M:- श्री अहोई की मैं तुमको कथा सुनाता हूँ पावन कथा सुनाता हूँ
स्याहूँ माता की तुमको महिमा बतलाता हूँ मैं कथा सुनाता हूँ
सात बहूँ और एक ननद की व्यथा सुनाता हूँ भगतो व्यथा सुनाता हूँ
श्री अहोई की तुमको महिमा बतलाता हूँ मैं कथा सुनाता हूँ
कोरस:- बोलो जय जय अहोई माँ बोलो जय जय स्याहूँ माँ
कुल वंश दायनी माँ तुम्हे बारम्बार प्रणाम
1
M:- साहूकार था एक था उसका बहूँत बड़ा परिवार
सात पुत्र और सात बहूँ एक पुत्री थी सुकुमार
कोरस:- एक पुत्री थी सुकुमार
M:- सातो भाभियाँ छोटी ननद से करती प्यार दुलार
प्रेम भाव से भरा हूँआ था उनका घर संसार
कोरस:- उनका घर संसार
M:- दीवाली आने वाली थी सबने किया विचार
करे सफाई घर की अपने चमकाए घर द्वार
कोरस:- चमकाए घर द्वार
M:- सातो बहूँएँ चल पड़ी जंगल लाने को मिटटी
संग चल पड़ी सबकी लाड़ली छोटी ननद उनकी
कोरस:- छोटी ननद उनकी
M:- ध्यान लगाके सुनना आगे कथा बढ़ाता हूँ
पावन कथा सुनाता हूँ श्री माता अहोई की तुमको
महिमा बतलाता हूँ मैं कथा सुनाता हूँ
कोरस:- बोलो जय जय अहोई माँ बोलो जय जय स्याहूँ माँ
कुल वंश दायनी माँ तुम्हे बार बार प्रणाम
2
M:- लेके खुरपी हाथ में वो सब माटी खोद रही
छोटी ननद कुछ बैठी बैठी मन में सोच रही
कोरस:- कुछ मन में सोच रही
M:- लगी खोदने माटी वो भी खुरपी लेकर के
हंसी ठिठोली सभी भाभियां करती हस कर के
कोरस:- भाभियां करती हस कर के
M:- तभी अचानक स्याहूँ का बच्चा कट गया खुरपी से
लगा निकलने लहू वहां निचे से धरती से
कोरस:- वहां निचे से धरती से
M:- मर गया था स्याहूँ का बच्चा ननद के हाथो से
घबराया दिल ननद का आंसू निकले आँखों से
कोरस:- आंसू निकले आँखों से
M:- बच्चे की माँ क्या बोली मैं वो बतलाता हूँ
पावन कथा सुनाता हूँ श्री माता अहोई की तुमको
महिमा बतलाता हूँ मैं कथा सुनाता हूँ
कोरस:- बोलो जय जय अहोई माँ बोलो जय जय स्याहूँ माँ
कुल वंश दायनी माँ तुम्हे बार बार प्रणाम
3
M:- तडप के बोली स्याहूँ तू आबाद नहीं होगी
बंध जाएगी कोख तेरी औलाद नहीं होगी
कोरस:- तेरी औलाद नहीं होगी
M:- अपने बच्चे की खातिर मैं तड़प रही जैसे
सारी उमर बच्चे की खातिर तू तड़पे वैसे
कोरस:- तू भी तड़पे वैसे
M:- बाँध रही हूँ कोख तेरी मैं सुनले ओ पापीन
तड़पेगी ओलाद के लिए तू हर पल हर दिन
कोरस:- तू हर पल हर दिन
M:- हाथ जोड़ के रोने लगी वो स्याहूँ के आगे
चाहे लेले प्राण मेरे पर श्राप ना ऐसा दे
कोरस:- पर श्राप ना ऐसा दे
M:- फिर होता है क्या मैं तुमको वो समझाता हूँ
पावन कथा सुनाता हूँ श्री माता अहोई की तुमको
महिमा बतलाता हूँ मैं कथा सुनाता हूँ
कोरस:- बोलो जय जय अहोई माँ बोलो जय जय स्याहूँ माँ
कुल वंश दायनी माँ तुम्हे बार बार प्रणाम
4
M:- सातो भाभियाँ खड़ी खड़ी हैरत से देख रही
हाथ विधाता ये क्या हो गया मन में सोच रही
कोरस:- मन में सोच रही
M:- हाथ जोड़ के उनकी ननद है फुट फुट रोती
झर झर आँखों से गिरते बून्द बून्द मोती
कोरस:- गिरते बून्द बून्द मोती
M:- बोली स्याहूँ से वो बिटिया मुझको माफ़ करो
अनजाने में हूँई खता मेरा इन्साफ करो
कोरस:- मेरा इन्साफ करो
M:- इतनी बड़ी सजा तो ना दो मेरी गलती की
क्षमा याचना करती हूँ मैं अपनी गलती की
कोरस:- मैं अपनी गलती की
M:- पिघला दिल स्याहूँ का कैसे वो बतलाता हूँ
पावन कथा सुनाता हूँ श्री माता अहोई की तुमको
महिमा बतलाता हूँ मैं कथा सुनाता हूँ
कोरस:- बोलो जय जय अहोई माँ बोलो जय जय स्याहूँ माँ
कुल वंश दायनी माँ तुम्हे बार बार प्रणाम
5
M:- बोली स्याहूँ बिटिया से ना वापिस होगा श्राप
सजा तो तुमको मिलेगी इसकी तुमने किया है पाप
कोरस:- तुमने किया है पाप
M:- एक उपाय बताती हूँ मैं तुम बच सकती हो
अपनी कोख के बदले में तुम कोख बदल सकती हो
कोरस:- तुम कोख बदल सकती हो
M:- तेरी कोख के बदले कोई और जो बंधवा ले
कोई मेरे श्राप को अपने ऊपर करवाले
कोरस:- अपने ऊपर करवाले
M:- सोच में पड़ गयी बिटिया आखिर ऐसा कौन करे
मेरे पाप की गठरी अपने सर पे कौन धरे
कोरस:- अपने सर पे कौन धरे
M:- सबसे छोटी भाभी बोली क्या सुनवाता हूँ
पावन कथा सुनाता हूँ श्री माता अहोई की तुमको
महिमा बतलाता हूँ मैं कथा सुनाता हूँ
कोरस:- बोलो जय जय अहोई माँ बोलो जय जय स्याहूँ माँ
कुल वंश दायनी माँ तुम्हे बार बार प्रणाम
6
M:- ये है छोटी कन्या घर में ये है सबकी जान
अगर बंध गयी कोख कही ना पायेगी सम्मान
कोरस:- कही ना पायेगी सम्मान
M:- बदले में इसके कोख हमारी बंध जाये चाहे
मेरे जीते इसकी कोख पे आंच नहीं आये
कोरस:- कोख पे आंच नहीं आये
M:- दे दो इसका श्राप मुझे जो पाप किया इसने
सुनके बहूँ की बात वो स्याहूँ लगी है यु कहने
कोरस:- स्याहूँ लगी है यु कहने
M:- इसकी कोख के बदले में अब बंध गयी तेरी कोख
धन्य भाग तेरे है बेटी धन्य है तेरी सोच
कोरस:- बेटी धन्य है तेरी सोच
M:- ऐसी पावन देवी को मैं शीश नवाता हूँ
पावन कथा सुनाता हूँ श्री माता अहोई की तुमको
महिमा बतलाता हूँ मैं कथा सुनाता हूँ
कोरस:- बोलो जय जय अहोई माँ बोलो जय जय स्याहूँ माँ
कुल वंश दायनी माँ तुम्हे बार बार प्रणाम
7
M:- अब आगे क्या होता है सब सुनो लगाके ध्यान
छोटी बहूँ की कोख से पैदा होती जो संतान
कोरस:- पैदा होती जो संतान
M:- सात दिनों से ज्यादा जिन्दा रहे नहीं औलाद
उसके पति के सपने सारे हो गए थे बर्बाद
कोरस:- सारे हो गए थे बर्बाद
M:- ज्ञानी पुरुष को बुलवा करके उसने पुछवाया
कष्ट निवारण का ज्ञानी ने रस्ता समझाया
कोरस:- ज्ञानी ने रस्ता समझाया
M:- सुरभी गाय की सेवा करो तुम पुरे तन मन से
कष्ट चला जायेगा बेटी तेरे जीवन से
कोरस:- बेटी तेरे जीवन से
M:- करती है क्या छोटी बहूँ अब वो दिखलाता हूँ
पावन कथा सुनाता हूँ श्री माता अहोई की तुमको
महिमा बतलाता हूँ मैं कथा सुनाता हूँ
कोरस:- बोलो जय जय अहोई माँ बोलो जय जय स्याहूँ माँ
कुल वंश दायनी माँ तुम्हे बार बार प्रणाम
8
M:- सुरभी गाय की सेवा करती छोटी बहूँ हर दिन
गाय की सेवा में ही उसका गुजरे हर पल क्षीण
कोरस:- उसका गुजरे हर पल क्षीण
M:- सगी बहन थी स्याहूँ माँ सुरभी गाय काली
दिव्य चरण और सुंदर मुखड़ा थी भोली भाली
कोरस:- सुंदर थी भोली भाली
M:- छोटी बहूँ पुरे तन मन से सेवा करती थी
सुबह शाम वो गौ माता की पूजा करती थी
कोरस:- वो पूजा करती थी
M:- उसकी सेवा भाव देख गौ माता बोली
मांग ले तेरे मन जो है भर दूंगी झोली
कोरस:- तेरी भर दूंगी झोली
M:- क्या माँगा उस बहूँ ने अब में वो बतलाता हूँ
पावन कथा सुनाता हूँ श्री माता अहोई की तुमको
महिमा बतलाता हूँ मैं कथा सुनाता हूँ
कोरस:- बोलो जय जय अहोई माँ बोलो जय जय स्याहूँ माँ
कुल वंश दायनी माँ तुम्हे बार बार प्रणाम
9
M:- हाथ जोड़ फिर बहूँ वो बोली सुन लो गौ माता
स्याहूँ माता जी से तुम्हारा बहन का है नाता
कोरस:- तुम्हारा बहन का है नाता
M:- मेरी ननद के हाथो हो गया अनजाना अपराध
उसके बदले स्याहूँ ने दी कोख हमारी बांध
कोरस:- दी कोख हमारी बांध
M:- मुझसे अगर प्रसन्न है तो फिर दो ऐसा वरदान
कोख हमारी खुलवाकर माँ कर दो मेरा कल्याण
कोरस:- माँ कर दो मेरा कल्याण
M:- गौ माता फिर बहूँ को लेकर चली समंदर पार
दिया बांध जंगल के बिच एक पेड़ था छायादार
कोरस:- एक पेड़ था छायादार
M:- होता है फिर वहां पे जो भी वो दिखलाता हूँ
पावन कथा सुनाता हूँ श्री माता अहोई की तुमको
महिमा बतलाता हूँ मैं कथा सुनाता हूँ
कोरस:- बोलो जय जय अहोई माँ बोलो जय जय स्याहूँ माँ
कुल वंश दायनी माँ तुम्हे बार बार प्रणाम
10
M:- बैठ गए उस पेड़ के नीचे शीतल थी छाया
क्या होता है आगे देखो ईश्वर की माया
कोरस:- देखो ईश्वर की माया
M:- उसी पेड़ पे बच्चे दिए थे गरुण पंखिनी ने
बच्चे खाते सांप को देखा गऊ भक्तिनी ने
कोरस:- देखा गऊ भक्तिनी ने
M:- गऊ भक्तिनी छोटी बहूँ ने मार गिराया सांप
बचा लिए थे बच्चे उसने ले लिया सर पे पाप
कोरस:- ले लिया सर पे पाप
M:- गरुण पंखिनी चारा लेकर वापिस जब आयी
बिखरा लहू देखा जब उसने मन में घबराई
कोरस:- देख के मन में घबराई
M:- कैसे घायल किया बहूँ को ये बतलाता हूँ
पावन कथा सुनाता हूँ श्री माता अहोई की तुमको
महिमा बतलाता हूँ मैं कथा सुनाता हूँ
कोरस:- बोलो जय जय अहोई माँ बोलो जय जय स्याहूँ माँ
कुल वंश दायनी माँ तुम्हे बार बार प्रणाम
M:- उसने सोचा इस औरत ने
बच्चे मार दिए
मार के मेरे बच्चो को
झाड़ी में डार दिए
मार मार के चोंच बहूँ को
करने लगे घायल
लगता था वो गरुण पंखिनी
हो गयी थी पागल
क्या बोली है छोटी बहूँ
मैं वो बतलाता हूँ पावन कथा सुनाता हूँ
माता अहोई की तुमको महिमा बतलाता हूँ
कोरस:- बोलो जय जय अहोई माँ
बोलो जय जय स्याहूँ माँ
कुल वंश दायनी माँ
तुम्हे बार बार प्रणाम
11
M:- छोटी बहूँ बोली के यहाँ पे नाग एक आया
मेरे कारण बच्चो को तेरे उसने नहीं खाया
कोरस:- बच्चो को उसने नहीं खाया
M:- खून है ये उस मरे सांप का मेने मारा है
चोंच मुझे क्यों मार रही क्या दोष हमारा है
कोरस:- क्या दोष हमारा है
M:- सोच में पड़ गयी गरुण पंखिनी बहूँ से फिर बोली
मांग ले जो मन में है तेरे ओ लाडो भोली
कोरस:- ओ लाडो भोली
M:- पंहूँचा दे मुझे गरुण पंखिनी सात समंदर पार
स्याहूँ माता से मिलवा दे कर दे ये उपकार
कोरस:- मुझपे कर दे ये उपकार
M:- क्या करती है गरुण पंखिनी वो दिखलाता हूँ
पावन कथा सुनाता हूँ श्री माता अहोई की तुमको
महिमा बतलाता हूँ मैं कथा सुनाता हूँ
कोरस:- बोलो जय जय अहोई माँ बोलो जय जय स्याहूँ माँ
कुल वंश दायनी माँ तुम्हे बार बार प्रणाम
12
M:- उन दोनों को पीठ बिठाकर उड़के चली आकाश
ले आयी वो गरुण पंखिनी स्याहूँ माँ के पास
कोरस:- लायी स्याहूँ माँ के पास
M:- स्याहूँ माँ ने गाय बहन को तुरंत लिया पहचान
लग के गले भायली के फिर किया मान सम्मान
कोरस:- फिर किया मान सम्मान
M:- स्याहूँ बोली सुरभी बहन से जुओ से हूँ परेशान
जुए मेरी मरवा दे बहना साथ तेरे इंसान
कोरस:- बहना साथ तेरे इंसान
M:- सुरभी गाय बहूँ से बोली स्याहूँ के जुए निकाल
खुश हो गयी जो स्याहूँ तुझको कर दे माला माल
कोरस:- तुझको कर दे माला माल
M:- लगी मारने जुए बहूँ वो मैं बतलाता हूँ
पावन कथा सुनाता हूँ श्री माता अहोई की तुमको
महिमा बतलाता हूँ मैं कथा सुनाता हूँ
कोरस:- बोलो जय जय अहोई माँ बोलो जय जय स्याहूँ माँ
कुल वंश दायनी माँ तुम्हे बार बार प्रणाम 13
M:- लेके सलाई छोटी बहूँ वो जुए मारती है
रोम रोम से स्याहूँ माँ के जुए झाड़ती है
कोरस:- माँ के जुए झाड़ती है
M:- हो करके प्रसन्न वो स्याहूँ दिया उसे वरदान
सात पुत्र तेरे सात बहूँ हो भला करे भगवान
कोरस :- तेरा भला करे भगवान
M:- बोली बहूँ सात को छोडो एक भी संतान नहीं
स्याहूँ माँ तुम मुझको दो ऐसा वरदान नहीं
कोरस :- ऐसा वरदान नहीं
M:- मेरी कोख तो बंधी पड़ी है पास तुम्हारे माँ
मेरा तो कुल वंश सभी कुछ हाथ तुम्हारे माँ
कोरस :- सभी कुछ हाथ तुम्हारे माँ
M:- स्याहूँ माँ ने क्या बोला मैं वो सुनवाता हूँ
पावन कथा सुनाता हूँ श्री माता अहोई की तुमको
महिमा बतलाता हूँ मैं कथा सुनाता हूँ
कोरस:- बोलो जय जय अहोई माँ बोलो जय जय स्याहूँ माँ
कुल वंश दायनी माँ तुम्हे बार बार प्रणाम
14
M:- स्याहूँ माँ फिर बहूँ से बोली तूने ठगा मुझे
सारी बाते तूने क्यों ना पहले कहा मुझे
कोरस:- क्यों ना पहले कहा मुझे
M:- वचन बद्ध हूँ इसीलिए तेरी कोख खोलती हूँ
सात पुत्र तेरे सात बहूँ हो सत्य बोलती हो
कोरस:- मैं ये सत्य बोलती हो
M:- घर जाकर तू सात अहोई सात कड़ाही कर
पुत्र और बहूँओ से तेरा भरा रहेगा घर
कोरस:- तेरा भरा रहेगा घर
M:- घर आकर जब उसने देखा सब थी सच्ची बात
सात पुत्रो संग बैठी बहूँये उनकी सात
कोरस:- बैठी बहूँये उनकी सात
M:- करे अहोई पूजन कैसे वो दिखलाता हूँ
पावन कथा सुनाता हूँ श्री माता अहोई की तुमको
महिमा बतलाता हूँ मैं कथा सुनाता हूँ
कोरस:- बोलो जय जय अहोई माँ बोलो जय जय स्याहूँ माँ
कुल वंश दायनी माँ तुम्हे बार बार प्रणाम
15
M:- छोटी बहूँ की सभी जिठानी दिवाली के रोज
अच्छे से पकवान बनाये अच्छे अच्छे भोग
कोरस:- बनाये अच्छे अच्छे भोग
M:- आओ जल्दी पूजन करले दिवाली का हम
वरना छोटी बहूँ कर देगी रो रो के मातम
कोरस:- करेगी रो रो के मातम
M:- औलादो की करके याद वो फुट के रोयेगी
रो रो के सारे घर को आंसुओ से धोयेगी
कोरस:- आंसुओ से धोयेगी
M:- अपने बच्चो को भेजा फिर चाची के घर में
देख के आओ क्या करती है घर के अंदर में
कोरस:- करे क्या घर के अंदर में
M:- बच्चे देखके आये जो में वो बतलाता हूँ
पावन कथा सुनाता हूँ श्री माता अहोई की तुमको
महिमा बतलाता हूँ मैं कथा सुनाता हूँ
कोरस:- बोलो जय जय अहोई माँ बोलो जय जय स्याहूँ माँ
कुल वंश दायनी माँ तुम्हे बार बार प्रणाम
16
M:- बच्चो ने आकर के बताई चाची की हर बात
चाची कर रही घर में उज्जवन जोड़के दोनों हाथ
कोरस:- करे वो जोड़के दोनों हाथ
M:- सभी जिठानी छोटी के घर दौड़ दौड़ आयी
सात पुत्र और सात बहूँ को देख के चकराई
कोरस:- बहूँ को देख के चकराई
M:- बोली बहूँ से इक जेठानी कैसे कोख खुली
बतादे तू देवरानी हमको कैसे ख़ुशी मिली
कोरस:- तुझको कैसे ख़ुशी मिली
M:- देवरानी मुस्काई फिर वो शीश झुकाकर बोली
स्याहूँ माँ ने कोख थी बाँधी स्याहूँ माँ ने ही खोली
कोरस:- स्याहूँ माँ ने ही खोली
M: - ऐसी स्याहूँ माता को में शीश नवाता हूँ
पावन कथा सुनाता हूँ श्री माता अहोई की भक्तो
महिमा बतलाता हूँ मैं कथा सुनाता हूँ
कोरस:- बोलो जय जय अहोई माँ बोलो जय जय स्याहूँ माँ
कुल वंश दायनी माँ तुम्हे बार बार प्रणाम
17
M: - स्याहूँ माता जी की कृपा जैसे हूँई मुझ पर
वैसे स्याहूँ माँ की कृपा बरसे तुम सब पर
कोरस:- कृपा बरसे तुम सब पर
M:- खुले कोख तुम सबकी भी है यही कामना मेरी
पूरन करी स्याहूँ माता ने सभी साधना मेरी
कोरस:- सभी साधना मेरी
M:- स्याहूँ माँ सिद्ध हमारी सिद्ध अहोई माँ
सबको दो औलाद माँ स्याहूँ रहे दुखी ना कोई माँ
कोरस:- ना रहे दुखी कोई माँ
M:- श्रद्धा से सब शीश झुकाओ स्याहूँ माता को
करो अहोई करो कड़ाही स्याहूँ माता की
कोरस:- कड़ाही स्याहूँ माता की
M:- करके माँ प्रणाम तुम्हे जैकार लगाता हूँ
पावन कथा सुनाता हूँ श्री माता अहोई की भक्तो
महिमा बतलाता हूँ मैं कथा सुनाता हूँ
कोरस:- बोलो जय जय अहोई माँ बोलो जय जय स्याहूँ माँ
कुल वंश दायनी माँ तुम्हे बार बार प्रणाम
M:- श्री अहोई की मैं तुमको कथा सुनाता हूँ पावन कथा सुनाता हूँ
स्याहूँ माता की तुमको महिमा बतलाता हूँ मैं कथा सुनाता हूँ
सात बहूँ और एक ननद की व्यथा सुनाता हूँ भगतो व्यथा सुनाता हूँ
श्री अहोई की तुमको महिमा बतलाता हूँ मैं कथा सुनाता हूँ
कोरस:- बोलो जय जय अहोई माँ बोलो जय जय स्याहूँ माँ
कुल वंश दायनी माँ तुम्हे बारम्बार प्रणाम
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