M:- श्री गणेश को पहले सुमिरु माँ सरवती को ध्यान लगाए
प्रेम भाव भक्ति से हम तो भोलेनाथ की महिमा गाये
बाबा की महिमा है ऐसी तीन लोक में जानत नाय
लेकिन हम तो समझे आप सभी को रहे सुनाय
सावन महिमा बहुत ही पावन भोले बाबा दया लुटाये
सावन में भोले की पूजा जनम जनम के कष्ट मिटाये
ये मौसम में महादेव तो ध्यान समाधि नहीं लगाय
गर्मी में जो बारिश होये करुणा वैसी ये बरसाये
गर्मी में जो बारिश होये..................................
गर्मी में जो बारिश होये करुणा वैसी ये बरसाये
डमरू वला बड़ा दयालु जो भी इनकी महिमा गाय
सबकी करे मुरादे पूरी वो खाली लोटे नाय
कावड़िया लेकर के कावड़ दूर दूर से पैदल आये
पावन नदियों का जल लेके बाबा को जल रहे चढ़ाये
सोम चलो है बैजनाथ को देव घर जो धाम कहाय
बैजनाथ जो त्रिलिंगो मे जिनको रावण उठा ना पाए
देव घर में जो आ नहीं सकते आते वो कैलाश धाम
देव घर में जो आ नहीं सकते .............................
देव घर में जो आ नहीं सकते आते वो कैलाश धाम
कंधे पर सब धरे है कावड़ भजते चले भोले का नाम
बाबा के दर्शन पाते ही मिट गए इनके कष्ट तमाम
चौखट जो चूमे बाबा की पा गए जन्मो का आराम
शिव का जो अभिषेक करेंगे होते उनके सारे काम
करते है विश्वास जो शिव पे लेते बाबा उसको थाम
बाबा भोले भंडारी की करुणा जाने जगत तमाम
अपने भक्तो पर छलकाते दया की गागर आठो याम
अपने भक्तो पर छलकाते................................
अपने भक्तो पर छलकाते दया की गागर आठो याम
तुम्ही हो आदि तुम्ही अंत हो तुमरा कोई पार ना पाए
हर कोई जो भजे जो तुमको उसकी नैया पार लगाए
महा प्रलय में भी शिव शंकर रूद्र रूप में रहे कहाये
अलग रूप है भगवन तुमरा आप तो अविनाशी कहलाये
परम दयालु परम कृपालु तुमरे जैसा दूजा नाय
क्षण भर में खुश होने वाले दुनिया आशु देव बताये
राज पाठ और महल अटारी भोले तुमको नहीं सुहाये
राज पाठ और महल अटारी................................
राज पाठ और महल अटारी भोले तुमको नहीं सुहाये
नगर छोड़कर वीराने में अपना डेरा लिया जमाये
नासा था पगड़ी आभूषण तन पर भोले राख लगाए
खाली हाथ तो रहते है पर किसी को खाली ना लोटाये
बड़ा करिश्मा त्रिलोकी का लीला कोई समझ ना पाए
भोले बाबा बड़े ही भोले खाते पीते सोते नाय
क्या होगा अंजाम ना सोचे केसो भी दे दे वरदान
भगतो की क्या बात करे हम दुष्टो का कर दे कल्याण
भगतो की क्या बात करे हम ............................
भगतो की क्या बात करे हम दुष्टो का कर दे कल्याण
बड़े अनोखे बड़े निराले कहलाते शंकर भगवान
इनकी पूजा बड़ी सरल है कृपा मिले इनकी आसान
बैल पत्र से गदगद होते ना मांगे मेवा पकवान
भांग धतूरा इन्हे चढ़ा दे दूध से करवा दे स्नान
मनोकामना पूरन करते लेते अर्जी सबकी मान
नारद सारद ब्रम्हा विष्णु नटराजन का करे बखान
हाथ कमंडल सर पे गंगा विष धर कंठ रहे लिपटाये
हाथ कमंडल सर पे गंगा ...............................
हाथ कमंडल सर पे गंगा विष धर कंठ रहे लिपटाये
अपने जहर को कम करने को मटक चंदा लिया बिठाये
भस्मी से श्रृंगार करे ये वीरने में ध्यान लगाए
बैठे भले समाधि में शिव अंतर् दृष्टि खुली कहाय
ये नंदी की करे सवारी तीन लोक विचरण को जाये
कौन भक्त संकट में इनका उसको संकट मुक्त कराये
भेष विडंबर धारी शम्भु रूप अनोखा लिया बनाये
कालो के शिव महाकाल है काल भी इनसे दहशत खाये
कालो के शिव महाकाल है.......................................
कालो के शिव महाकाल है काल भी इनसे दहशत खाये
महाकाल का नाम जो जपते बाब उसके रहे सहाये
ज्योतिर्लिंग के रूप में भोले है बारह ज्योतिर्लिंग बनाये
सारे ज्योतिर्लिंग है पावन यहाँ पे हमको मोक्ष दिलाये
श्रद्धा से जो पाते दर्शन शिव के धाम रहे वो जाय
कट जाते है पाप हजारो सुख शांति जीवन में आये
अगर नहीं जा सकते हम तो सुमिरन करके पुण्य कमाए
पहले सोमनाथ है बाबा मलिका अर्जुन दूजा धाम
पहले सोमनाथ है बाबा..............................................
पहले सोमनाथ है बाबा मलिका अर्जुन दूजा धाम
महाकालेश्वर तीसरा नंबर चौथा ओंकारेश्वर धाम
केदारनाथ है पंचम भीमेश्वर छठे कहलाये
विश्वेश्वर है सप्तम भोले कशी में है दरश दिखाए
अष्टम शम्भु त्र्यंबकेश्वर है जो नासिक की शान बढ़ाये
बैजनाथ है देवघर में जो नागेश्वर गुजरात बताये
ग्यारवे भोले नागेशर है घृष्णेश्वर शिव बारवे आये
भक्ति ज्योति जगाने मन में शिव शम्भु की करुणा पाए
भक्ति ज्योति जगाने मन में .......................................
भक्ति ज्योति जगाने मन में शिव शम्भु की करुणा पाए
औघड़ दानी नीलकंठ का रूप निराला करे कमाल
विष पीकर अमृत बाटे सारे जग को रखे संभाल
गंगधारी है त्रिपुरारी सब पर है उपकारी आये
तन है काला मन है निर्मल रखते है सबको खुशहाल
डम डम डम डम बजाके डमरू हमे सुनाये सारी ताल
डमरू से संगीत बना है दुनिया को जो करे निहाल
दिल से नाम जपो शम्भु का देते सभी मुसीबत टाल
विनोद कहता अलख निरंजन काटे सबके माया जाल
विनोद कहता अलख निरंजन काटे सबके माया जाल
विनोद कहता अलख निरंजन काटे सबके माया जाल
काटे सबके माया जाल काटे सबके माया जाल
भोले की महिमा गाय विनोद भैया कहे सुनाय
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