Current Date: 08 Sep, 2024

आजा रे गोपाला

- अतुल कृष्ण वृंदावन


आजा रे गोपाला,
हमें तेरा ही सहारा,
तेरा ही सहारा,
हमें तेरा ही सहारा,
आजा रे गोंपाला,
हमें तेरा ही सहारा,
गव्वो ने पुकारा,
तेरी गव्वो ने पुकारा।।

तर्ज – सुनले ओ सांवरिया।

द्वापर युग में हम गव्वो का,
तू ही था रखवाला,
बड़े लाड़ से ओ नटनागर,
तुमने हमको पाला,
कलयुग में क्यों तूने,
हमें भुला है बिसारा,
तेरा ही सहारा,
हमें तेरा ही सहारा,
गव्वो ने पुकारा,
तेरी गव्वो ने पुकारा।।

राजनीती होती दुनिया में,
अब तो नाम पे मेरे,
हमको माता कहने वाले,
हमसे ही मुंह फेरे,
एक आसरा हमको,
ओ सांवलिये तुम्हारा,
तेरा ही सहारा,
हमें तेरा ही सहारा,
गव्वो ने पुकारा,
तेरी गव्वो ने पुकारा।।

तेरी गव्वे तरस रही है,
आजा कंठ लगा ले,
‘हर्ष’ कहे जल्लादों से तू,
हमको आजा बचा ले,
समझ सको तो समझो,
हम गव्वो का इशारा,
तेरा ही सहारा,
हमें तेरा ही सहारा,
गव्वो ने पुकारा,
तेरी गव्वो ने पुकारा।।

आजा रे गोपाला,
हमें तेरा ही सहारा,
तेरा ही सहारा,
हमें तेरा ही सहारा,
आजा रे गोंपाला,
हमें तेरा ही सहारा,
गव्वो ने पुकारा,
तेरी गव्वो ने पुकारा।।

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