F:- गणनायक हे गणपति बाबा संजो तुमको रही बुलाये
मात सरस्वती को ले आना जिनके संग हो लक्ष्मी माये
मेल बड़ा सुन्दर तीनो का संजो तुमको शीश नवाये
जय जय बाबा जहानगढ़ वाले जाहर वीर गए कहलाये
इनकी भक्ति की शक्ति से भक्त सभी रहे लाभ उठाये
जाहर वीर की गाथा गाऊं ध्यान पूर्वक जो सुन जाए
उनकी मुरादे पूरी होगी बनेंगे जहारवीर सहाये
कष्ट कलेशो को हर लेंगे घर में सुख शांति आ जाए
कष्ट कलेशो को हर लेंगे
कष्ट कलेशो को हर लेंगे घर में सुख शांति आ जाए
बिगड़े काम बनेंगे सारे धन की कभी कमी ना आये
बाबा तो भण्डार भरेंगे डर से भागे भूत बलाये
जिन मैया की कोख हो सूनी उनको पुत्र प्राप्त हो जाए
हिन्दू मुस्लिम दोनों पूजे गोगा जहारवीर को जाए
सारी दुनिया में यश फैला नीली धर्म ध्वजा लहराए
नीले घोड़े वाले बाबा देते है खुशहाल बनाये
जहारवीर जानो की गाथा संजो तुमको रही सुनाये
भारत में जन्मे थे बाबा राजस्थान राज में आये
भारत में जन्मे थे बाबा
भारत में जन्मे थे बाबा राजस्थान राज में आये
गांव था बाबा का ददरेवा जो ये जिला चूरू में आये
ठाकुर उम्र सिंह थे दादा जहारवीर के हम बतलाये
पैदा भये चौहान वंस में भूत बड़े राजा कहलाये
जिनके डर से चोर वा डाकू राज छोड़ कर गए सिधार
लगी कचहरी उम्र सिंह की कठिन कठिन फरियादें आये
दूध से पानी करे अलेदा ऐसा करते थे वो न्याय
धान धर्म में रूचि जो रखते खाली हाथ नहीं लौटाए
भारत में मुगलो का आना वही दौर था तुम्हे बताये
भारत में मुगलो का आना
भारत में मुगलो का आना वही दौर था तुम्हे बताये
अपने जेवर सिंह पुत्र की शादी उन्होंने दी कराये
पुत्र वधु जो घर में आयी रानी वाछल कही कहाये
राजा कुंवर पाल की पुत्री वाछल को हम रहे बताये
इसकी दो छोटी थी बहने वाछल काछल रहे बताये
काछल छल कपटिन थी लोगो इसी कुटुंब में व्याही आये
रानी वाछल दयावान थी उसका सुन्दर सरल स्वभाव
दिल से चाहे वो बहनो को इन्हे सदा खुशहाल रखाये
रूपवान थी वाछल रानी पतिव्रता का धर्म निभाए
रूपवान थी वाछल रानी
रूपवान थी वाछल रानी पतिव्रता का धर्म निभाए
बूढ़े हो गए उम्र सिंह तो राजा पुत्र को दिया बनाये
राजा जेवर सिंह प्रतापी कुशल पूर्वक राज चलाये
राजा ख़ुशी ख़ुशी थी जनता किसी बात की कमी थी नाये
राजा रानी खुश थे दोनों प्रेम से जीवन रहे बिताये
शादी को कई साल बीत गए उनको पुत्र नहीं हो पाए
सोच में डूबा डूबा राजा बैठा था ड्योढ़ी पे जाए
सामने से एक भंगन गुजरी कटु वचन कुछ यूँ कह जाए
देख लिया मुँह निर्वंशी का रोटी आज नहीं मिल पाए
देख लिया मुँह निर्वंशी का
देख लिया मुँह निर्वंशी का रोटी आज नहीं मिल पाए
इतने बैन सुने भंगन के होश उड़े राजा के जाए
दो कोड़ी की भंगन देखो जा के कुछ औकात है नाये
राजा ने मन को समझाया भंगिन पे क्यों दोष लगाए
मै हूँ अभागा समय का मारा किस्मत मुझको रही सताये
होये पिछले पाप हमारे इसीलिए संतान है नाये
विनय हमारी सुनो विधाता मेरे भगय जगा दो जाए
पुत्र प्राप्त हो जाये मुझको पोता मेरे पिता खिलाये
वो भी वंश देख ले बढ़ता तो सारी चिंता मिट जाए
वो भी वंश देख ले बढ़ता
वो भी वंश देख ले बढ़ता तो सारी चिंता मिट जाए
रोज प्रभु से करे प्रार्थना पुण्य धर्म के काम कराये
चुभ गई थी भंगिन की बाते राजा किसी को मुँह ना दिखाए
रानी वाछल दुखी हो गई पिया का दुःख देखा ना जाए
राज संभाला तब रानी ने अपना वो दरबार लगाए
दान पुण्य वो निसदिन करती प्रभु से मन की डोर लगाए
राजा रानी दुखी देख कर सारी प्रजा दुखी हो जाये
एक बार एक संत माहत्मा ददरेवा में गए थे आये
दमक रहा था माथा उनका जैसे हो नारद मुनि राज
दमक रहा था माथा उनका
दमक रहा था माथा उनका जैसे हो नारद मुनि राज
बाबा को देखो जी देखो सबने दिया है शीश नवाये
सेवा करी खूब बाबा की आशीर्वाद सभी गए पाए
राज सेवको ने सूना तो पहुंचे बाबा के ढिग जाए
किया प्रणाम उसी बाबा को राजा का दिया हाल सुनाये
सुन कर सारा हाल भूप का बाबा गया बड़ा दुखिआए
राज सेवको के संग बाबा राज महल में पंहुचा जाये
बाबा के पैरो में गिर गए राजा रानी शीश नवाये
राजा ने फिर बाबा जी को सिंघासन पर दिया बैठाये
राजा ने फिर बाबा जी को
राजा ने फिर बाबा जी को सिंघासन पर दिया बैठाये
खूब खुसामद की बाबा की बाबा ने फिर दई दुआएं
पुतो फलो नहाओ दूधो मेरा वचन झूट ना जाए
इतना सुन राजा रानी के आँखों में आंसू आ जाए
हाय रे बाबा क्या कह डाला हमरे कोई संतान है नाये
बोले बाबा सब मालूम है अपना हाथ देयो दिखलाये
देख हाथ राजा रानी का पढ़ ली किस्मत की रेखाएं
बेटी पुत्र भगय में तेरे जा में झूट जरा भी नाये
होगा पुत्र तेरा अवतारी जो इस जग में नाम कमाए
होगा पुत्र तेरा अवतारी
होगा पुत्र तेरा अवतारी जो इस जग में नाम कमाए
अपने संग संग तुम दोनों का बेटा नाम अमर कर जाए
बेटा नाहर पैदा होगा जिसे देख दुशमन दहलाये
इसके लिए मै जैसा बोलूं तुम वैसा ही देयो कराये
को तरफे तुम बाग़ लगा दो जिसमे कुआं देयो खुदवाये
वहां धर्मशाला बनवा दो और प्याऊ तुम देयो बैठाये
जिसमे शिव जी का मंदिर हो फिर दो चार चाँद लग जाए
आते जाते थके मुशाफिर ठहर के अपनी प्यास बुझाये
इतना पुण्य कमा लो राजा रानी पुतवती हो जाये
इतना पुण्य कमा लो राजा
इतना पुण्य कमा लो राजा रानी पुतवती हो जाये
ऐसे वचन सुने बाबा के जेवर सिंह पिता ढिग आये
लेकर आज्ञा अपने पिता से माली को लीन्हा बुलवाये
दे दी आज्ञा उस माली को सुन्दर सा दिया बाग़ लगाए
जैसा कहा था वैसा उसने सारे कार्य दिए करवाए
सुन्दर बाग़ बना नौलखा इसका दिया है नाम धराये
इसका उदघाटन करने को ब्रह्मण को लीन्हा बुलवाये
ब्रह्म भोज की करी तैयारी नामी हलवाई गए आये
राजा रानी और प्रजा भी उदघाटन करने को जाए
राजा रानी और प्रजा भी
राजा रानी और प्रजा भी उदघाटन करने को जाए
गाजे बाजे सहित चले है खुशियों से सब झूमे जाए
पहुंच गए नौलखा बाग़ में सभी लोग आनंद उठाये
जब रानी डोले से उत्तरी कदम रखा उस बाग़ में जाए
जैसा ही पैर पड़ा रानी का बाग़ नौलखा सूखा जाये
चीची कर के चिड़िया उड़ गई कुएं का जल खाली हो जाए
रानी बाछल रोने लगी थी कोश रही किस्मत को हाय
हाय मुकदर कैसा खोटा ईश्वर कतई तरस ना खाये
दुखी देख कर उस रानी को सारी प्रजा दुखी हो जाए
दुखी देख कर उस रानी को
दुखी देख कर उस रानी को सारी प्रजा दुखी हो जाए
समझाये राजा वाछल को उम्र सिंह रहे धीर बँधाये
धर्म किये जाओ बहुरानी ईश्वर कष्ट हरेंगे आये
करे कामना सारी जनता महलो में खुशियां आ जाए
दिन भर भजन करे अब राजा दान धर्म के कार्य कराये
थोड़े दिनों के बाद महल में एक ज्योतिषी गया है आये
राजा का जब हाल सूना तो उसको बड़ा तरस आ जाए
बोला ज्योत्षी उस राजा से सुनिए राजा ध्यान लगाए
मेरा कहना मानो राजा मै बतला दूँ एक उपाए
रमेश भैया ने लिखा है आल्हा संजो बघेल ने दिया सुनाये
जाहर वीर का आल्हा गए दुसरा भाग फिर जल्दी आये
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