Current Date: 22 Dec, 2024

आल्हा श्री गणेश जी की (Aalha Shree Ganesh Ji Ki Lyrics in Hindi)

- Sanjo Baghel


आल्हा श्री गणेश जी की

    

                 जय जय हो नाथ गणेशा संजो तुमको रही मनाये

दे दो इतना ज्ञान गजानन हमसे भूल नहीं हो जाए

हंस वाहिनी मात सरस्वती सदा विराजो कंठ पे आये

गणपति का गुणगान करूँ मै जिनकी पूजा सबको भाये

आदि गणेश आपके आगे सारे देवता शीश नवाये

ब्रह्मा विष्णु और मुनिवर शरण तुम्हारी चल के आये

कष्ट कलेशो को हरते हो भक्तो के तुम सदा सहाये

श्रद्धा पूर्वक जो कोई पूजे प्रभु तेरे ये पावन पांव

श्रद्धा पूर्वक जो कोई पूजे

 

श्रद्धा पूर्वक जो कोई पूजे प्रभु तेरे ये पावन पांव

पुण्य प्राप्त होते है उसको सारे पाप नष्ट हो जाए

सबसे पहले शुभ कार्यो में तेरी पूजा सब करवाए

बुधवार के दिन भगतगण श्री गणेश का व्रत रखाये

विघ्न विनाशक गणपति बाबा भक्तो की पीड़ा हर जाए

भादो मास की तिथि चतुर्थी गणेश जयंती भक्त मनाये

११ दिन तेरी करते पूजा लड्डुवन से तेरा भोग लगाए

भजन कीर्तन करे तुम्हारा शाम को तेरी ज्योत जलाये

श्री गणेश अपने भक्तो पर देते है कृपा बरसाए

श्री गणेश अपने भक्तो पर

 

श्री गणेश अपने भक्तो पर देते है कृपा बरसाए

एक भक्त की सुनो कहानी बुढ़िया रानी की बतलाये

रहती थी वो एक गांव में अपने एक बहु के साथ

करे झोपडी में ही बसेरा इतने बुरे घर के हालात

भीगे बुढ़िया टूटे झोपड़िया जब भी आती थी बरसात

दुखी देखकर वो अपने को प्रभु को याद करे दिन रात

प्रभु से वो करती फरियादें दुरो करो लाचारी नाथ

इसी गांव में आठ साल का गया एक अनजाना आये

हाथ में दूध भरी चम्मच थी जरा सी चावल मुट्ठी दवाये

हाथ में दूध भरी चम्मच थी

 

हाथ में दूध भरी चम्मच थी जरा सी चावल मुट्ठी दवाये

घूम घूमकर गली गली में सबसे यही गुहार लगाए

भूख लगी है मुझको भारी कोई तो दे मेरी खीर पकाये

फ़टे पुराने कपडे पहने द्वार द्वार आवाज लगाए

थोड़ा दूध देख महिलाये लड़के को पागल बतलाये

कोई सुने ना उसकी विनती उलटा देती उसे भगाये

लेके घूमे पसना जा की मति गई बौराये

भूखा प्यासा फिरे वो लड़का हुआ निराश गया दुखिआए

निकल गया वो गांव से बाहर उसे झोपड़ी गई दिखाए

 निकल गया वो गांव से बाहर

 

निकल गया वो गांव से बाहर उसे झोपड़ी गई दिखाए

जिसमे बैठी थी वो बुढ़िया पास उसकी पंहुचा जाए

बोला लड़का उस बुढ़िया से मुझे भूख माँ रही सताए

ये लो दूध और ये लो चावल मेरे लिए दो खीर बनाये

बुढ़िया ने जब देखा लड़का उसको तरस गए था आये

लेकिन वो क्या करे बेचारी दूध एक चम्मच दिखलाये

बोली बुढ़िया उस बच्चे से खीर तेरी कैसे बन पाए

थोड़े चावल है पुड़िया में थोड़ा दूध रहा दिखलाये

बोला बेटा जो भी है माँ कोशिश करके देख ले जाए

बोला बेटा जो भी है माँ

 

बोला बेटा जो भी है माँ कोशिश करके देख ले जाए

  जो भी खीर पकेगी मैया उसी से लूंगा भूख मिटाये

सुनकर बात उस लड़के की बुढ़िया के आंसू आ जाए

तब एक छोटे से बर्तन में दीन्हि उसने खीर बनाये

जैसे ही खीर परोसी उसको पूरी थाली भर गई जाए

किन्तु खीर की धार ना टूटी और भी बर्तन भर गए जाए

घर के सारे बर्तन भर गए छोटे बड़े बचा कुछ नाये

खीर खत्म ना हुयी अभी भी तब लड़का बोला है माये

बड़े बड़े बर्तन ले आओ आस पडोसी के घर जाए

बड़े बड़े बर्तन ले आओ

 

बड़े बड़े बर्तन ले आओ आस पडोसी के घर जाए

तब बुढ़िया ने उसी गांव से लीन्हे बड़े पात्र मंगवाये

खीर से भर गए तभी लबालब तब लड़का बोला है माये

सारे गांव को न्योता दे दो भंडारा अब देयो कराये

बुढ़िया ने फिर सारे गांव को न्योता दीन्हा था भिजवाए

सुनकर बुढ़िया का वो न्योता नर नारी सब हंसी उड़ाए

खुद खाने के पड़े है लाले बुढ़िया सबको खीर खिलाये

शायद बुढ़िया भई बाबरिया या फिर गई है वो पगलाए

लोग इक्क्ठे भये गांव के सलाह मस्वारा रहे बनाये

 लोग इक्क्ठे भये गांव के

 

लोग इक्क्ठे भये गांव के सलाह मस्वारा रहे बनाये

कोई कहे चलो तो भैया बुढ़िया घर भंडारा खाये

कहे कोई जाने से पहले घर पर ही भोजन खा जाए

लौट के भी खाना खा लेंगे पहले देखे वहां पे जाए

सभी एकजुट हो कर भैया पहुंचे बुढ़िया के घर जाए

भीड़ इक्क्ठी भई देखकर उसकी बहु गई घबराये

खीर पारस लीन्ही थाली में कही खीर सब निपट ना जाए

श्री गणेश का नाम सुमिर कर चुपके खीर गई वो खाये

बैठ गए सब लोग लाइन में शुरू हुआ भंडारा जाए

बैठ गए सब का वहां पर

 

बैठ गए सब लोग लाइन में शुरू हुआ भंडारा जाए

पुरे गांव के सब नर नारी गए प्रेम से भोजन पाए

जो घर भोजन कर के आया वही लोग रहे पछताए

भंडारा सब लोग खा गए फिर बच्चे को लिया बुलाये

बेटा अब तुम भी कुछ खा लो लेयो अपनी भूख मिटाये

तब बोला बच्चा बुढ़िया से मैंने तो लिया भोग लगाए

अब तुम खा लो प्यारी मैया बढ़िया खीर बनी मनभाये

तुमने कब खा ली है बैठा तुम्हे तो खाते देखा नाये

बोला बेटा सबसे पहले लिया था मैंने भोग लगाए

बोला बेटा सबसे पहले

 

बोला बेटा सबसे पहले लिया था मैंने भोग लगाए

जब चुपके से तेरी बहु ने खीर ली पहले ही खाये

लेकर नाम गणेशा पहले उसने मुझको दी चटाये

तभी भूख भुझ गई मेरी माँ अब तुम भोजन कर लो आये

बच्चे ने अपने हाथो से बुढ़िया को दी खीर खिलाये

तब बुढ़िया बोली बच्चे से आँखों से आंसू बरसाए

क्या बेटा तुम श्री गणेश हो इस बुढ़िया को देयो बताये

तब वो लड़का श्री गणेश के रूप में प्रगट हो गया जाए

पांव पकड़ लीन्हे बुढ़िया ने रहे नाथ कृपा बरसाए

पांव पकड़ लीन्हे बुढ़िया ने

 

पांव पकड़ लीन्हे बुढ़िया ने रहे नाथ कृपा बरसाए

अपना एक पैर कुटिया में श्री गणेश ने दिया छपाये

हो गए अंतर्ध्यान प्रभु वो बुढ़िया देखत ही रह जाए

टूटी हुयी झोपडी उसकी बदल गई महलो में जाए

धन दौलत के भंडारे है नौकर चाकर शीश नवाये

विनय हमारी सुनो विनायक संजो के तुम बनो सहाये

जैसी कृपा करी बुढ़िया पर वैसी कृपा देयो बरसाए

रमेश भैया ने लिखा है आल्हा श्री गणेश को शीश नवाये

मनोकमना राजेंद्र की पूरी करो गजानन आये

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