M:- सुनो जी भैरव लाडले कर जोड़ कर विनती
कृपा तुम्हारी चाहिए मै ध्यान तुम्हरा ही धरूँ
कोरस :- सुनो जी भैरव लाडले कर जोड़ कर विनती
कृपा तुम्हारी चाहिए मै ध्यान तुम्हरा ही धरूँ
M:- मैं चरण छुता आपके,अर्जी मेरी सुन लीजिये॥
मैं हूँ मति का मन्द,मेरी कुछ मदद तो कीजिये।
महिमा तुम्हारी बहुत,कुछ थोड़ी सी मैं वर्णन करूँ॥
सुनो जी भैरव लाडले कर जोड़ कर विनती
कोरस :- सुनो जी भैरव लाडले कर जोड़ कर विनती
कृपा तुम्हारी चाहिए मै ध्यान तुम्हरा ही धरूँ
M:- करते सवारी स्वान की,चारों दिशा में राज्य है।
जितने भूत और प्रेत,सबके आप ही सरताज हैं॥
हथियार हैं जो आपके,उसका क्या वर्णन करूँ।
सुनो जी भैरव लाडले कर जोड़ कर विनती
कोरस :- सुनो जी भैरव लाडले कर जोड़ कर विनती
कृपा तुम्हारी चाहिए मै ध्यान तुम्हरा ही धरूँ
M:- माता जी के सामने तुम,नृत्य भी करते सदा॥
गा गा के गुण अनुवाद से,उनको रिझाते हो सदा।
एक सांकली है आपकी,तारीफ उसकी क्या करूँ॥
सुनो जी भैरव लाडले कर जोड़ कर विनती
कोरस :- सुनो जी भैरव लाडले कर जोड़ कर विनती
कृपा तुम्हारी चाहिए मै ध्यान तुम्हरा ही धरूँ
M:- बहुत सी महिमा तुम्हारी,मेंहदीपुर सरनाम है।
आते जगत के यात्री,बजरंग का स्थान है॥
श्री प्रेतराज सरकार के,मैं शीश चरणों में धरूँ।
सुनो जी भैरव लाडले कर जोड़ कर विनती
कोरस :- सुनो जी भैरव लाडले कर जोड़ कर विनती
कृपा तुम्हारी चाहिए मै ध्यान तुम्हरा ही धरूँ
M:- निशदिन तुम्हारे खेल से,माताजी खुश रहें॥
सिर पर तुम्हारे हाथ रख कर,आशीर्वाद देती रहें।
कर जोड़ कर विनती करूँ,अरु शीश चरणों में धरूँ॥
कोरस :- सुनो जी भैरव लाडले कर जोड़ कर विनती
कृपा तुम्हारी चाहिए मै ध्यान तुम्हरा ही धरूँ -4
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