अधिक मास में कौन से नियमों का पालन करना चाहिए?
हिन्दू चंद्र मास के अनुसार हर तीसरे साल में एक बार आता है। इस बार श्रावण माह के अंतर्गत अधिकमास प्रारंभ हो रहा है। सावन का महीना 4 जुलाई से प्रारंभ होकर 31 अगस्त तक चलेगा जबकि 18 जुलाई से अधिकमास प्रारंभ होगा जो 16 अगस्त को समाप्त होगा। आओ जानते हैं अधिकमास के नियम।
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अधिक मास के नियम
1. इस मास की कथा भगवान विष्णु के अवतार नृःसिंह भगवान और श्रीकृष्ण से जुड़ी हुई है। इस माह में उक्त दोनों भगवान का षोडशोपचार पूजन करना चाहिए।
2. इस मास में श्रीमद्भागवत गीता में पुरुषोत्तम मास का महामात्य, श्रीराम कथा वाचन, विष्णु सहस्रनाम स्तोत्र पाठ का वाचन और गीता के पुरुषोत्तम नाम के 14वें अध्याय का नित्य अर्थ सहित पाठ करना चाहिए।
3. पाठ नहीं कर सकते हैं तो भगवान के 'ॐ नमो भगवते वासुदेवाय' इस द्वादशाक्षर मन्त्र का प्रतिदिन 108 बार जप करना चाहिए।
4. इस पूरे मास एक समय ही भोजन करना चाहिए जो कि आध्यात्मिक और सेहत की दृष्टि से उत्तम होगा।
5. भोजन में गेहूं, चावल, जौ, मूंग, तिल, बथुआ, मटर, चौलाई, ककड़ी, केला, आंवला, दूध, दही, घी, आम, हर्रे, पीपल, जीरा, सोंठ, सेंधा नमक, इमली, पान-सुपारी, कटहल, शहतूत, मेथी आदि खाने का विधान है।
6. इस मास में भगवान के दीपदान और ध्वजादान की भी बहुत महिमा है।
7. इस माह में दान दक्षिणा का कार्य भी पुण्य फल प्रदान करता है।
8. पुरुषोत्तम मास में स्नान, पूजन, अनुष्ठान और दान करने से विशेष फल प्राप्त होते हैं और हर प्रकार के कष्ट दूर होते हैं।
9. इस माह में विशेष कर रोग निवृत्ति के अनुष्ठान, ऋण चुकाने का कार्य, शल्य क्रिया, संतान के जन्म संबंधी कर्म, सूरज जलवा आदि, गर्भाधान, पुंसवन, सीमांत जैसे संस्कार किए जा सकते हैं।
10. इस माह में यात्रा करना, साझेदारी के कार्य करना, मुकदमा लगाना, बीज बोना, वृक्ष लगाना, दान देना, सार्वजनिक हित के कार्य, सेवा कार्य करने में किसी प्रकार का दोष नहीं है।
11. इस पुरुषोत्तम माह में किसी भी प्रकार का व्यसन नहीं करें और मांसाहार से दूर रहें।
12. मांस, शहद, चावल का मांड़, उड़द, राई, मसूर, मूली, प्याज, लहसुन, बासी अन्न, नशीले पदार्थ आदि नहीं खाने चाहिए।
13. इस माह में विवाह, नामकरण, अष्टाकादि श्राद्ध, तिलक, मुंडन, यज्ञोपवीत, कर्णछेदन, गृह प्रवेश, देव-प्रतिष्ठा, संन्यास अथवा शिष्य दीक्षा लेना, यज्ञ, आदि शुभकर्मों और मांगलिक कार्यों का भी निषेध है।
14. इस महीने वस्त्र आभूषण, घर, दुकान, वाहन आदि की खरीदारी नहीं की जाती है परंतु बीच में कोई शुभ मुहूर्त हो तो ज्योतिष की सलाह पर आभूषण की खरीददारी की जा सकती है।
15. अपशब्द, गृहकलह, क्रोध, असत्य भाषण और समागम आदि कार्य भी नहीं करना चाहिए।
16. कुआं, बोरिंग, तालाब का खनन आदि का त्याग करना चाहिए।
What rules should be followed in Adhik Maas?
It comes once in every third year according to the Hindu lunar month. This time Adhikamas is starting under the month of Shravan. The month of Sawan will start from 4th July till 31st August while Adhikamas will start from 18th July which will end on 16th August. Let's know the rules of Adhikamas.
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Rules of Adhik month
1. The story of this month is related to the incarnations of Lord Vishnu, Lord Nrusingh and Lord Krishna. In this month, Shodashopachar worship of both the above Gods should be done.
2. In this month, Mahamatya of Purushottam month in Shrimad Bhagwat Gita, recitation of Shri Ram Katha, recitation of Vishnu Sahasranama stotra and 14th chapter of Gita named Purushottam should be recited daily with meaning.
3. If you can't recite, then you should chant this Dwadashakshar mantra of God 'Om Namo Bhagwate Vasudevay' 108 times a day.
4. In this whole month, food should be taken only at one time, which will be good from the spiritual and health point of view.
5. Wheat, rice, barley, moong, sesame, bathua, peas, amaranth, cucumber, banana, amla, milk, curd, ghee, mango, hare, peepal, cumin, dry ginger, rock salt, tamarind, betel nut in food. There is a law to eat jackfruit, mulberry, fenugreek etc.
6. In this month there is a lot of praise for donating the lamp and donating the flag.
7. In this month, the work of charity and dakshina also gives good results.
8. Bathing, worshipping, performing rituals and donating in the month of Purushottam gives special results and all kinds of troubles go away.
9. In this month, especially the rituals of disease retirement, debt repayment, surgery, rituals related to the birth of children, Suraj Jalwa etc., rites like conception, Punsavan, Seemant can be performed.
10. There is no fault in traveling, doing partnership work, suing, sowing seeds, planting trees, donating, public interest work, service work in this month.
11. Do not do any kind of addiction in this Purushottam month and stay away from non-vegetarian food.
12. Meat, honey, rice bran, urad, mustard, lentils, radish, onion, garlic, stale grains, intoxicants etc. should not be eaten.
13. In this month, marriage, naming, Ashtakadi Shraddha, Tilak, Mundan, Yajnopaveet, ear piercing, house warming, deity-pratishtha, retirement or disciple initiation, Yagya, etc. auspicious deeds and auspicious works are also prohibited.
14. There is no purchase of clothes, jewellery, house, shop, vehicle etc. in this month, but if there is an auspicious time in between, then the purchase of jewelery can be done on the advice of astrologer.
15. One should not indulge in bad words, domestic disputes, anger, false speech and sexual intercourse.
16. Wells, boring, mining of ponds etc. should be abandoned.
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