दोहा -ऐसे वर को क्या वरु, जो जनमे और मर जाये,
वारीये गिरिधर लाल को, चुड़लो अमर हो जाये ||
आओ मेरी सखियो मुझे मेहँदी लगा दो,
मेहँदी लगा दो, मुझे सुन्दर सजा दो,
मुझे श्याम सुन्दर की दुल्हन बना दो ||
सतसंग मे मेरी बात चलायी,
सतगुरु ने मेरी किनी सगाई |
उनको बोला के हथलेवा तो करा दो,
मुझे श्याम सुन्दर की दुल्हन बना दो ||
ऐसी पहनी चूड़ी जो कबहू ना टूटे,
ऐसा वरु दूल्हा जो कबहू ना छूटे |
अटल सुहाग की बिंदिया लगा दो,
मुझे श्याम सुन्दर की दुल्हन बना दो ||
भक्ति का सुरमा मैं आख मे लगाउंगी,
दुनिया से नाता तोड़ मैं उनकी हो जाउंगी |
सतगुरु को बुला के फेरे तो पडवा दो,
मुझे श्याम सुन्दर की दुल्हन बना दो ||
बाँध के घुंघरू मै उनको रिझाऊंगी,
ले के इक तारा मै श्याम श्याम गाऊँगी |
सतगुरु को बुला के बिदा तो करा दो,
मुझे श्याम सुन्दर की दुल्हन बना दो ||
आओ मेरी सखियो मुझे मेहँदी लगा दो,
मेहँदी लगा दो, मुझे सुन्दर सजा दो,
मुझे श्याम सुन्दर की दुल्हन बना दो ||
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