्ष्मण जी आये 
डमरू की धुन सुन रामा जी आये रामा जी आये संग लक्ष्मण जी आये 
मैया सीता का मन भी मगन हो गया,
ऐसा डमरू बजाया भोलेनाथ ने-२
ऐसा डमरू बजाया भोलेनाथ ने
ऐसा डमरू बजाया भोलेनाथ ने,
सारा कैलाश पर्वत मगन हो गया,
शम्भू 

डमरू की धुन सुन ब्रह्मा चले 
यहाँ ब्रह्मा चले वहाँ विष्णु चले,
डमरू की धुन सुन ब्रह्मा चले यहाँ ब्रह्मा चले वहाँ विष्णु चले,
मैया लक्ष्मी का मन भी मगन हो गया, 
सारा कैलाश पर्वत मगन हो गया, 
ऐसा डमरू बजाया भोलेनाथ ने,
सारा कैलाश पर्वत मगन हो गया,  शम्भू

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