मुखड़ा :- आओ मन में बसा ले श्री राम को
चलो तन से करे प्रभु काम को
अंतरा :- माया के चक्कर में किसने क्या पाया
सुख की मृगतृष्णा में मन को भटकाया
अपने रथ पे बिठा ले घनश्याम को
चलो तन से करे प्रभु काम को ...
अंतरा:- छोडो ये लोभ मोह छोडो ये माया
व्यसन में नष्ट न हो कंचन सी काया
ईष्ट अपना बना ले सुखधाम को
चलो तन से करे प्रभु काम को....
अंतरा :- मन में हो ममता की प्यार भरी धारा
प्रभु का ही रूप लगे हमे विश्व सारा
आये उसकी ही याद सुबह शाम को
चलो तन से करे प्रभु काम को .........
अंतरा :- डूब जाये मन अपना प्रभु के अनुराग में
थिरक उठे रोम रोम उसके ही राग में
मीत अपना बना ले गुणधाम को
चलो तन से करे प्रभु काम को
मुक्तक :- ह्रदय को मंदिर बना श्री राम का
सफाया कर दे कलुष का काम का
भक्ति भावो की विमल धारा बहे
विश्व सारा रूप हो भगवान् का
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