Current Date: 22 Nov, 2024

अहिल्या उद्धार

- Shri Devendra Ji Maharaj


M:-    गौतम ऋषि के श्राप वश उनकी पत्नी माता अहिल्या एक पत्थर के प्राचीन 
    शिला के रूप में आज गुरु विश्वामित्र के बताने पर  भगवान श्री राधा सरकार 
    ने अपने चरण कमल के अंगूठे से स्पर्श किया वह पत्थर की शिला एक नारी 
    के रूप में प्रकट हो गयी माता अहिल्या बार बार भगवान के चरणों में प्रणाम 
    करते हुए अपने नैनो से अश्रुपात करते हुए अपने पति भगवान गौतम ऋषि जी 
    का बार बार धन्यवाद कर रही है की सरकार धन्य है मेरे पतिदेव जिन्होंने मुझे 
    श्राप देकर जगत के पति का दर्शन करवा दिया बोलिये राजा राम चंद्र भगवान् 
    की -
कोरस :-     जय 
M:-    बाबा पूजयपाद तुलसीदास गोस्वामी जी महाराज श्री राम चरित मानस के 
    बाल कांड में छंद के रूप में लिखते है आइये भगवान की यह स्तुति ह्रदय के 
    अंतर्मन से हम सभी गाये -
    परसत पद पावन  सोक नसावन प्रगट भई  तपपुंज सही
कोरस :-     परसत पद पावन  सोक नसावन प्रगट भई  तपपुंज सही
M:-    देखत रघुनायक जन सुखदायक सनमुख होइ कर जोरि सही
कोरस :-     देखत रघुनायक जन सुखदायक सनमुख होइ कर जोरि सही
M:-    अति प्रेम अधीरा पुलक सरीरा मुख नहिं आवइ बचन कही
कोरस :-     मुख नहिं आवइ बचन कही मुख नहिं आवइ बचन कही
M:-    अतिसय बड़भागी चरनन्हि लागी जुगल नयन जलधार बही
कोरस :-     जुगल नयन जलधार बही जुगल नयन जलधार बही
M:-    धीरजु मन कीन्हा प्रभु कहुँ  चीन्हा रघुपति कृपाँ  भगति पाई
कोरस :-     धीरजु मन कीन्हा प्रभु कहुँ  चीन्हा रघुपति कृपाँ  भगति पाई
M:-    अति निर्मल बानी अस्तुति ठानी ग्यानगम्य जय रघुराई
कोरस :-     अति निर्मल बानी अस्तुति ठानी ग्यानगम्य जय रघुराई
M:-    मैं नारि अपावन प्रभु जग पावन रावन रिपु जन सुखदाई
कोरस :-     रावन रिपु जन सुखदाई रावन रिपु जन सुखदाई
M:-    राजीव बिलोचन भव  भय मोचन पाहि पाहि सरनहिं आई
कोरस :-     पाहि पाहि सरनहिं आई पाहि पाहि सरनहिं आई
M:-    मुनि श्राप जो दीन्हा अति भल कीन्हा परम अनुग्रह मैं माना
कोरस :-     मुनि श्राप जो दीन्हा अति भल कीन्हा परम अनुग्रह मैं माना
M:-    देखेउँ भरि लोचन हरि  भव  मोचन इहइ लाभ संकर जाना 
कोरस :-     देखेउँ भरि लोचन हरि  भव  मोचन इहइ लाभ संकर जाना 
M:-    बिनती प्रभु मोरी मैं मति भोरी नाथ न मागउँ बर आना
कोरस :-     नाथ न मागउँ बर आना नाथ न मागउँ बर आना
M:-    पद कमल परागा रस  अनुरागा मन  मन मधुप करै  पाना 
कोरस :-     मन  मन मधुप करै  पाना मन  मन मधुप करै  पाना
M:-    जेहिं  पद सुरसरिता परम पुनीता  प्रगट भई सिव सीस धरी
कोरस :-     जेहिं  पद सुरसरिता परम पुनीता  प्रगट भई सिव सीस धरी
M:-    सोई पद पंकज जेहि पूजत अज मम सिर  धरेउ कृपाल हरी
कोरस :-    सोई पद पंकज जेहि पूजत अज मम सिर  धरेउ कृपाल हरी
M:-    एहि भाँति सिधारी गौतम नारी बार बार हरि  चरन  परी
कोरस :-     बार बार हरि  चरन  परी
M:-    एहि भाँति सिधारी गौतम नारी बार बार हरि  चरन  परी
कोरस :-     बार बार हरि  चरन  परी
M:-    जो अति मन भावा सो बरु पावा गै  पति लोक अनंद  भरी
कोरस :-     जो अति मन भावा सो बरु पावा गै  पति लोक अनंद  भरी
M:-    परसत पद पावन  सोक नसावन प्रगट भई  तपपुंज सही
कोरस :-     परसत पद पावन  सोक नसावन प्रगट भई  तपपुंज सही
M:-    देखत रघुनायक जन सुखदायक सनमुख होइ कर जोरि सही
कोरस :-     देखत रघुनायक जन सुखदायक सनमुख होइ कर जोरि सही
M:-    सीताराम सीताराम सीताराम सीताराम हरे राम हरे राम हरे राम हरे राम 
कोरस :-     सीताराम सीताराम सीताराम सीताराम हरे राम हरे राम हरे राम हरे राम 
M:-    सीताराम सीताराम राजाराम राजाराम सीताराम सीताराम राजाराम राजाराम 
कोरस :-     सीताराम सीताराम राजाराम राजाराम सीताराम सीताराम राजाराम राजाराम 
M:-    हरे राम हरे राम हरे राम हरे राम राजा राम राजा राम सीता राम सीता राम 
कोरस:-     हरे राम हरे राम हरे राम हरे राम राजा राम राजा राम सीता राम सीता राम 
M:-    सीताराम सीताराम राजाराम राजाराम सीताराम सीताराम राजाराम राजाराम 
    अस प्रभु दीनबंधु हरि  कारन रहित दयाल । 
    तुलसिदास  सठ  तेहि भजु छाड़ि  कपट जंजाल ॥ 
    अरे अहिल्या उद्धार के इस छंद को लिखने के बाद बाबा पूजयपाद 
    तुलसीदास गोस्वामी दास जी महाराज ने कहा की मानो जीवन पाने के बाद 
    भी जिव यत्र तत्र सर्वत्र भटकता रहता है अरे संसार में अगर कोई सच्चा प्रेम 
    करने वाला है तो एक जनम देने वाली माँ दूसरा अगर कोई बिना कारण के 
    प्रेम करता है तो वो जगत पिता परमात्मा बोलिये राजा रामचंद्र भगवान की 
    जय हो 
 

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