आओ कन्हैया थोड़ी बाते करेंगे,
कुछ तेरी सुनेंगे कुछ अपनी कहेंगे।।
तर्ज – सौ साल पहले।
जन्मों से जन्म लेकर,
श्याम ये नैन तरसते है,
दर्शन बिन व्याकुल नैन,
मेरे दिन-रैन बरसते है,
आओगे कन्हैया तो ये,
और ना बहेंगे,
कुछ तेरी सुनेंगे कुछ अपनी कहेंगे,
आओ कन्हैया थोडी बाते करेंगे।।
सूनी-सूनी बगिया,
श्याम सूना घर आंगन है,
तुम आओगे घनश्याम,
जैसे कोई आया सावन है,
आओ तो कन्हिया रूखे,
फूल भी खिलेंगे,
कुछ तेरी सुनेंगे कुछ अपनी कहेंगे,
आओ कन्हैया थोडी बाते करेंगे।।
तू ही मेरा जीवन है,
श्याम तू ही तो सहारा है,
तुझ बिन सूना जीवन,
और धुंधला अँधियारा है,
आओ तो कन्हिया इसको,
रोशन करेंगे,
कुछ तेरी सुनेंगे कुछ अपनी कहेंगे,
आओ कन्हैया थोडी बाते करेंगे।।
तेरे दर्शन की घनश्याम,
मेरे इस दिल में तड़पन हो,
तेरी चौखट पे ‘मोन्टू’,
बंद ये दिल की धड़कन हो,
मर भी जाए जो ठाकुर,
दिल में रहेंगे,
कुछ तेरी सुनेंगे कुछ अपनी कहेंगे,
आओ कन्हैया थोडी बाते करेंगे।।
आओ कन्हैया थोड़ी बाते करेंगे,
कुछ तेरी सुनेंगे कुछ अपनी कहेंगे।।
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